सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है। यह एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है। हर साल हजारों महिलाएं इस बीमारी से अपनी जान गंवा देती हैं। हाल के वर्षों में सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) वैक्सीन आशा की किरण बन कर उभरी है। यह सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लड़ाई में नए युग की शुरुआत का संकेत है। यह टीका केवल रोग को खात्म ही नहीं करता है, बल्कि मरीज की लाइफ क्वालिटी भी इम्प्रूव करता है। अच्छी बात यह कि अब भारत में भी सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन (Indian Cervical cancer vaccine) बनने लगी है। सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer awareness month) जागरुकता माह में आइए आज इस वैक्सीन के बारे में जानते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं को हर पांच से दस साल में सर्वाइकल कैंसर की जांच करानी चाहिए। जल्दी पता लगने से उपचार की सफलता और जीवित रहने की संभावना बढ़ाई जा सकती है।
इस दिशानिर्देश का वास्तविक कार्यान्वयन एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करता है। खासकर भारत जैसे देश में, यहां सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौतों का दूसरा प्रमुख कारण बना हुआ है। हर साल 70,000 महिलाओं की जान इससे चली जाती है। यह आंकड़ा बीमारी के वैश्विक बोझ का एक-चौथाई हिस्सा है।
30-49 आयु वर्ग की भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच करवाने के मामले काफी कम हैं। ऐसी महिलाएं 2 प्रतिशत से भी कम हैं, जिन्होंने कभी इसके लिए स्क्रीनिंग करवाई। इसके कारण देश में सर्वाइकल कैंसर के निरंतर प्रसार और हाई डेथ रेट का एक प्रमुख कारक बना हुआ है। सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन ह्यूमन पेपिलोमावायरस को लक्षित करती है, जिसे सर्वाइकल कैंसर का प्राथमिक कारण माना जाता है।
एचपीवी एक सामान्य वायरस है। अधिकांश यौन सक्रिय व्यक्तियों को अपने जीवन में किसी न किसी समय इसके संक्रमण का जोखिम रहता है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर वायरस को स्वाभाविक रूप से साफ कर देती है। कुछ मामलों में, यह बना रह सकता है और गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकता है।
एचपीवी वैक्सीन एचपीवी के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करती है। इससे प्रारंभिक संक्रमण और बाद में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के विकास को रोका जा सकता है।
अध्ययनों से पता चला है कि वायरस के संपर्क में आने से पहले टीका लगाने पर यह 90% तक सर्वाइकल कैंसर को रोक सकता है। वैक्सीन का प्रभाव गेम-चेंजर के समान है। सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एचपीवी वैक्सीन महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इससे गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की घटनाएं कम हो सकती हैं।
भारत सहित कई क्षेत्रों में वैक्सीन लेने में कई बाधाएं हैं। इनमें जागरुकता की कमी, कल्चरल स्टिग्मा, लागत और पहुंच संबंधी मुद्दे शामिल हैं। इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और सामुदायिक नेताओं के ठोस प्रयास की जरूरत है। शिक्षा और जागरूकता पर केंद्रित सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान वैक्सीन के बारे में भ्रामक और गलत सूचनाओं को दूर करने के लिए जरूरी है।
सरकारों को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में एचपीवी वैक्सीन को शामिल करने को प्राथमिकता देनी होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी के लिए सस्ती और सुलभ हो। वैक्सीन की पहुंच और प्रभावशीलता को भी बढ़ाना होगा।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) भारत की पहली एचपीवी वैक्सीन सर्ववैक (Cervavac) का निर्माण कर रही है। वर्तमान में उपलब्ध टीकों की ज्ञात प्रभावशीलता ने लाइसेंस मार्ग को प्रैक्टिकली विजिबल बना दिया है।
अध्ययनों में पाया गया है कि बीमारी के खिलाफ प्रभावकारिता साबित करने की पारंपरिक विधि की तुलना में यह कम महंगा और समय लेने वाला (less expensive and time-consuming ) है। यह अन्य एचपीवी टीकों के डेवलपमेंट में तेजी ला सकता है, जो वर्तमान में डेवलप हो रही हैं।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहली स्वदेशी HPV वैक्सीन (Cervavac) तैयार की है। वर्तमान में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास सर्ववैक वैक्सीन के लिए लगभग 20-30 लाख खुराक की उत्पादन क्षमता है। उनका इरादा इस क्षमता को और बढ़ाने का है। यह वैक्सीन निजी बाज़ार में उपलब्ध है और इसकी कीमत लगभग ₹2000 प्रति खुराक है। इस तरह यह जन सामान्य में आसानी से उपलब्ध है।
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