जैसे ही भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ते हैं, बच्चों के कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 vaccine) को लेकर पेरेंट्स के मन में कई सवाल उठने लगते हैं। यदि आपके मन में भी बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर कुछ आशंकाएं हैं, तो आपको कुछ जरूरी बातें जरूर जान लेनी चाहिए। नई दिल्ली के मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में एसोसिएट डायरेक्टर एमबीबीएस, एमडी (बाल रोग) डॉ. एस.के. नाकरा इस विषय पर विस्तार से बता रहे हैं।
स्कूल बंद होने के कारण पिछले दो साल से बच्चों के साथ-साथ उनके पेरेंट्स को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्कूल बंद होने के कारण न सिर्फ बच्चों का मेंटल हेल्थ प्रभावित हुई, बल्कि बच्चों में मोटापा भी तेजी से बढ़ा। अब जबकि स्कूल खुल चुके हैं, तो पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए डर रहे हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के लिए कोविड -19 वैक्सीन कितनी जरूरी है, इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं एक्सपर्ट।
भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 5 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए कॉर्बेवेक्स (Corbevax) और 6 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए कोवैक्सीन (Covaxin) देने को कहा। 12-14 वर्ष के बच्चों को Zydus वैक्सीन देना चाहिए, जिसमें दो खुराक शामिल हैं। 12-17 साल के बच्चों को Covovax देने की मंजूरी दी गई।
भारत में कोविड -19 मामलों में वृद्धि के बीच इन टीकों की सेफ्टी और साइड इफेक्ट के बारे में जानने के लिए पेड्रिशियंस के पास पैरेंट्स के फोन लगातार आ रहे हैं। इन्हीं में से कुछ जरूरी सवालों के जवाब हम यहां ले आए हैं –
इसका उत्तर यह होगा कि भारत में अब बच्चों को चार तरह की वैक्सीन दी जा सकती है। भारत बायोटेक ने ICMR के सहयोग से Covaxin वैक्सीन बनाई है। यह वैक्सीन सेल इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है।
हैदराबाद स्थित फार्मास्युटिकल फर्म बायोलॉजिकल ई ने टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट और ह्यूस्टन, टेक्सास में बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को विकसित किया है। यह प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है।
ZyCoV-D कैडिला हेल्थकेयर द्वारा विकसित किया गया है, जो डीएनए प्लास्मिड-बेस्ड कोविड-19 वैक्सीन है। इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद की सहायता से विकसित किया गया है।
Covovax का निर्माण भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) द्वारा USA के Novavax के सहयोग से किया गया है। कोवोवैक्स एक प्रोटीन नैनो पार्टिकल वैक्सीन है।
सभी टीके सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट वाले हैं। परीक्षणों में कोई गंभीर या जानलेवा प्रतिक्रिया नहीं देखी गई। रिएक्शन होने की संभावना को देखते हुए सभी टीकों का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।
कोवैक्सिन कोविड -19 से लड़ने में 78 प्रतिशत तक प्रभावी है। वयस्कों में तो यह 93 प्रतिशत तक कारगर है। क्लिनिकल ट्रायल के अनुसार, वयस्कों की तुलना में बच्चों में ज्यादा एंटीबॉडी बनती है।
रिपोर्ट के अनुसार, कॉर्बेवैक्स ट्रायल सिम्पटोमिक इंफेक्शन को रोकने में 90 प्रतिशत तक कारगर है। ZyCoV-D कोविड-19 की रोकथाम करने में 67 प्रतिशत और गंभीर बीमारी को रोकने में लगभग 100 प्रतिशत तक सक्षम है। कोवोवैक्स तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुआ।
साइड इफेक्ट्स नाम मात्र के होते हैं। दर्द, इंजेक्शन के स्थान पर सूजन, बुखार, ठंड लगना ये सभी साइड इफेक्ट्स हैं।
फिलहाल वैक्सीन की दो खुराक दी जा रही है। Covaxin, Corbevax और ZyCoV-D की दूसरी खुराक 28 दिनों के अंतराल के बाद दी जाती है। कोवोवैक्स के मामले में दूसरी खुराक 21 दिन बाद दी जाती है।
Covaxin, Corbevax और Covovax को इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है। ZyCoV-D वैक्सीन को बिना सूई के स्किन (इंट्राडर्मल) में दे दिया जाता है।
कोविड -19 वैक्सीन संक्रमण आपके बच्चे से दूसरे बच्चों और वयस्कों में फैलने से रोक सकती है। यदि बच्चे को हल्का इंफेक्शन या वह एसिम्पटोमेटिक है, तो उनसे पैरेंट्स और दादा-दादी में कोविड -19 के लक्षण आ सकते हैं। वैक्सीन के कारण कोरोना इंफेक्शन बहुत अधिक प्रभावी नहीं हो पाएगा।
कोविड-19 का टीका 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए उपलब्ध नहीं है। जिन बच्चों को एलर्जी है, उन्हें वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। यदि आपके बच्चे को पहली खुराक से एलर्जी हुई थी, तो दूसरी खुराक लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें।
वैक्सीन से कोविड-19 बीमारी नहीं हो सकती है। Covaxin मौसमी फ्लू के टीके की तरह एक निष्क्रिय होल वायरस वैक्सीन है। कॉर्बेवैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, जो हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन और कुछ फ्लू वैक्सीन की तरह होता है। ZyCoV-D वैक्सीन कोविड वायरस के डीएनए के केवल एक हिस्से का उपयोग करता है। टीकाकरण केंद्र जाने पर कोविड-19 के उचित दिशा-निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
आपको बच्चे का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार जारी रखना चाहिए।
सेकेंड वैक्सीनेशन के 2 सप्ताह बाद बच्चों का पूर्ण टीकाकरण माना जाएगा। पूर्ण टीकाकरण के बाद बच्चे स्थानीय सरकारों द्वारा निर्धारित सभी सावधानियों के साथ उन गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, जिन्हें उन्होंने महामारी के दौरान नहीं किया था।
माइनर साइड इफेक्ट होने के बावजूद बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन सुरक्षित हैं। 5 वर्ष से बड़े बच्चे, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है, को वैक्सीन लगाई जा सकती है।
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