देश में हजारों लोग ऑफिस में या घर पर कंप्यूटर में आधे से ज्यादा दिन काम करते हुए बिताते है, कोरोना के बाद से वर्क फार्म होम के बाद ये समय और ज्यादा बढ़ गया है। ऐसा कोई लिमिट अभी भी तय नहीं है कि कितनी देर कंप्यूटर के सामने बैठ कर काम करना चाहिए। लेकिन एक स्टडी में ये दावा किया गया है कि .ज्यादा देर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने काम करने से आपको डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोग जैसी समस्या हो सकती है। ज्यादा नहीं तो हफ्ते के 5 दिन तो स्क्रीन टाइम होता ही है।
यूके नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) की मानें तो “लोगों को प्रत्येक दिन कितना समय बैठना चाहिए, इस पर समय सीमा निर्धारित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।” अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के बिहेवियरल मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर कीथ डियाज़ के नेतृत्व में एक शोध किया गया। उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि पूरे दिन बैठे रहने से होने वाले जोखिम को कैसे कम किया जाए, बिना अपनी नौकरी छोड़े।
शोध में 11 स्वस्थ मध्यम आयु वर्ग और वयस्कों को आठ घंटे के लिए प्रयोगशाला में बैठाया गया पांच अलग-अलग दिनों में उनके स्वास्थ्य को जांचा गया। एक दिन सभी प्रतिभागियों को केवल बाथरूम का उपयोग करने के लिए ब्रेक दिया गया और पूरे आठ घंटे बैठाया गया। अन्य दिनों में, हल्की वॉक के साथ बैठया गया और हर दिन इस वॉक को थोड़ा बढ़ाया गया। उदाहरण के लिए, एक दिन प्रतिभागियों ने हर आधे घंटे में एक मिनट के लिए वॉक की। दूसरे दिन वे हर घंटे पांच मिनट वॉक करते थे।
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इस शोध का लक्ष्य यह था कि क्या काम के दौरान हल्की वॉक करने से ज्यादा देर बैठने से होने वाले जोखिमों को कम किया जा सकता है क्या? इस शोध में पाया गया कि पूरे दिन बैठे रहने की बजाय हर आधे घंटे में पांच मिनट की हल्की सैर ने ब्लड शुगर के स्तर को काफी हद तक कम कर दिया।
शारीरिक स्वास्थ्य लाभों के अलावा, वॉक के लिए ब्रेक से मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव देखा गया। अध्ययन के दौरान, प्रतिभागियों से एक प्रश्नावली के माध्यम से उनकी मानसिक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए कहा और देखा गया कि पूरे दिन बैठे रहने की तुलना में, हर आधे घंटे में पांच मिनट की हल्का वॉक थकान को कम करती है, प्रतिभागियों को बेहतर मूड में रखती है और उन्हें अधिक ऊर्जावान महसूस करने में मदद करती है।
जो लोग लगातार घंटों बैठे रहते हैं उनमें मधुमेह, हृदय रोग, और कई प्रकार के कैंसर जैसा खतरा उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक होता है, जो बैठने के साथ वॉक भी करते हैं। एक गतिहीन जीवन शैली भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है।
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मायो क्लिनिक के अनुसार पूरा दिन बैठने की बजाय हर 30 मिनट में ब्रेक लें।
फोन पर बात करते समय या टेलीविजन देखते समय खड़े रहें।
यदि आप किसी डेस्क पर काम करते हैं, तो एक ऊंचा टेबल देखें जिस पर आप खड़े होकर काम कर सकें।
मीटिंग के लिए अपने सहकर्मियों के साथ कांफ्रेंस रूम में बैठने के बजाय पैदल चलें।
इस स्टडी से साफ हो गया कि पूरा दिन बैठने की तुलना में सिर्फ हर आधे घंटे में पांच मिनट की वॉक की जाए तो पूरा दिन बैठने से होने वाले जोखिमों तो कम किया जा सकता है। इससे कर्मचारियों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। जिसकी वजह से उन्हे थकावट महसूस नहीं होती है।
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