इन दिनों व्यक्ति ज्यादा भूलने लगा है। कम उम्र में भी भूलने की बीमारी हो रही है। भूलना हमारे लिए वरदान और अभिशाप, दोनों हो सकता है। यदि हमारे साथ कोई बुरी घटना हुई। और हम उस घटना को भूल गये, तो यह हमारे लिए अच्छा साबित हो सकता है। वहीं यदि बहुत महत्वपूर्ण कागज कहीं रखकर भूल गये, तो यह अभिशाप साबित हो सकता है। भूलने के लिए टीवी, मोबाइल और गजेट्स के इस्तेमाल को जिम्मेदार बताया जा रहा है। पर क्या यह सच है! भूलने के पीछे कौन जिम्मेदार है, क्या भूलने की गति को धीमा (memory loss can be slowed down) या तेज किया जा सकता है। हाल में हुई स्टडी इसके बारे में जानकारी देती है।
भूलने के लिए कौन जिम्मेदार है, कुछ लोग जल्दी भूलने लग जाते हैं, तो कुछ लोग उम्र अधिक होने के बावजूद भूलने की बीमारी से ग्रस्त नहीं होते हैं। इस तरह की कई दुविधाओं ने न्यूरोसाइंटिस्टों को यह हल करने के लिए प्रेरित किया कि मस्तिष्क में वास्तव में भूलने की प्रक्रिया कैसे शुरू होती है। क्या इसे तेज या धीमा किया जा सकता है।
इस विषय पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हार्वर्ड सेंटर फॉर ब्रेन साइंस के शोधकर्ताओं ने स्टडी की। इस नए अध्ययन में ब्रेन रीसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने एक मॉडल ऑरगेनिज्म सी. एलिगेंस वर्म्स का उपयोग किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि भूलने से मस्तिष्क में परिवर्तन नहीं होते हैं। जैसा कि कुछ थ्योरी में माना गया है। भूलने के बाद कम समय में दोबारा उसे याद किया जा सकता है।
मस्तिष्क में भूलने की प्रक्रिया एक अलग स्थिति उत्पन्न करता है। जो चीजें व्यक्ति भूल जाता है, वह पूरी तरह से खत्म नहीं होता है। कुछ समय बाद वह पुन: सक्रिय हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भूलने के बाद हमें अक्सर याद दिलाया जा सकता है कि हमने पहले क्या सीखा था। हमारा मस्तिष्क बिल्कुल नई अवस्था में तो नहीं हो सकता है।
कोई ख़ास काम जो आपने पूर्व में किया है, उसे भूल गये हैं। तो उस ख़ास कार्य की विशेष घटना की याद दिलाकर भूलने को पलट दिया जा सकता है। साइंस एडवांसेज में प्रकाशित शोध इस बात पर रोशनी डालता है कि सिस्टम स्तर पर और अणु स्तर पर मस्तिष्क में भूलने की प्रक्रिया कैसे होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह प्रक्रिया भूलने को तेज या धीमा करने में सक्षम हो सकता है।
इस शोध के आधार पर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को समझने में मदद ली जा सकती है। ऐसी स्थिति में जहां भूलने की प्रक्रिया या तो बहुत धीमी गति से हो रही है या जब बहुत तेजी से हो रही है। उदाहरण के लिए किसी आघात के बाद यदि व्यक्ति आक्रामक या किसी अन्य मानसिक समस्या का शिकार होता है, तो उसे दूर करने में यह महत्वपूर्ण हो सकता है।
यह अध्ययन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को समझने में मदद कर सकता है। यह न्यूरॉन्स की गतिविधि जो भूलने के लिए महत्वपूर्ण हैं, को भी समझने में मदद करेगा।
मस्तिष्क की क्षमता सीमित होती है। इसलिए भूलना सामान्य मस्तिष्क क्रिया का हिस्सा है। यादें कैसे बनती हैं, इस पर बहुत शोध किया गया है। लेकिन भूलने की प्रकृति या मस्तिष्क में यह कैसे होता है, इस पर बहुत कम शोध किया गया है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जब एक मेमोरी लॉस हो जाती है, तो इसे दोबारा पाने की क्षमता खत्म हो जाती है। लेकिन हालिया शोध के अनुसार यह किसी न किसी रूप में बना रहता है। इसे दोबारा पाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने कीड़ों को गंध से पहचानना और किसी ख़ास संक्रामक बैक्टीरिया स्ट्रेस से बचना सिखाया, जो उन्हें बीमार बनाता है। लेकिन एक घंटे बाद कीड़े भूल गए। शोधकर्ताओं ने तब इन कृमियों की मस्तिष्क गतिविधि और उनके तंत्रिका तंत्र में व्यक्त जीनों का विश्लेषण किया। उनकी तुलना उन कृमियों से की गई, जिन्होंने इस प्रक्रिया को कभी नहीं सीखा था। या अभी-अभी प्रशिक्षण समाप्त किया था। शोधकर्ताओं ने देखा कि प्रक्रिया को भूलने वाले कृमियों की तंत्रिका गतिविधि और जीन अभिव्यक्ति न तो पहले वाली अवस्था में लौटी। न ही उनकी तंत्रिका गतिविधि तुरंत प्रशिक्षण पाने वाले कृमियों की तंत्रिका गतिविधि से मेल खाई। वे अलग थे।
वैज्ञानिकों ने यह जानना चाहा कि क्या वे कीड़े जो प्रशिक्षण को भूल गए थे, उन्हें इसकी याद दिलाई जा सकती है। और इसका जवाब मिला कि वे ऐसा कर सकते हैं। आमतौर पर कीड़ों को प्रशिक्षित करने में लगभग तीन से चार घंटे लगते हैं। लेकिन जिन कीड़ों को दोबारा प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने इस प्रक्रिया को लगभग तीन मिनट में पूरा कर लिया।
इसके निष्कर्ष के अनुसार, उनके मस्तिष्क में अभी भी मेमोरी के निशान हैं, जिन्हें फिर से सक्रिय किया जा सकता है। यह शोध भूलने की प्रक्रिया को समझने की शुरुआत है, जो दैनिक गतिविधियों के लिए आवश्यक मस्तिष्क प्रक्रिया है।
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