उम्र बढ़ने के साथ लोगों को कई तरह की बीमारियों से होकर गुज़रना पड़ता है। घुटनों में दर्द, आंखों की कमज़ोरी और पाचन संबधी समस्याओं के अलावा मेमोरी लॉस (Memory loss) भी एक बड़ी समस्या है, जो उम्र के साथ बढ़ृने लगती है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक दुनिया भर में 55 मिलियन से ज्यादा लोग मेमोरी लॉस जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। जबकि डिमेंशिया के सालाना 10 मीलियन मामलों के बढ़ने की आंशका जताई जा रही है। डिमेंशिया वर्तमान में मृत्यु का सातवां प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है। ये समस्या इस कदर फैल रही है कि विश्व स्तर पर वृद्ध लोगों के बीच डिसएबिलिटीऔर डिपेंडेंसी का कारण साबित हो रही है। इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों (Dementia symptoms) को पहचान कर इन्हें कंट्रोल किया जाए।
डिमेंशिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि सामाजिक क्षमताओं और मेमोरी को प्रभावित करने वाला एक कारक है। जो किसी भी बीमारी या चोट लगने से हो सकता है। अल्ज़ाइमर इसकी एक सबसे कॉमन फॉर्म है। इससे 60 से 70 फीसदी मरीज़ ग्रस्त हैं। इसके अलावा लेवी बॉडीज डिमेंशिया और कई प्रकार के रोग हैं, जो डिमेंशिया का कारण साबित होते हैं।
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहेवियरल.वेरिएंट फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया में व्यक्ति के पर्सनेलिटी और उसके बिहेवियर में कुछ परिर्वतन दिखने लगते है। 40 से लेकर 60 साल के लोगों में आमतौर पर इसके लक्षण नज़र आने लगते हैं। इसके चलते उनके इटिंग हेबिट्स में कई तरह के बदलाव महसूस किए जाते हैं। खासतौर से लोगों को मीठा खाना ज्यादा पसंद आने लगता है। कुछ लोग ओवरईटिंग करने लगते है, तो कुछ एल्कोहल के इनटेक को बढ़ा देते हैं।
एक ही बात को बार-बार दोहराते रहना। कई बार सीखने के बाद भी किसी चीज़ को लंबे वक्त तक याद न रख पाना
लोगों के संपर्क में न आना और हर वक्त खुद में ही खोए रहना। नाम भूलने से लेकर कपड़े सही ढंग से न पहन पाना।
घर का रास्त भूल जाना और इस्तेमाल की चीजों को गलत स्थान पर रखना।
हर समय मायूस रहना और किसी भी बात को लेकर परेशान रहना। किसी भी काम में मन न लगना और ही चीज़ से दूर बना लेना।
हालांकि नए शोध के अनुसार मीठे की क्रेविंग बढ़ जाना, आवश्यकता से ज्यादा खाना खाना और अल्कोहल का लगातार सेवन करना भी डिमेंशिया के अनकॉमन लक्षण हो सकते हैं। इसलिए इन पर नजर रखना भी जरूरी है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि डायबिटीज, शुगर और डिमेंशिया आपस में इंटरलिंक्ड है। सामान्य से ज्यादा ब्लड शुगर डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ाने का काम करती है। चीनी और अल्जाइमर दोनों कारक साथ-साथ चलते हैं। मधुमेह न होने पर भी अगर आपको मीठे की क्रेविंग हो रही हैं, तो डिमेंशिया को बढ़ने से रोका नहीं जा सकता है। चीनी की मात्रा का ध्यान रखना ज़रूरी है।
स्टडी के मुताबिक टोटेम्पोरल डिमेंशिया ब्रेन के फ्रंटल और टेम्पोरल लोब को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक जो रोगी फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया से होकर गुज़रता हैं। उसके बिहेवियर में असमानता पाई जाती है। साथ ही खानपान की अदातों में भी बदलाव दिखने लगता है।
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कस्टमाइज़ करेंमाई ऑल अमेरिकन केयर के मुताबिक ग्लूकोज़ हमारे शरीर में एनर्जी का एक प्राइमरी सोर्स है। बाकी अंगों के अलावा हमारे ब्रेन को भी शुगर की आवश्यकता होती है। वहीं, आपके ब्रेन सेल्स ब्लड में से जब शुगर डायरेक्टली लेने लगते हैं और ब्रेन में बहुत सारी शुगर एकि़त हो जाती है। उस वक्त ब्रेन सेल्स शुगर का इस्तेमाल नहीं कर पाते है और वो डैमेज होने लगते हैं। इससे शरीर में डिमेंशिया का खतरा बढ़ने लगता है।
सब्जियों और फलों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर को कई प्रकार की समस्याओं को बचाए रखने का काम करते हैं। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एजिंग (National Institute of Ageing) के मुताबिक आहार में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा को बढ़ाकर डिमेंशिया के लक्षणों की रोकथाम की जा सकती है।
अपनी डाइट में मौसमी फल, सब्जियां, ओमेगा 3 फैटी एसिड और होल ग्रेन वीट को अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें। इसके अलावा हल्दी और ब्लू बैरीज़ में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंटस (Antioxidants) और एंटी इंफ्लामेंटरी (Anti inflammatory) गुण भी पाए जाते हैं। इससे मेमोरी डैमेज स्ट्रोक (Memory damage stroke) का खतरा कम होने लगता है।
होल ग्रेन म्यूस्ली सहित फ्रेश बैरीज़ (Fresh berries) और बादाम ज़रूर लें।
इसके अलावा एक बाउल योगर्ट और ब्लू बैरीज़ को टॉपिंग के तौर पर एड कर सकते हैं।
होल ग्रेन चपाती और ग्रिल्ड चिकन या पनीर की सब्जी खा सकते हैं।
ग्रीन सैलेड समेत टमाटर का सूप ले सकते हैं। इसके अलावा वेजिटेबल ओट्स बाउल खा सकते हैं।
एक रिसर्च के मुताबिक रोज़ान 10 हजार कदम चलकर डिमेंशिया की समस्या दूर हो सकती है। अलग अलग प्रकार के योग और एक्सरसाइज़ के ज़रिए आप खुद को फिट रख सकते है। इसके लिए दिनचर्या में ब्रीदिंग योग मुद्राएं और स्क्वैट एक्सरसाइज समेत डांसिंग और वॉक को रूटीन का हिस्सा बन सकते हैं। अल्ज़ाइमर डॉट ओआरजी के मुताबिक 11 स्टडीज़ में अब तक पाया गया है कि रेगुलर एक्सरसाइज़ डिमेंशिया बढ़ने के जोखिम को लगभग 30 फीसदी तक कम कर सकता है। इसके अलावा खासतौर से अल्जाइमर रोग का खतरा 45 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
यू एस डाइटरी गाइडलाइंस के मुताबिक अल्कोहल इनटेक को घटाकर डिमेंटिया के रिस्क को कम किया जा सकता है। शराब कम मात्रा में पीने से शरीर में 8 फीसदी डिमेंशिया का खतरा टल जाता है। वहीं शरीर में 12 फीसदी अल्ज़ाइमर का खतरा कम होने लगता है।
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