आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों का मस्तिष्क स्वास्थ्य हो सकता है कमजोर, शोध में किया गया दावा

कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पोषण, स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाओं तक सीमित पहुंच और निवास की अस्थिरता का असर बच्चे के मानसिक विकास पर पड़ता है। पर इसका यह अर्थ नहीं कि समान आर्थिक स्थिति के सभी बच्चों का मानसिक विकास समान होगा।
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आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बच्चों का मस्तिष्क विकास प्रभावित हो सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 4 Jul 2023, 07:31 pm IST
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कहा जाता है कि बचपन में अगर बच्चों काे ठीक से पोषण नहीं मिलता, तो इससे उनके विकास में बाधा आती है। भारत में कई गरीब बच्चे सही खाना और पोषण न मिलने के कारण पहले कुपोषण का शिकार होते रहे हैं। जिसका असर उनके शारीरिक कद-काठी और इम्युनिटी पर भी साफतौर पर देखा जा सकता है। पर अब एक नई स्टडी आई है। जिसमें दावा किया गया है कि परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति सिर्फ शारीरिक विकास ही नहीं, बल्कि बच्चे के मस्तिष्क स्वास्थ्य (Poverty effect on brain health) को भी प्रभावित करती है।

क्या है यह नया अध्ययन

सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की तरफ से किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि गरीबी में बड़ा होने से बच्चे की मस्तिष्क की संरचना प्रभावित हो सकती है। जेएएमए नेटवर्क ओपन में 27 जून को प्रकाशित अध्ययन, पड़ोस और घरेलू गरीबी और मस्तिष्क के सफेद पदार्थ पथ दोनों के बीच एक लिंक को इंगित करता है।

यह श्वेत पदार्थ मस्तिष्क को सूचना संसाधित करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो मस्तिष्क क्षेत्रों के बीच संचार की अनुमति देता है।

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घरेलू गरीबी और मस्तिष्क के सफेद पदार्थ पथ दोनों के बीच एक लिंक को इंगित करता है।
चित्र : एडोबी स्टॉक

वाशिंगटन विश्वविद्यालय विकासशील मस्तिष्क के अध्ययन में नेशनल लीडर और किशोर मस्तिष्क संज्ञानात्मक विकास अध्ययन में भाग लेने वाले देश भर के 21 अध्ययन स्थलों में से एक है। जो कम से कम एक दशक से 9 से 10 वर्ष की आयु के लगभग 12,000 बच्चों के मस्तिष्क स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है।

अध्ययन में बताया गया कि सफेद पदार्थ में कमज़ोरियां बच्चों में आंखों की रोशनी और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जुड़ी होती हैं। लेकिन कैसे आर्थिक स्थिति बच्चों के मस्तिष्क में सफेद पदार्थ को प्रभावित करती है इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। अगर यह जानकारी मिल पाती, तो इसके लिए निवारक उपाय ढूंढने आसान होते।

इन कारणों से भी बाधित होता है बबचपन में मस्तिष्क का विकास

शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि बचपन का मोटापा और कम संज्ञानात्मक कार्य, सफेद पदार्थ के अंतर पर गरीबी के प्रभाव को समझा सकता है। आम तौर पर, जो बच्चे गरीबी में बड़े होते हैं उनमें मोटापे का खतरा अधिक होता है। उच्च आय वाले पड़ोस और घरों में अपने साथियों की तुलना में संज्ञानात्मक कार्य के परीक्षण में कम अंक प्राप्त करते हैं। शायद ऐसा आंशिक रूप से समृद्ध संवेदी, सामाजिक और संज्ञानात्मक उत्तेजना तक सीमित पहुंच के कारण हो सकता है।

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जो बच्चे गरीबी में बड़े होते हैं उनमें मोटापे का खतरा अधिक होता है। चित्र:शटरस्टॉक

ये अध्ययन और अन्य सुझाव बताते हैं कि गरीबी से संबंधित तनावों, जैसे कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य देखभाल में लापरवाही, पोषण और स्थिर आवास तक सीमित पहुंच के लगातार संपर्क से मस्तिष्क के विकास में बदलाव आ सकता है। गरीबी से संबंधित कारक बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमताओं, भावनात्मक विनियमन और सामाजिक कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।

हालांकि गरीबी मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि गरीबी में बड़े होने वाले सभी बच्चों को समान परिणाम का अनुभव होगा। मस्तिष्क एक अत्यधिक जटिल अंग है और व्यक्तिगत कारक जैसे लचीलापन, सहयोगपूर्ण रिश्ते और अवसरों तक पहुंच मस्तिष्क के विकास पर गरीबी के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मस्तिष्क के विकास पर गरीबी के प्रभाव को समझने से सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करने और कमजोर बच्चों और परिवारों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से नीतियों और हस्तक्षेपों को सूचित करने में मदद मिल सकती है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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