इन दिनों सोशल मीडिया हमारे स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव डाल रहा है। हम जब बीमार पड़ते हैं, तो आराम करने की बजाय हमारा समय सोशल मीडिया पर बीतने लगता है। दरअसल, व्यस्त लाइफस्टाइल के कारण हम सगे-संबंधियों से बातचीत नहीं कर पाते हैं। इसलिए जैसे ही समय मिलता है, हम सोशल मीडिया के जरिये उनसे संपर्क बनाने लगते हैं। हम अपनी स्वास्थ्य चिंता और देखभाल होने की आशा में उनसे संपर्क करना चाहते हैं। हालिया अध्ययन भी कुछ इसी बात की ओर इशारा करते हैं। एक नए अध्ययन से पता चला है कि जो लोग सूजन (Inflammation) से पीड़ित हैं, वे अक्सर दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत करने की उम्मीद में सोशल मीडिया (inflammation and social media) पर अधिक समय बिताते हैं।
ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी जर्नल में इस विषय पर एक शोध निष्कर्ष प्रकाशित हुआ। न्यूयॉर्क स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ बफ़ेलो में कम्युनिकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रकाशित अध्ययन के लेखक डॉ. डेविड एस. ली ने यह स्टडी की थी। इसके अनुसार, जब शरीर सूजन और अन्य बीमारियों को ठीक करने में धीमा हो जाता है, तो लोग अपने फोन को देखने में अधिक समय व्यतीत करते हैं। ली के अनुसार सूजन के बाद आमतौर पर बीमारी से जुड़े व्यवहार और लक्षण शरीर को ठीक होने में मदद कर सकते हैं। दरअसल, मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। जब हम बीमार या घायल होते हैं, तो हमारे लिए दूसरों से संपर्क करना अधिक जरूरी लगने लगता है।
इसके पीछे सामाजिक सहायता और देखभाल मिलने की आशा हो सकती है। लेखक ने स्टडी के आधार पर यह भी निष्कर्ष निकाला कि खराब मौसम का अनुभव करने पर वे दोस्तों के पेजों पर सीधे मैसेजिंग और पोस्टिंग अधिक बार करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सूजन के कारण लोगों ने मनोरंजक वीडियो देखने की बजाय सोशल मीडिया का उपयोग अपनी स्वास्थ्य चिंता के बारे में बताने के लिए किया।
यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसमें 1,800 कॉलेज और मध्यम आयु वर्ग के प्रतिभागियों का विश्लेषण किया गया। स्टडी से संकेत मिला कि सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) दोनों आयु समूहों के बीच सोशल मीडिया के उपयोग को प्रभावित कर सकता है। सीआरपी लिवर में बनता है और सूजन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होता है। यह भी पाया गया कि मध्यम आयु वर्ग के समूह की सोशल मीडिया इंटरैक्शन में ज्यादा बदलाव नहीं आया। इस आयु वर्ग की बढ़ती संख्या के बावजूद वे आमतौर पर ऐसे प्लेटफार्मों का उपयोग दिन में एक बार से भी कम करते हैं। कॉलेज-आयु वर्ग के प्रतिभागियों का अध्ययन करने पर पता चला कि सूजन सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग में योगदान दे सकती है।
सूजन शरीर की रक्षा तंत्र (defence mechanism) का हिस्सा है। इस प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) हानिकारक और बाहरी उत्तेजनाओं (foreign stimuli) को पहचानती है। उसे यह हटा कर उपचार प्रक्रिया शुरू करती है। सूजन एक्यूट या क्रोनिक हो सकती है।
कई अलग-अलग चीजें सूजन का कारण बन सकती हैं। सबसे आम हैं: बैक्टीरिया, वायरस या फंगस जैसे पैथोजेन्स। बाहरी चोटें जैसे खरोंच या किसी वस्तु से होने वाली क्षति जैसे कि उंगली में कांटा गड़ जाना आदि इसके कारण बन सकते हैं।
सूजन कई बीमारियों से जुड़ी हो सकती है। रुमेटीइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून डिजीज भी इसके कारण होता है। हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, फेफड़ों के रोग अस्थमा भी इससे सम्बंधित हैं। क्रोनिक इन्फ्लेमेशन अल्जाइमर, दमा, कैंसर, दिल की बीमारी (Heart Disease), एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS), टाइप 2 डायबिटीज भी इसके कारण हो सकते हैं।
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