भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना के नये वैरिएंट पर भी कारगर होगी कोरोना वैक्सीन

वैज्ञानिकों के अनुसार वैक्सीन हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है, जिससे बड़े स्तर पर एंटीबॉडीज निमार्ण होता है। ये एंटीबॉडीज नये वैरिएंट के खिलाफ काम करने के लिए पयार्प्त है।
भारतीय वैज्ञानिक वैक्‍सीन को कोरोना के नए स्‍ट्रेन पर भी प्रभावी मान रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
भारतीय वैज्ञानिक वैक्‍सीन को कोरोना के नए स्‍ट्रेन पर भी प्रभावी मान रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
वार्ता
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केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर विजय राघवन ने मंगलवार को आश्वासन देते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में पाये गये कोरोना के नये स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर साबित होगी और इस विषय में अभी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय की आज हुई नियमित साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि अभी तक ऐसी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि जो कोरोना वैक्सीन देश में या विदेश में पाइपलाइन में हैँ, वे ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में पाये गये कोरोना के नये वैरिएंट से बचाव नहीं कर पायेगी।

जानिए कैसे काम करती है वैक्‍सीन

प्रोफेसर राघवन ने कहा कि अधिकतर वैक्सीन वायरस के उपर के स्पाइक प्रोटीन को लक्ष्य बनाते हैं और कोरोना वायरस के इस नये वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है वैक्‍सीन

उन्होंने कहा कि इसी कारण लोग यह सोच रहे हैं कि क्या मौजूदा कोरोना वैक्सीन या जो पाइपलाइन में हैं, वे इस नये वैरिएंट के खिलाफ काम कर पायेंगी। उन्होंने बताया कि वैक्सीन हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है, जिससे बड़े स्तर पर एंटीबॉडीज निमार्ण होता है। ये एंटीबॉडीज नये वैरिएंट के खिलाफ काम करने के लिए पयार्प्त है।

कोरोनावायरस से रिकवर होने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता आठ महीने तक जीवित रहती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोरोनावायरस से रिकवर होने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता आठ महीने तक जीवित रहती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

म्‍यूटेट होते रहते हैं वायरस

प्रोफेसर राघवन ने बताया कि जब पूरी दुनिया में वायरस फैलता है, तो उसमें बदलाव आता रहता है। कभी- कभी यह बदलाव इस तरह होता है कि उसके प्रसार और संक्रमण की गंभीरता बदल जाती है। ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में इसी तरह हुआ है।

उन्होंने बताया कि वायरस की उपरी सतह पर पाये जाने वाला स्पाइक प्रोटीन ही मानव शरीर में मौजूदा उत्तकों के जरिये प्रवेश करता है। नये वैरिएंट में इसी स्पाइक प्रोटीन में 17 बदलाव पाये गये हैं, जिनमें से आठ काफी महत्वूपर्ण हैं।

क्‍यों बढ़ जाती है संक्रमण की रफ्तार

इनमें से एक बदलाव ऐसा है कि जो स्पाइक प्रोटीन की पकड़ अधिक मजबूत कर देता है, जिससे संक्रमण के प्रसार की गति बढ़ सकती है। दूसरा बदलाव ऐसा है जो संक्रमण और प्रसार दोनों का बढ़ा देता है, और तीसरा बदलाव वायरस को मानव शरीर के उत्तकों में अंदर जाने के लिए बढ़ावा देता है।

नया स्‍ट्रूेन ज्‍यादा तेजी से फैल सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
नया स्‍ट्रूेन ज्‍यादा तेजी से फैल सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

प्रोफेसर राघवन ने बताया कि इन्हीं वजहों से कोरोना वायरस के नये वैरिएंट को लेकर चिंता जतायी जा रही है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में पाया गया कोरोना का नया वैरिएंट अधिक संक्रामक है। ब्रिटेन में पॉजिटिविटी दर भी काफी बढ़ गयी है।

विदेश से आए लोगों की हो रही है जांच

उन्होंने बताया कि इसे देखते हुए हमारे वैज्ञानिक विदेशों से आये यात्रियों के नमूने की जांच कर रहे हैं और जीनोम सिक्वेंसिंग कर रहे हैं। इसके अलावा देश भर से भी नमूने लिये जा रहे हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों के नमूने भी जांच और सिक्वेंसिंग के लिए लिये जा रहे हैं।

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि जल्द ही कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो जायेगी लेकिन इस दौरान हमें कोविड के अनुकूल व्यवहार को अपनाना होगा।

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