अगर आप दिल्‍ली-एनसीआर में रहती हैं, तो आपको जरूर पढ़नी चाहिए लांसेट में प्रकाशित यह स्‍टडी

वायु प्रदूषण भारतीयों के लिए सबसे घातक समस्‍या है, पिछले वर्ष इससे लाखों लोगों की जान चली गई थी।
वायु प्रदूषण भारतीयों के लिए सबसे घातक समस्‍या। चित्र: शटरस्‍टॉक
वायु प्रदूषण भारतीयों के लिए सबसे घातक समस्‍या। चित्र: शटरस्‍टॉक
योगिता यादव Published: 19 Oct 2020, 15:00 pm IST
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उत्‍तर भारत खासतौर से दिल्‍ली, पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश आदि इलाकों में रहने वाले लोग जानते हैं कि अक्‍टूबर –नवंबर के महीने उनकी सांस पर जोखिम के महीने होते हैं। हर साल इन दिनों में वायुमंडल में स्‍मॉग का लेवल इतना ज्‍यादा बढ़ जाता है कि सांस लेना जोखिम भरा हो जाता है।

यही वजह है कि भारतीय में मौत की सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण है। यह हम नहीं कह रहे, लांसेट में प्रकाशित ताजा अध्‍ययन में यह बात सामने आई है।

वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ इन दिनों खेतों में पराली जलाई जाने की प्रक्रिया ही जिम्‍मेदार नहीं है। इसके साथ ही ट्रैफि‍क से होने वाले प्रदूषण और देश भर में फैक्ट्रियों की चिमनी से निकलने वाला धुआं भी वायु को प्रदूषित कर रहा है।

भारत में एक अध्ययन के अनुसार 2019 में मौत के सर्वाधिक जोखिम वाले पांच कारकों में वायु प्रदूषण, उच्च रक्तचाप, तंबाकू का सेवन, खराब आहार और रक्त शर्करा का उच्च स्तर रहे।

लांसेट में प्रकाशित अध्‍ययन के अनुसार उम्र बढ़ी है, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य पर खतरे बरकरार हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

लांसेट में प्रकाशित अध्‍ययन के अनुसार उम्र बढ़ी है, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य पर खतरे बरकरार हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

जानिए क्‍या कहती है लांसेट में प्रकाशित स्‍टडी

लांसेट पत्रिका में प्रकाशित ‘द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज (जीबीडी) में दुनियाभर में 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में मौत के 286 से अधिक कारणों और 369 बीमारियों आदि का अध्ययन किया गया।

अध्ययन में पता चला है कि भारत में 1990 से ले कर पिछले तीन दशक में जीवन प्रत्याशा 10 वर्ष से अधिक बढ़ी है, लेकिन इन मामलों में राज्यों के बीच काफी असमानता है।

पिछले तीन दशक में बढ़ा है सवास्‍थ्‍य के लिए जोखिम

अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 59.6 वर्ष थी जो 2019 में बढ़कर 70.8 वर्ष हो गई। केरल में यह 77.3 वर्ष है वहीं उत्तर प्रदेश में 66.9 वर्ष है।

अध्ययन में शामिल गांधीनगर के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के श्रीनिवास गोली कहते हैं कि भारत में ‘स्वस्थ जीवन प्रत्याशा बढ़ना उतना आकस्मिक नहीं है, जितना जीवन प्रत्याशा बढ़ना क्योंकि ”लोग बीमारी और अक्षमताओं के साथ ज्यादा वर्ष गुजार रहे हैं।

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वायु प्रदूषण मृत्‍यु का एक बड़ा कारण है। चित्र: शटरस्‍टॉक
वायु प्रदूषण मृत्‍यु का एक बड़ा कारण है। चित्र: शटरस्‍टॉक

अध्ययन में पता चला कि भारत में पिछले 30 सालों में सेहत संबंधी नुकसान में सबसे बड़े कारक हृदय रोग, मधुमेह, सीओपीडी और दौरे पड़ने जैसे गैर-संक्रामक रोग हैं।

ये पांच हैं स्‍वास्‍थ्‍य के दुश्‍मन

अध्ययन के अनुसार 2019 में भारत में मौत के जोखिम वाले पांच शीर्ष कारकों में वायु प्रदूषण (लगभग 16.7 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार), उच्च रक्तचाप (14.7 लाख), तंबाकू का उपयोग (12.3 लाख), खराब आहार (11.8 लाख) और उच्च रक्त शर्करा (11.2 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार) हैं।

ब्‍लड प्रेशर का भी रखें ध्‍यान 

वैज्ञानिकों के अनुसार, वायु प्रदूषण के बाद उच्च रक्तचाप तीसरा प्रमुख खतरनाक कारक है जो भारत के आठ राज्यों में 10-20 प्रतिशत तक स्वास्थ्य हानि के लिए जिम्मेदार है।

कोविड-19 कोरोनावायरस ने आम जन और प्रशासन दोनों को समझा दिया है कि स्‍वास्‍थ्‍य ही सबसे बड़ी पूंजी है। और यह स्‍वच्‍छ वातावरण और स्‍वस्‍थ आहार के साथ ही संभव है। इसलिए जरूरी है कि अपना, अपने आहार और अपने पर्यावरण का बहुत ध्‍यान रहें।

(समाचार एजेंसी भाषा से प्राप्‍त इनपुट के साथ )

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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