हेयर स्ट्रैटनिंग प्रोडक्ट बढ़ा सकते हैं गर्भाशय के कैंसर का जोखिम : रिसर्च

त्योहार में हेयर स्ट्रैटनिंग करानेवाली हैं या किसी दूसरे हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने वाली हैं, तो इनके इनग्रीडिएंट की जांच अच्छी तरह कर लें। अमेरिका की हालिया स्टडी बताती है कि हेयर प्रोडक्ट यूटरीन कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
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हेयर स्ट्रैटनिंग के बाद बालों का रखना पड़ता है खास ध्यान। चित्र शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 09:44 am IST
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क्या त्योहारी सीजन में आप अपने बालों की स्ट्रैटनिंग के लिए हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने वाली हैं। या दूसरे किसी भी तरह के हेयर मेकअप के लिए केमिकल वाले हेयर प्रोडक्ट का प्रयोग करने वाली हैं। तो यहां पर आपको सतर्क होने की जरूरत है। इन सारे प्रोडक्ट का चुनाव आपको बेहद सावधानी के साथ करना होगा। हाल में हुए रिसर्च के निष्कर्ष बताते हैं कि हेयर स्ट्रेटनर और कई दूसरे हेयर प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल यूटरीन कैंसर का कारक (hair straightening product cause cancer) बन सकते हैं।

क्या है रिसर्च

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की पत्रिका जर्नल ऑफ़ द नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट में एक स्टडी प्रकाशित हुई। इस स्टडी के अनुसार, जो महिलाएं अपने बालों पर हेयर स्ट्रेटनर और कई दूसरे हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें यूटरीन कैंसर होने का जोखिम अधिक होता है। इस स्टडी को चे-जंग चांग, ​​​​ केटी एम ओब्रायन, अलेक्जेंडर पी कील, चंद्र एल जैक्सन आदि की टीम ने अंजाम दिया। इस स्टडी को अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ ने भी मान्यता दी है।

हेयर प्रोडक्ट्स में हो सकते हैं कार्सिनोजेनिक गुणों वाले रसायन

पिछले कई अध्ययनों में पाया गया कि हेयर प्रोडक्ट्स में कार्सिनोजेनिक गुणों वाले खतरनाक रसायन हो सकते हैं। इनका उपयोग करने पर ब्रैस्ट, ओवेरियन कैंसर और हार्मोनल इमबैलेंस कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। अब तक गर्भाशय कैंसर पर हेयर प्रोडक्ट के प्रभावों का अध्ययन नहीं किया गया था। हालिया स्टडी ने गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) के साथ इन प्रोडक्ट के संबंधों की जांच की। इस जांच के आधार पर पाया कि हेयर स्ट्रैटनिंग के प्रोडक्ट और दूसरे हेयर प्रोडक्ट गर्भाशय कैंसर के जोखिम को बढ़ा (hair straightening product cause cancer) देते हैं।

स्टडी के लिए 35-74 वर्ष की आयु की 33947 महिलाओं को शामिल किया गया। एक क्वेश्चनेयर तैयार किया गया। पिछले 12 महीनों में  प्रतिभागियों ने किन-किन हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया, इसके आधार पर उनसे प्रश्न पूछे गये। इनमें से 378 महिलाएं गर्भाशय कैंसर की शिकार पाई गईं, जिन्होंने 12 महीनों में 4 बार हेयर स्ट्रैटनिंग सहित कुछ अन्य हेयर प्रोडक्ट का भी इस्तेमाल किया था।

इसके अलावा, जिन महिलाओं ने साल भर तक शारीरिक गतिविधियां कम की और स्ट्रेटनर का प्रयोग किया, उनमें ज्यादा शारीरिक गतिविधियां करने वाली और स्ट्रेटनर का उपयोग करने वाली महिलाओं की तुलना में गर्भाशय कैंसर का जोखिम अधिक पाया गया।

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रिसर्च में हेयर स्ट्रेटनर का उपयोग करने वाली महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का जोखिम अधिक पाया गया। चित्र : शटरस्टॉक

हालांकि स्टडी के निष्कर्ष में यह भी जोर दिया गया कि इस दिशा में और अधिक शोध की आवश्यकता है।

भारत में गर्भाशय कैंसर के मामले

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, 100 में से 3 महिलाओं को कभी न कभी गर्भाशय कैंसर होने की संभावना बनती है। भारत की तुलना में पश्चिमी देशों में गर्भाशय कैंसर के मामले अधिक देखे जाते हैं।

यूटेरिन कैंसर की बजाय यहां ओवेरियन कैंसर और सर्विकल कैंसर के मामले अधिक पाए जाते हैं।

क्या हैं गर्भाशय कैंसर के लक्षण

गर्भाशय कैंसर अक्सर कम उम्र में पता लग सकता है।

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गर्भाशय कैंसर में ब्लीडिंग बहुत अधिक होती है। चित्र : शटरस्टॉक

इसमें ब्लीडिंग बहुत अधिक होती है। भोजन लेने के समय पेट भरा हुआ महसूस होना या खाने में कठिनाई महसूस करना, ब्लोटिंग, स्टमक पैन, बैक पेन आदि इसके सामान्य लक्षण हैं। पेल्विक पेन या प्रेशर भी महसूस किया जा सकता है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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