कुछ महीनों की चुप्पी के बाद, भारत के कुछ हिस्सों में कोविड-19 के मामले (increasing covid cases in India)फिर से बढ़ रहे हैं। कोविड मामलों में मौजूदा वृद्धि का कारण Xbb.1.16 वेरिएंट है, जिसमें एक अतिरिक्त प्रोटीन म्युटेशन की वजह संभवत: उसे इम्यून तंत्र से बचाव मिल जाना है। आम लोगों में यह गलत धारणा है कि वैक्सीनेशन से उनका नए संक्रमणों से बचाव होता है।
यह गलत है, केवल कोविड समुचित व्यवहार का पालन कर ही आप कोविड से अपना बचाव कर सकते हैं। वैक्सीनेशन के चलते आपको साधारण कोविड इंफेक्शन को जटिल होने से सुरक्षा मिलती है। हाल के दिनों में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी (increasing covid cases in India) के मद्देनज़र, यह जरूरी है कि हम कोविड से बचाव की दृष्टि से व्यवहार करें और वैक्सीनेशन अभियान में भी तेजी लाएं।
दुर्भाग्यवश, फ्लू, h1n1, h3n2 और बदलते मौसम की वजह से होने वाली एलर्जी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं और इनके अलग-अलग लक्षणों की पहचान कर पाना मुश्किल है। कोविड-19 (covid-19) के लक्षण सभी में अलग होते हैं। जबकि कई बार तो कोई भी लक्षण नहीं दिखायी देते। इसलिए यह जरूरी है कि हम कोविड से बचाव की दृष्टि से व्यवहार करें और वैक्सीनेशन अभियान में भी तेजी लाएं।
ये लक्षण हल्के या गंभीर भी हो सकते हैं, कुछ लोगों में लक्षण गंभीर होकर निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम (respiratory distress syndrome), अथवा मल्टीपल ऑर्गेन फेलियर (multiple organ failure) का कारण भी बन सकते हैं।
इस बात की जानकारी होना जरुरी है की कुछ लोगों में कोविड-19 बिना किसी लक्षण के भी हो सकता है। यही कारण है कि सभी को स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए, जैसे कि मास्क का प्रयोग करें, सोशल डिस्टेन्सिंग अपनाएं, बार-बार हाथों को साबुन से धोएं ताकि वायरस के संक्रमण से बचाव हो सके। अगर आपको उपर्युक्त में से कोई भी लक्षण दिखायी दें तो मेडिकल सलाह लें और कोविड-19 की जांच कराएं।
कोविड-19 के कई मामले बिना किसी इलाज या हस्तक्षेप के खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं, खासतौर से भारत में मौजूदा समय में फैल रहा वेरिएंट इसी तरह से ठीक भी हो रहा है। लेकिन जिन लोगों की इम्युनिटी कमज़ोर है उन्हें हल्का-सा संक्रमण भी परेशान कर सकता है या कई बार यह गंभीर रूप से आपको प्रभावित कर देता है।
इंफेक्शन को घातक होने से रोकने का एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन (टीकाकरण) है। अब तक, वैक्सीन की सिर्फ तीन डोज़ ही काफी बतायी जा रही हैं और चौथी खुराक की फिलहाल आवश्यकता नहीं है।
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कोविड वैक्सीन हमें फ्लू से नहीं बचाती और इसी तरह, फ्लू वैक्सीन से कोविड से बचाव में मदद नहीं मिलती। इसलिए दोनों वैक्सीन लेना महत्वपूर्ण है। चूंकि ये दोनों ही इंफेक्शंस अलग-अलग वायरस के कारण होते हैं, इसलिए इनका उपचार भी बिल्कुल अलग होता है। यानि, यह जानना जरूरी है कि प्रभावित व्यक्ति किस इंफेक्शन से पीड़ित है।
फ्लू (इंफ्लुएंज़ा) और कोविड-19 दोनों ही श्वसन रोग हैं जो अलग-अलग वायरस से फैलते हैं, और इनके लक्षणों, प्रसार तथा रोग की गंभीरता में भी अंतर होता है। कोविड-19 संक्रमण नॉवल कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) से फैलता है जबकि फ्लू का कारण इंफ्लुएंज़ा वायरस है।
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कस्टमाइज़ करेंकोविड-19 संक्रमण फ्लू के मुकाबले काफी आसानी से फैलता है और यह उन लोगों द्वारा भी फैल सकता है, जिनमें इसके लक्षण दिखायी नहीं देते। फ्लू आमतौर से लोगों की खांसी, छींक और बात करने के दौरान निकलने वाले ड्रॉपलैट्स से फैलता है।
कोविड-19 वैक्सीन अपेक्षाकृत नई होती हैं, जबकि फ्लू वैक्सीन पिछले कई वर्षों से उपलब्ध हैं। ये दोनों वैक्सीन रोग की गंभीरता कम करने के साथ ही नजर आने वाले लक्षणों से लड़ने के लिए आपके शरीर को तैयार करती है। जबकि कोविड-19 वैक्सीन गंभीर बिमारियों एवं मृत्यु से बचाव करती है।
कोविड-19 और फ्लू दोनों के कुछ लक्षण एक समान होते हैं, जैसे कि बुखार, खांसी और थकान महसूस होना। कोविड-19 में स्वाद और गंध महसूस नहीं होता, जबकि फ्लू में आमतौर पर ये लक्षण नजर नहीं आता। फ्लू की वजह से शरीर में दर्द होता है जबकि कोविड-19 में ऐसा कम होता है। कोविड-19 की वजह से रोग की गंभीरता कई बार फ्लू से भी ज्यादा होती है, खासतौर से बुजुर्गों और पुराने रोग से ग्रस्त मरीज़ों में यह ज्यादा तकलीफदेह साबित होता है।
फ्लू और कोविड-19 के लक्षण एक जैसे होते हैं, रोग की पुष्टि करने का एकमात्र तरीका यही है कि आप कोविड-19 की जांच करवाएं। यदि बीमारी के कोई भी लक्षण नजर आ रहे हैं, तो स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करें और मेडिकल सलाह/उपचार लें।
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