डायबिटीज के रोगी जिंदगी में मिठास बनाए रखने के लिए आर्टिफिशियल शुगर का स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं। जिसके लिए बाज़ार में कई ब्रांड्स उपलब्ध हैं। इनमें ज्यादातर आर्टिफिशियल स्वीटनर गोलियों के रूप में मिलते हैं। डायबिटीज से जूझ रहे कई रोगी इस पर भरोसा करते हैं। दिन की शुरुआत में चाय से लेकर रात के खाने में डेजर्ट तक इन गोलियों का सेवन करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस कृत्रिम मिठास (Artificial sweetener) का आपकी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? हाल ही में किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि आर्टिफिशियल स्वीटनर आपको कैंसर के जोखिम (Artificial sweeteners cause cancer) में भी डाल सकता है!
आर्टिफिशियल स्वीटनर्स इन दिनों ट्रेंड में हैं। सिर्फ डायबिटीज रोगी ही नहीं, बल्कि वेट लॉस के लिए भी ज्यादातर लोग इनका इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। हालांकि ये आपके भोजन में मिठास घोलने के साथ ही आपको ज्यादा कैलोरी से बचाए रखते हैं। जिससे लोग इन्हें वेट लॉस डाइट में भी शामिल करते हैं।
जबकि अध्ययन कहता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का ज्यादा सेवन आपको वेट गेन के साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम में भी डाल सकता है। का जोखिम ज्यादा पैदा कर सकते हैं जो आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन नहीं करते।
पियर रिव्यूड जर्नल पर मौजूद जानकारी के अनुसार आर्टिफिशियल या शुगर सब्सीट्यूट एक प्रकार का केमिकल युक्त स्वीटनर है। जिससे खाद्य पदार्थ में मिठास लाई जा सकती है। इसे प्राकृतिक चीनी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। लोग अक्सर आर्टिफिशियल स्वीटनर को इंटेंस स्वीटनर के रूप में संदर्भित करते हैं। हालांकि चीनी के मुकाबले इन में कैलोरी काफी कम होती है। यही कारण है कि डायबिटीज के रोगी इसे चीनी के एक स्वस्थ विकल्प के रूप में देखते हैं।
इस अध्ययन को फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च और सोरबोन पेरिस नॉर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया। जिसे जर्नल पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन मुख्य रूप से इस बात पर गौर करता है कि जो लोग बड़ी मात्रा में आर्टिफिशियल स्वीटनर, खासकर एस्पार्टेम और एसेसल्फ़ेम-के का सेवन करते हैं, उनमें गैर-उपभोक्ताओं की तुलना में समग्र कैंसर का खतरा अधिक होता है। शोधकर्ताओं द्वारा स्तन कैंसर और मोटापे से संबंधित कैंसर के लिए उच्च जोखिम देखा गया।
वहीं फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च के शार्लोट डेब्रास लिखते हैं, “हमारे निष्कर्ष खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों में चीनी के सुरक्षित विकल्प के रूप में आर्टिफिशियल स्वीटनर के उपयोग का समर्थन नहीं करते। बल्कि उनके संभावित प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में महत्वपूर्ण और नई जानकारी प्रदान करते हैं।”
वे आगे कहते हैं, हमारे इस अध्ययन के परिणाम विवो/ इनविट्रो अध्ययनों में कई प्रयोगों के अनुरूप हैं, जिन्होंने कैंसर और आर्टिफिशियल स्वीटनर के बीच संबंध का भी दावा किया है।
इस अध्ययन को सफलतापूर्वक करने के लिए फ्रांस में इंसर्म और सोरबोन पेरिस नॉर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने करीब फ्रांस के 102,865 वयस्कों का डाटा जमा कर उसका विश्लेषण किया। इस अध्ययन में सभी प्रतिभागियों ने स्वेच्छा से और स्वयं-रिपोर्ट किए गए चिकित्सा इतिहास, समाजशास्त्र, आहार, जीवन शैली और स्वास्थ्य डेटा को नामांकित किया।
शोधकर्ताओं ने 24 घंटे के आहार रिकॉर्ड से आर्टिफिशियल स्वीटनर के सेवन से संबंधित डेटा एकत्र किया।फॉलो-अप के दौरान कैंसर निदान जानकारी एकत्र करने के बाद, शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल स्वीटनर के सेवन और कैंसर के जोखिम के बीच संबंधों को पाया।
इस अध्ययन के परिणाम इस ओर इशारा करते हैं कि दुनिया भर में कई खाद पदार्थ और ड्रिंक्स के ब्रांड में आर्टिफिशियल शुगर का उपयोग किया जाता है। ये कैंसर के जोखिम कारक हो सकते हैं, जिसमें महिलाओं में ज्यादातर ब्रेस्ट कैंसर शामिल है। अध्ययन का यह निष्कर्ष यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण और विश्व स्तर पर अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा खाद्य योज्य मिठास के चल रहे पुनर्मूल्यांकन के संदर्भ में भी नई जानकारी प्रदान करता है।
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