भूख अधिक लगती है, यानी आपमें हंगर पैंग्स (Hunger Pangs cause obesity) अधिक है, तो आप मोटी हो सकती हैं। भूख हमारे दिमाग को तनाव में ला देती है। इसके परिणामस्वरूप हम खानपान की गलत आदतें अपना लेते हैं। यदि उस अनुपात में शारीरिक गतिविधि कम हो, तो वजन बढ़ना और मोटापा तय है। यदि दिमाग भूख लगने की इच्छा पर नियन्त्रण कर ले, तो मोटापे को खत्म किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के हालिया शोध कुछ इसी कार्य पर आधारित हैं। ब्रेन के हाइपोथैलेमस और मोटापे पर नए शोध से वैज्ञानिकों को इस अंग को सिकोड़ने और भूख संकेतों को नियंत्रित करने का उपचार (brain and obesity) विकसित करने में मदद मिल सकती है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में मोटे लोगों के दिमाग पर एक नया अध्ययन किया गया है। इससे पता चला है कि मोटे और अधिक वजन वाले लोगों के दिमाग में कम वजन वाले लोगों की तुलना में अलग-अलग भूख नियंत्रण केंद्र होते हैं। शोध के निष्कर्ष वजन और भोजन की खपत के लिए मस्तिष्क संरचना के जिम्मेदार होने की ओर इशारा करते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि मस्तिष्क में बादाम के आकार का छोटा क्षेत्र हाइपोथैलेमस होता है। यह भूख के लिए यानी हम कितना खाते हैं, जिम्मेदार है। हाइपोथैलेमस के भीतर जटिल क्रिया होती है। इसमें विभिन्न कोशिका एक साथ काम करके हमें बताती है कि हम भूखे हैं या पेट भर गया है।
हाइपोथैलेमस की संरचना भूख प्रदर्शित करने के लिए जिम्मेदार होती है। इसका वेंट्रोमेडियल न्यूक्लियाई तृप्ति केंद्र है। यह जब उत्तेजित होता है, तो यह खाना खाने के बाद परिपूर्णता की अनुभूति देता है। दूसरी ओर, लेटरल हाइपोथैलेमिक एरिया फीडिंग केंद्र है। यह जब उत्तेजित होता है, तो भूख की अनुभूति का कारण बनता है। हाइपोथैलेमस को उत्तेजित करने में हॉर्मोन भी जरूरी भूमिका निभाते हैं।
घ्रेलिन एक हार्मोन है, जो मुख्य रूप से स्टमक में प्रोड्यूस होता है। इसकी थोड़ी-सी मात्रा छोटी आंत, पैन्क्रियाज और ब्रेन द्वारा भी जारी की जाती है। यह हॉर्मोन ‘हंगर हार्मोन’ कहा जाता है। यह भूख को उत्तेजित करता है। इससे व्यक्ति भोजन का सेवन बढ़ा सकता है और फैट डिपोजिशन को बढ़ावा मिल सकता है। घ्रेलिन का उत्पादन भले ही पेट में होता हो, लेकिन एनर्जी की जरूरत को यह देखता है। इसके आधार पर यह हाइपोथैलेमस को भोजन करने के लिए प्रेरित करता है।
इस शोध में 1351 युवाओं के ब्रेन स्कैन (Brain Scan) का विश्लेषण किया गया। इसमें कम वजन वाले, हेल्दी वजन वाले और अधिक वजन वाले या मोटापे के साथ जी रहे व्यक्तियों के हाइपोथैलेमस की तुलना की गयी। अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त समूहों में स्वस्थ या कम वजन वाले लोगों की तुलना में हाइपोथैलेमस का आकार अधिक अधिक बड़ा देखा गया। हाइपोथैलेमस के आकार और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के बीच संबंध देखा गया।
आगे इस शोध को सूक्ष्म संरचना को भूख और खाने में बदलावों से जोड़ा जा सकता है। इससे मोटापे की अधिक व्यापक समझ पैदा हो सकती है। इससे मोटे लोगों की भूख को नियंत्रित किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भूख को आनुवंशिकी, हार्मोन इम्बैलेंस और वातावरण जैसे कारक भी प्रभावित करते हैं।
भूख को नियंत्रित करने में हाइपोथैलेमस की भूमिका के अधिकांश प्रमाण पशुओं के अध्ययन से मिलते हैं। जीवित व्यक्ति के मस्तिष्क पर इस तरह के शोध संभव नहीं हो पाए हैं। मोटापे के कारण टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर और खराब मेंटल हेल्थ जैसी स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मोटापे पर कंट्रोल करना जरूरी है।
यह भी पढ़ें :- Plant Based diet benefit : बॉलीवुड सेलेब्रिटीज की तरह युवा और लंबी उम्र चाहिए, तो शाकाहार पर करें भरोसा
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।