उम्र के साथ शरीर के सभी अंगों के साथ-साथ मस्तिष्क में भी परिवर्तन होते हैं। डिमेंशिया या मनोभ्रंश उनमें से एक है। इसके कारण व्यक्ति की सोचने-समझने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। इससे होने वाला मेमोरी लॉस व्यक्ति के दैनिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। हालांकि मेमोरी लॉस यह कोई विशेष बीमारी नहीं है, लेकिन यह और कई अन्य बीमारियां डिमेंशिया का कारण बन सकती हैं। अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में किया गया शोध बताता है कि जब डिमेंशिया के मरीज में ब्रेन के चारों ओर स्थित सेरेब्रोस्पिनल फ्लूइड के रिसाव की पहचान कर ली जाये, तो ब्रेन सैगिंग (Brain Sagging) यानी मस्तिष्क की शिथिलता (dementia causes) को कम किया जा सकता है।
अमेरिका के लॉस एंजिल्स स्थित सीडर सिनाई मेडिकल सेंटर ने बिहेवियर वैरिएंट फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया के मरीज पर गहन स्टडी की। उन्होंने बताया कि अब तक इसे लाइलाज स्थिति माना जाता रहा है। इसके कारण रोगियों का व्यवहार और दैनिक जीवन कार्यप्रणाली की क्षमता प्रभावित होती है। कई रोगियों को संज्ञानात्मक, व्यवहारिक और व्यक्तित्व में गंभीर परिवर्तन हो जाते (dementia causes)हैं। इसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ता है। यह शोध अल्जाइमर एंड डिमेंशिया: ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड क्लिनिकल इंटरवेंशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के निष्कर्ष डिमेंशिया का इलाज बता सकते हैं। यदि फ्लूइड के रिसाव का पता लगा लिया जाए, तो रोगियों को ठीक किया जा सकता है।
सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF) मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को चोट से बचाने में मदद करने के लिए इनके आसपास मौजूद रहता है। जब यह द्रव रिसने लगता है, तो मस्तिष्क शिथिल हो सकता है। इससे डिमेंशिया के लक्षण पैदा हो सकते हैं। शोधकर्ता के अनुसार, ब्रेन सैगिंग के बारे में एमआरआई के माध्यम से पता लगाया जा सकता है।
मरीज के गंभीर सिरदर्द के इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। यदि रोगी लेटने पर बेहतर महसूस करता है या रात की पर्याप्त नींद के बावजूद नींद आती रहती है, तो ये डिमेंशिया के संकेत हो सकते हैं। रोगी को पूर्व में कभी किसी ख़ास मस्तिष्क विकृति का निदान किया गया है। एक ऐसी स्थिति जिसमें ब्रेन टिश्यू रीढ़ की हड्डी में फैल जाते हैं।
यहां तक कि जब ब्रेन सैगिंग का पता चल जाता है, तो बाद में सीएसएफ (CSF) रिसाव के स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। जब द्रव आसपास की झिल्ली में टीयर या सिस्ट के माध्यम से लीक होता है, तो यह सीटी माइलोग्राम इमेजिंग की सहायता से ही दिखाई देता है।
सीएसएफ की लीकेज का कारण वेन फिस्टुला भी हो सकता है। इन मामलों में द्रव वेन में लीक हो जाता है। इसे नियमित सीटी माइलोग्राम पर देखना मुश्किल हो जाता है। इन रिसावों का पता लगाने के लिए एक विशेष सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है।
इस अध्ययन में जांचकर्ताओं ने इस इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल ब्रेन सैगिंग और डिमेंशिया के लक्षणों वाले 21 रोगियों पर किया। उन्होंने उन रोगियों में से नौ में वेन फिस्टुलस की खोज की। सभी नौ रोगियों के फिस्टुलस को सर्जरी से बंद कर दिया गया। उनके मस्तिष्क में शिथिलता या ब्रेन सैगिंग के लक्षण पूरी तरह से खत्म हो गए थे।
बाकी के 12 प्रतिभागियों, जिनके लीक की पहचान नहीं की जा सकी थी, उनका इलाज प्रचलित उपचारों के साथ किया गया। इनमें से केवल तीन रोगियों ने अपने लक्षणों से राहत महसूस की।
हालांकि यह विशेष इमेजिंग व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है। इसलिए यह अध्ययन लक्षण की पहचान और इलाज दरों में सुधार के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता का सुझाव देता है।
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