मौसम में बदलाव के साथ ही मलेरिया और डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप भारत और दुनिया भर के कई गर्म एवं विकासशील देशों में बढ़ जाता है। जो कई बार बड़ी मानव आबादी के नुकसान का कारण भी बनता है। मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों में अगर लापरवाही की जाए, तो ये दोनों ही जानलेवा साबित हो सकती हैं। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) मलेरिया की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन को बहुत अधिक जरूरी बताता है। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन ने 2021 तक मलेरिया के लिए आरटीएस, एस/एएसजीरोवन (RTS,S/AS01) टीका बताया था। अब संस्था ने एक नए टीके आर21/मैट्रिक्स-एम की सिफारिश की है। यह टीका सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से तैयार हुआ है। आइये जानते हैं कि यह टीका पहले के टीके (R 21 Vaccine for Malaria) से कितना अलग है।
आरटीएस एस/एएसजीरोएक (RTS,S/AS01) वैक्सीन के बाद वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन (WHO) ने दूसरी मलेरिया वैक्सीन आर 21/मैट्रिक्स-एम (R 21/Matrix-M) की अनुशंसा की है। हालांकि दोनों टीके बच्चों में मलेरिया को रोकने के लिए सुरक्षित और प्रभावी (Vaccination for malaria) हैं। संस्था के अनुसार व्यापक रूप से लागू करने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी बढ़िया प्रभाव पड़ेगा। दरअसल, मलेरिया अफ्रीकी देशों में बच्चों को प्रभावित करता है। जहां हर साल लगभग पांच लाख बच्चे इस बीमारी से मर जाते हैं।
दुनिया भर में मलेरिया के टीकों की मांग बहुत अधिक होती है। आरटीएस, एस की आपूर्ति सीमित है। डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित मलेरिया टीकों की सूची में आर 21 को शामिल करने से उन क्षेत्रों में रहने वाले सभी बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए पर्याप्त टीके की आपूर्ति होने की उम्मीद है, जहां मलेरिया सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस के अनुसार, आरटीएस, एस वैक्सीन की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है। इसलिए यह दूसरा टीका बच्चों को तेजी से बचाने और दुनिया को मलेरिया मुक्त बनाने में मदद करेगा। व्यापक रूप से पेश किए गए दोनों टीके मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण के प्रयासों को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन की साइट के अनुसार, मलेरिया जब बहुत तेजी से फैलने वाला हो, तो उसके ठीक पहले दिए जाने पर इसका प्रभाव सबसे अधिक होता है। R21 वैक्सीन मलेरिया के मामलों को 75% तक कम कर सकता है। लगातार 3-खुराक देने के 12 महीने बाद चौथी खुराक दी जाती है। इसका प्रभाव सबसे अधिक देखा जाता है। R21 वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षणों में पूरी तरह सुरक्षित (Safe Malaria Vaccine) पाया गया। अफ़्रीका के कम से कम 28 देश अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन अपना रहे हैं।
आरटीएस एस की तरह आर 21 मलेरिया वैक्सीन की भी कई खुराक दी जाती है। बाद में बूस्टर डोज (Booster Dose of Malaria Vaccine) की भी जरूरत पड़ती है। दोनों टीके प्लास्मोडियम पैरासाइट से प्रोटीन के साथ इम्युनिटी उत्पन्न करते हैं, जो मलेरिया का कारण बनता है। नए टीके में एक अलग तरह का प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाला एजेंट या सहायक होता है। इसका उत्पादन आरटीएस, एस में इस्तेमाल होने वाले की तुलना में कुछ हद तक आसान है।
वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India malaria vaccine) द्वारा यूरोपीय और विकासशील देशों के क्लिनिकल ट्रायल पार्टनरशिप (EDCTP), वेलकम ट्रस्ट और यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) के सहयोग से विकसित किया गया।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित आर21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन को आवश्यक सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावशीलता मानकों को पूरा करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा उपयोग के लिए अनुशंसित किया गया। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अनुसार, डब्ल्यूएचओ से अनुमोदन मिलने के बाद आर21/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन खुराक अगले साल की शुरुआत में व्यापक रूप से तैयार हो सकती है।
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