नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का कारण बन सकता है ज्यादा चीनी और फैट का सेवन 

हालिया शोध बताते हैं कि बहुत अधिक चीनी और वसा वाले भोजन नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज को बढ़ावा दे सकते हैं। जानिये कैसे होता है लिवर प्रभावित।
Jaante hain kya hai fatty liver ka kaaran
यदि हमारे भोजन में शुगर और फैट अधिक हैं, तो यह नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज को बढ़ावा देता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:12 am IST
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शरीर को स्वस्थ रखने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं यदि खराब आहार लिया जाए, तो यह कई रोगों को बुलावा देता है। कई गंभीर रोगों के जोखिम को बढ़ा देता है। यदि हमारे भोजन में शुगर और फैट अधिक हैं, तो यह नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर (food for fatty liver ) डिजीज को बढ़ावा देता है। हालिया शोध भी कुछ ऐसा ही बताते हैं। शोध में बताया गया कि हाई फैट और शुगर वाले वेस्टर्न फ़ूड और नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (High Fat and Sugar food for Non Alcoholic Fatty Liver Disease) में संबंध है।

क्या है शोध (Research on Fatty Food)

अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी स्कूल ऑफ मेडिसिन में वेस्टर्न फ़ूड पर शोध किया गया। शोध में बताया गया कि बहुत अधिक वसा और चीनी वाले वेस्टर्न फ़ूड और नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर रोग के विकास के बीच एक कड़ी है। शोध में लीवर की बीमारी के लिए वेस्टर्न फ़ूड से प्रेरित माइक्रोबियल और मेटाबोलिक योगदानकर्ताओं की पहचान की गई। इन्टेस्टाइन और लिवर को जांचा गया। इससे पता चला कि गट माइक्रोबायोटा मेटाबोलिज्म को सक्रिय करने के लिए भोजन लेते हैं। इससे जो प्रक्रिया होती है, वह लिवर डिजीज के विकास में योगदान करता है।

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बहुत अधिक वसा और चीनी वाले वेस्टर्न फ़ूड और नॉन-अल्कोहल फैटी लीवर रोग के विकास के बीच एक कड़ी है। चित्र: शटरस्टॉक

गट बैक्टीरिया (Gut Bacteria) जिम्मेदार

अनहेल्दी फ़ूड गट माइक्रोबायोटा को बदलते हैं। इसके परिणामस्वरूप रोगजनक कारकों का उत्पादन होता है, जो लिवर को प्रभावित करते हैं। जब शोधकर्ताओं ने चूहों को बहुत अधिक वसा और चीनी वाले खाद्य पदार्थ खिलाए, तो उन्होंने पाया कि चूहों ने ब्लोटिया प्रोडक्टा नामक गट बैक्टीरिया और एक लिपिड विकसित किया। यह लिवर की सूजन और फाइब्रोसिस का कारण बनता है।

 एंटीबायोटिक उपचार काम में लाया जा सकता है

शोध में बताया गया कि फैटी लीवर डिजीज एक वैश्विक स्वास्थ्य महामारी हो चुकी है। यह न केवल यकृत कैंसर (Liver Cancer) का प्रमुख कारण बन रहा है, बल्कि लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) का भी कारण बन जाता है। लेकिन सबसे बड़ी बात कि लोगों को फैटी लीवर डिजीज होता है और उन्हें कुछ भी पता नहीं चल पाता है। शोधकर्ताओं ने एंटीबायोटिक दवाओं को पीने के पानी के साथ चूहों को दिया और उसका इलाज शुरू किया। परीक्षण करने पर पाया गया कि एंटीबायोटिक उपचार ने लिवर की सूजन (Liver Inflammation) और लिपिड संचय (Lipid Accumulation) को कम किया। इससे यह पता चल पाया कि गट माइक्रोबायोटा में एंटीबायोटिक-प्रेरित परिवर्तन इन्फ्लेमेट्री प्रतिक्रियाओं और लिवर फाइब्रोसिस (Fibrosis) को दबा सकते हैं

सबसे पहले मोटापा कंट्रोल करना जरूरी

जर्नल ऑफ़ फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, फैटी लीवर डिजीज के कारण सिरोसिस और लीवर फेलियर (Liver Failure) सहित कई और गंभीर स्थितियां हो सकती हैं। इसके साथ सबसे अच्छी बात यह है कि फैटी लिवर की बीमारी को रीवर्स किया जा सकता है। इसे ठीक भी किया जा सकता है। अगर मरीज चाहे, तो सबसे पहले अपने मोटापे (Obesity) पर कंट्रोल करे। वेट लॉस (Weight Loss) में भाग ले। 

यदि वह अपने शरीर के वजन में 10% की कमी भी ले आता है, तो यह ठीक हो सकता है। उपचार में भी डॉक्टर आहार और व्यायाम कार्यक्रम के माध्यम से मोटापे जैसे जोखिम कारकों को कम करने के लिए कहते हैं

फैटी लिवर वाले को सबसे पहले मोटापा पर कंटोल करना चाहिए चित्र : एडोबी स्टॉक

फैटी लिवर वाले करें ग्रीन टी और ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन

खुद की देखभाल के लिए मधुमेह प्रबंधन, शारीरिक व्यायाम, वजन घटाने और शराब से परहेज करना जरूरी है। कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ जो विशेष रूप से फैटी लिवर डिजीज वाले लोगों के लिए सहायक हो सकते हैं।  लहसुन, ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ, कॉफी, ब्रोकोली, ग्रीन टी, अखरोट, सोया या व्हे प्रोटीन लेना शामिल हो सकता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ के लिए अलसी, चिया सीड्स आदि को आहार में शामिल किया जा सकता है। 

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