बच्चे पिछले कई महीनों से घरों में बंद हैं। स्कूल और खेल के मैदान खाली हो गए थे और बच्चे पूरी तरह गैजेट्स पर ही निर्भर हो गए थे। जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा था। और इन्हीं दलीलों के साथ 17 महीने बाद एक बार फिर से स्कूल-कॉलेज खोलने का फैसला किया गया है।
यह फैसला कितना सही होगा या नहीं यह हम नहीं बता सकते हैं, मगर माता-पिता का अपने बच्चों के लिए चिंतित होना लाज़मी है। हालांकि, बच्चों को स्कूल भेजना है या नहीं यह अब भी उनके माता-पिता पर ही निर्भर करता है और नयी गाइडलाइंस की मानें तो इसमें कोई ज़बरदस्ती नहीं की जाएगी।
मगर, एक्स्पर्ट्स का कहना है कि बच्चों के जरिये वायरस अपने पैर तेज़ी से पसार रहा है। तो, क्या हम कोविड-19 की तीसरी लहर की ओर खुद बढ़ रहे हैं? इस पर हम सभी को गंभीरता से सोचना होगा।
भारत में 1 सितंबर से कई राज्यों ने स्कूल और कॉलेज खोलने के लिए अनुमति दे दी है, परंतु तीसरी लहर के बीच स्कूल-कॉलेज खोले जाना कई संदेह भी पैदा करता है। कई महीनों से घरों में बंद बच्चो के मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्कूल खोला जाना एक अच्छा फैसला हो सकता है। पर कोविड-19 की तीसरी लहर भी डरा सकती है।
स्कूलों को फिर से खोलने पर मेदांता के अध्यक्ष डॉ एन. त्रेहान का बयान आया है कि – ”भारत में बच्चों का टीकाकरण अभी तक शुरू नहीं हुआ है। यदि ज़्यादा बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, तो हमारे पास उनकी देखभाल के लिए अच्छी सुविधाएं नहीं हैं। हमारी जनसंख्या के आकार को देखते हुए हमें सतर्क रहना चाहिए।”
अगर अमेरिकन एकेडमी पेडियाट्रिक्स के आंकड़ों की मानें तो अमेरिका में पिछले सप्ताह स्कूल खुलने के बाद 1.80 लाख बच्चे संक्रमित हुये हैं। स्कूल खुलने के बाद से बच्चों में संक्रामण के मामले में 48 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
तो वहीं भारत में स्कूल खुलने के बाद तेज़ी से बच्चों में कोविड- 19 के मामलों वृद्धि देखने को मिली। जहां हिमाचल प्रदेश के कुल्लु जिले में एक दिन में 62 बच्चे संक्रमित हुये, वहीं हरियाणा में भी 54 बच्चे पॉज़िटिव पाये गए।
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कस्टमाइज़ करेंयह डर अभी कम नहीं हुआ था कि दक्षिण अफ्रीका में C.1.2 नामक एक और नए वेरिएंट का पता चला है, जो दुनिया भर के अधिकारियों के लिए प्रमुख चिंता का विषय बन गया है।
दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाज़ुलु-नेटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म (केआरआईएसपी) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, सी.1.2 वेरिएंट का म्यूटेशन रेट लगभग 41.8 है, जो अन्य वेरिएंट से लगभग दोगुना है।
अध्ययन से यह भी पता चला है कि म्यूटेशन वायरस को एंटीबॉडी और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचने में मदद कर सकते हैं, जो अल्फा या बीटा वेरिएंट से पिछले संक्रमणों से प्राप्त हुए हैं।
इन सब के बीच लोग आज भी आपको सड़कों पर बिना मास्क लगाए हुये दिख जाएंगे, सोश्ल डिस्टेंसिंग तो दूर की बात है। साथ ही, यह बारिश का मौसम है और हम अन्य बीमारियों के जोखिम को भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं।
तो, अब यह पूरी तरह से हम सभी के ऊपर निर्भर करता है कि तीसरी लहर कैसा रूप लेती है!
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