हम सारे शरीर पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन दांत और मसूड़ों में तकलीफ को अनदेखा करते रहते हैं। किसी प्रकार के इन्फेक्शन या चोट लगने के कारण मसूड़े में सूजन हो जाती है। इससे वे लाल हो जाते हैं और उनमें खून आ जाता है। फिर हम अपने तरीके से घरेलू उपचार करना शुरू कर देते हैं। ज्यादातर मामलों में यह कारगर नहीं होता है। मसूड़े में सूजन संबंधी समस्या पीरियोडोंटाइटिस (periodontitis) होने का खतरा बनने लगता है। हाल ही में आई एक नई रिसर्च यह दावा कर है कि खराब ओरल हाइजीन सिर्फ हृदय (Oral Hygiene and Heart Disease) संबंधी बीमारी ही नहीं, और भी कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों (Health issues) का कारण बन सकती है।
ओरल हाइजीन खराब होने पर मसूड़ों में गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन की संभावना बनने लगती है। इससे मसूड़ों को नुकसान पहुंचता है और उनमें सूजन होने लगती है। मसूड़ों का लाल होना और दांत खराब होना भी इसके परिणाम हो सकते हैं। इससे जबड़े की हड्डी (Jaw line) के नष्ट का जोखिम भी बढ़ जाता है। पीरियंडोंटाइटिस आम बीमारी है। इसका उपचार किया जा सकता है। उपचार नहीं करने पर हृदय और फेफड़ों के रोगों के लिए यह जोखिम बढ़ा देता है। पीरियोडोंटाइटिस को मसूड़ों की बीमारी या पेरियोडोंटल बीमारी भी कहा जाता है। यह मुंह में बैक्टीरिया के विकास से शुरू होती है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलोजी के क्लिनिकल इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के निष्कर्ष इस बात की चेतावनी देते हैं कि यदि मसूड़ों में इन्फेक्शन यानी पीरियंडोंटाइटिस है, तो इससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। टीम ने पीरियंडोंटाइटिस और फाइब्रोसिस के बीच महत्वपूर्ण संबंध (Oral Hygiene and Heart Disease) पाया। हृदय रोग वाले 76 रोगियों के नमूने पर स्टडी की गई। इसमें दिल के लेफ्ट एट्रीयम में निशान देखा गया, जो अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकता है। इसे एट्रियल फाइब्रिलेशन कहा जाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, पीरियोडोंटाइटिस लंबे समय से चली आ रही सूजन से जुड़ा है। सूजन एट्रियल फाइब्रोसिस डेवलपमेंट और एट्रियल फाइब्रिलेशन पैथोजेनेसिस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शोधकर्ताओं के अनुमान के अनुसार, पीरियोडोंटाइटिस एट्रियल फाइब्रोसिस को बढ़ाता है। बाएं एट्रियल के इस हिस्टोलॉजिकल अध्ययन का उद्देश्य क्लिनिकल पीरियंडोंटाइटिस स्थिति और एट्रियल फाइब्रोसिस की डिग्री के बीच संबंध को स्पष्ट करना है।
रोगियों से लेफ्ट एट्रीयल अपेंडेजेज को सर्जरी के माध्यम से हटा दिया गया था। शोधकर्ताओं ने एट्रीयल फाइब्रोसिस की गंभीरता और मसूड़ों की बीमारी की गंभीरता के बीच संबंध स्थापित करने के लिए ऊतक का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि पीरियडोंटाइटिस का प्रभाव जितना गंभीर होता है, फाइब्रोसिस का जोखिम उतना अधिक बढ़ जाता है।
इससे यह निष्कर्ष मिलता है कि मसूड़ों की सूजन दिल में सूजन और बीमारी को तेज कर सकती है। इस अध्ययन से यह साबित हो सकता है कि पीरियडोंटाइटिस एट्रियल फाइब्रोसिस को बढ़ा सकता है।
अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं के अनुसार, पेरियोडोंटल देखभाल के अलावा अन्य जोखिम कारकों जैसे कि वजन, गतिविधि के स्तर और तम्बाकू और शराब के उपयोग में सुधार एट्रियल फिब्रिलेशन मैनेजमेंट में सहायता कर सकती है। उनलोगों ने आगाह किया कि मसूड़ों की बीमारी और एट्रियल फाइब्रोसिस की गंभीरता एक दूसरे से जुड़ी हुई दिखाई देती है।
हालांकि पीरियडोंटाइटिस और एट्रियल फाइब्रोसिस के बीच संबंध स्थापित करने के लिए और सबूत की आवश्यकता हो सकती है। यदि पीरियडोंटाइटिस एट्रियल फाइब्रोसिस को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है, तो डेंटल स्पेशियेलिस्ट की भागीदारी को भी सुनिश्चित करना होगा।
यदि पीरियंडोंटाइटिस एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रमुख जोखिम कारक होता है, तो कम लागत के साथ आसानी से इलाज किया सकेगा। इस प्रकार इस अध्ययन के माध्यम से दुनिया भर के लोगों को लाभ मिल सकता है।
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