इम्यून सिस्टम मजबूत होने पर शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। बाहरी संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता है और कई तरह के रोगों से भी बचाव होता है। पर कभी कभी हमारा इम्यून सिस्टम शरीर के लिए गलत ढंग से काम करने लगता है। इससे ऑटो इन्फ्लामेटरी डिजीज आर्थराइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इस रोग के प्रति जागरूक करने के लिए ही ऑटो इन्फ्लामेटरी आर्थराइटिस डे भी मनाया जाता है। क्या है ऑटो इन्फ्लामेटरी आर्थराइटिस (auto-inflammatory arthritis) और इसके बचाव और उपचार, इसके लिए हमने बात की उजाला सिगनस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज से।
इंटरनेशनल ऑटोइम्यून अर्थराइटिस मूवमेंट ने 20 मई को वर्ल्ड ऑटोइम्यून आर्थराइटिस डे मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य ऑटोइम्यून और ऑटोइंफ्लेमेटरी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह अर्थराइटिस के लक्षण के रूप में दिखाई देते हैं। इसकी थीम है- हम इसके बारे में जानकारी हासिल करें, जागरुकता बढाने का यह पहला चरण (Our own education is the first step in raising awareness) है।
डॉ. शुचिन कहते हैं, ‘ऑटोम्यून्यून डिसऑर्डर तब होता है, जब इम्यून सिस्टम गलती से शरीर के ऊतकों पर हमला कर देता है। रुमेटोइड क्रोनिक इन्फ्लेमेटरी डिसआर्डर है, जो जॉइंट्स को सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकता है। कुछ लोगों में स्किन, आंखें, लंग्स, हार्ट और ब्लड वेसल्स सहित शरीर की विभिन्न प्रणालियों को नुकसान पहुंचा सकती है।
ऑटोइम्यून ऑटोइंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस उन स्थितियों के बारे में है, जिसमें ऑटोइम्यून और ऑटोइंफ्लेमेटरी प्रक्रियाओं का संयोजन शामिल होता है। यह जॉइंट इन्फ्लेमेशन और अर्थराइटिस का कारण बनता है।’
नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और वेट मैनेजमेंट से अर्थराइटिस सहित ऑटोइम्यून और इंफ्लेमेशन संबंधी स्थितियों के विकास के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
स्मोकिंग कुछ प्रकार के अर्थराइटिस के विकास के जोखिम से जुड़ा हुआ है। स्मोकिंग हड्डियों में सूजन बढ़ाता है। इसे छोड़ने या पूरी तरह से परहेज करने से जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।
क्रोनिक स्ट्रेस ऑटोइम्यून स्थितियों के विकास या बिगड़ने में योगदान दे सकता है। प्रभावी तनाव प्रबंधन तकनीक जैसे व्यायाम, ध्यान और रिलैक्स तकनीक (relaxation techniques) फायदेमंद हो सकती है।
नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs NSAIDs) दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं। डिजीज को मॉडिफाई करने वाले एंटीरहायमैटिक ड्रग्स (DMARDs), जैसे- मेथोट्रेक्सेट, रोग की प्रगति को धीमा करने के लिए लिया जा सकता है।
अधिक गंभीर मामलों में इम्यून सिस्टम के विशिष्ट घटकों को लक्षित करने वाले बायोलोजिकल एजेंटों का उपयोग किया जा सकता है।
फिजिकल ट्रीटमेंट और प्रोफेशनल ट्रीटमेंट जॉइंट के कार्य को बेहतर बनाने, दर्द कम करने और मोबिलिटी बढ़ाने में मदद कर सकती है। इन उपचारों में व्यायाम, जॉइंट प्रोटेक्शन तकनीक (joint protection techniques) और सहायक उपकरण शामिल हो सकते हैं।
जरूरत पड़ने पर आराम करना, गर्म या ठंडी चिकित्सा (hot or cold therapy) का उपयोग करना और स्प्लिंट्स(splints) या ब्रेसेस (braces) लगाने से लक्षणों को कम करने और जॉइंट्स की रक्षा करने में मदद मिल सकती है।
जब जॉइंट में गंभीर क्षति हो जाती है, तो सर्जरी पर विचार किया जा सकता है। संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जरी (Joint replacement surgery) जैसे हिप्स या घुटने का प्रतिस्थापन गतिशीलता में सुधार और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि ऑटोइम्यून ऑटोइंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस में विभिन्न स्थितियां शामिल हैं। रुमेटीइड गठिया, सोरियाटिक गठिया, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस और अन्य जॉइंट डिजीज इसमें शामिल हो सकते हैं। व्यक्ति की स्थिति, रोग की गंभीरता और उपचार के प्रति प्रतिक्रिया के आधार पर अलग-अलग ढंग से ट्रीटमेंट हो सकती है। इसलिए किसी भी प्रकार के ट्रीटमेंट से पहले हेल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श करना जरूरी है।
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