Probiotics : मेटाबॉलिज्म को बूस्ट कर मोटापा और डायबिटीज कंट्रोल कर सकते हैं प्रोबायोटिक्स, जानिए कैसे

मोटापा, डायबिटीज, फैटी लिवर डिजीज आदि मेटाबोलिज्म से जुड़े रोग हैं। इनके जोखिम को कम करने के लिए अपने आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल किया जा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं ये आपको एक्टिव और ज्यादा प्रोडक्टिव लाइफ देने में मददगार हो सकते हैं।
Jaanein kaise gut health ko kaise majboot karte hain probiotics
आहार में योगर्ट और किमची समेत प्रोबायोटिक्स को शामिल करें। इससे शरीर को हेल्दी माइक्रोऑर्गेनिज्म की प्राप्ति होती है। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 10:06 am IST
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पौष्टिक तत्वों से भरपूर खानपान हमें स्वस्थ रखता है। यह हार्ट हेल्थ और बोन हेल्थ को मजबूती देता है। साथ ही, वजन नियंत्रित कर हमें मेंटल हेल्थ और इंटिमेट हेल्थ के प्रॉब्लम को भी दूर रखता है। शरीर की सबसे जरूरी क्रिया मेटाबोलिज्म को सक्रिय करता है। यदि शरीर की मेटाबोलिक एक्टिविटी सही होगी, तो हम ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रहेंगे। पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है प्रोबायोटिक्स। यह मेटाबोलिज्म के लिए सबसे जरूरी फ़ूड है। विशेषज्ञ और शोध के माध्यम से जानते हैं कि प्रोबायोटिक्स मेटाबोलिज्म के (Probiotics for Metabolism) लिए कितना जरूरी है।

क्या है प्रोबायोटिक्स (Probiotics) 

जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च के अनुसार, प्रोबायोटिक्स जीवित सूक्ष्मजीव (Micro Organism) होते हैं। ये स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होते हैं। दही के अलावा, अन्य फरमेंट किये गये खाद्य पदार्थों में ये पाए जा सकते हैं। फरमेंट किये गये खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से प्रोबायोटिक्स होते हैं। दही, केफिर, कोम्बुचा, सौकरकूट, अचार, मिसो, किमची, सोरडॉफ़ ब्रेड और कुछ चीज़ भी इनमें शामिल हैं। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया, ग्राम-पॉजिटिव माइक्रोब शामिल हैं। इनका उपयोग दही, पनीर, अचार बनाने में किया जाता रहा है।

इंटेस्टाइन माइक्रोबायोटा (Microbiota) पर कैसा प्रभाव डालते हैं  प्रोबायोटिक्स

जर्नल ऑफ़ क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक रीसर्च में प्रोबायोटिक्स के मेटाबोलिज्म पर प्रभाव पर हुए शोध आलेख को प्रकाशित किया गया। शोध आलेख के अनुसार, शोधकर्ता जूही अग्रवाल, गौरव स्वामी और मयूर कुमार ने बताया कि लैक्टोबैसिलस युक्त प्रोबायोटिक इंटेस्टाइन माइक्रोबायोटा पर पॉजिटिव रूप से प्रभाव डालते हैं। इससे शरीर के वजन, ग्लूकोज और फैट के मेटाबोलिज्म, इंसुलिन संवेदनशीलता और क्रोनिक इन्फ्लेमेशन पर लाभकारी प्रभाव हो सकता है। प्रोबायोटिक्स लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं, जिनका व्यापक रूप से चिकित्सीय कार्यों में उपयोग किया जाता है और खाद्य पदार्थों में जोड़ा जाता है।

गट फ्रेंडली फ़ूड हैं प्रोबायोटिक (Gut Friendly Probiotics)

गट हेल्थ  न्यूट्रीशनिष्ट पायल कोठारी अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं, प्रोबायोटिक गट फ्रेंडली फ़ूड हैं। यदि आपका गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ बढिया है, तो इससे आपका शरीर और लाइफ के बीच बैलेंस बना रहेगा। इससे कई तरह के रोगों से बचाव किया जा सकता है। गट फ्रेंडली फ़ूड से प्रोबायोटिक से आपका मेटाबोलिज्म भी सक्रिय होगा। मेटाबोलिज्म रेट को बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है अपने दैनिक दिनचर्या में प्रोबायोटिक फ़ूड जोड़ना। यह गट माइक्रोबायोम के बैक्टीरिया की आबादी को संतुलित करने में मदद करता है।

मेटाबोलिज्म रेट को बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है अपने दैनिक दिनचर्या में प्रोबायोटिक फ़ूड जोड़ना। चित्र : शटर स्टॉक

कैसे सक्रिय करता है मेटाबोलिज्म (Metabolism) को

आप जो डाइट लेती हैं, प्रोबायोटिक्स भोजन से अवशोषित कैलोरी की संख्या को कम कर सकते हैं। यह आपके हंगर पैंग्स को कम करता है। यह शरीर में फैट डीपोजिशन से संबंधित हार्मोन और प्रोटीन के स्तर को भी प्रभावित करता है। कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि प्रोबायोटिक सूजन को कम करता है। मेटाबोलिक रेट कम होने और इन्फ्लेमेशन बढ़ने पर ही मोटापा बढ़ जाता है। प्रोबायोटिक इन दोनों क्रियाओं को लाभान्वित करता है। इससे वेट लॉस में मदद मिलती है।

मेटाबोलिक रोगों के जोखिम को घटा सकता है प्रोबायोटिक्स

ऐसे कई अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि प्रोबायोटिक्स मेटाबोलिक रोगों पर बढिया प्रभाव डालते हैं। ये टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा और नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज सहित कई प्रकार की मेटाबोलिक स्थितियों का इलाज करने में मदद कर सकते हैं।

मेटाबोलिक सिंड्रोम – हाई ब्लड प्रेशर, बैली फैट, इंसुलिन रेसिस्टेंस और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों का जोखिम कम करने में प्रोबायोटिक्स मदद कर सकते हैं।

प्रोबायोटिक्स लिपिड पेरोक्सीडेशन को कम कर लिपिड मेटाबोलिज्म में सुधार करते हैं। चित्र : शटर स्टॉक

लैक्टोबैसिली पित्त एसिड बनाने के लिए आंत में पित्त लवण को विघटित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस तरह मिसेल गठन को रोकते हैं। प्रोबायोटिक्स लिपिड पेरोक्सीडेशन को कम कर लिपिड मेटाबोलिज्म में सुधार करते हैं। हफ्तों तक आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल करने से इम्युनिटी में सुधार हुआ। इससे मधुमेह से बचाव किया जा सका।

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