Asthma in kids : सिजेरियन सेक्शन से पैदा होने वाले बच्चों को ज्यादा होता है अस्थमा का जोखिम : शोध

आधुनिक मेडिकल साइंस में सिजेरियन सेक्शन को मां और बच्चे, दोनों के लिए सेफ माना जाता है। हालिया शोध बताते हैं कि सी सेक्शन से आगे चलकर बच्चे में अस्थमा जैसी बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है।
c-section se hue bachche ko asthma ho sakta hai
बच्चों को आसानी से प्रभावित कर सकता है वायु प्रदूषण। चित्र-अडोबीस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 18 Oct 2023, 10:16 am IST
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मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए सिजेरियन सेक्शन (cesarean section) या सी-सेक्शन (C-Section) या सिजेरियन डेलिवरी (cesarean delivery) की जाती है। मां के पेट और गर्भाशय में किए गए कट के माध्यम से बच्चे की सर्जिकल डिलीवरी की जाती है। थोड़े दिन की देखभाल के बाद मां और बच्चा पूरी तरह सामान्य जिंदगी जीने लगते हैं। सिजेरियन सेक्शन के उन्नत तरीकों और इससे होने वाले हानि-लाभ पर पर लगातार शोध होते रहते हैं। एक हालिया शोध बताते हैं कि सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए बच्चों में बाद के जीवन में नन कम्युनिकेबल डिजीज और मोटापा विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

माइक्रोबियल कांटेक्ट में वेरिएशन हो सकता है जिम्मेदार (microbiota contact variation)

फिनलैंड के तुर्कू विश्वविद्यालय में हाल में सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए शिशुओं पर डॉक्टरेट अध्ययन किया गया। इससे पता चला कि सिजेरियन सेक्शन से पैदा हुए शिशुओं में आगे के जीवन में नन कम्युनिकेबल डिजीज और मोटापा विकसित हो सकते हैं। शोध निष्कर्ष के अनुसार, सिजेरियन सेक्शन स्तन के दूध की माइक्रोबायोटा संरचना को प्रभावित करता है।

जन्म के बाद स्तन के दूध के माध्यम से अलग तरह का माइक्रोबियल संपर्क बना रहता है। इससे शुरुआत में बच्चे के माइक्रोबियल कांटेक्ट में वेरिएशन जिम्मेदार हो सकता है। सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए व्यक्तियों में 21 वर्ष की आयु तक अस्थमा, एलर्जी और मोटापे का खतरा अधिक देखा गया।

क्या है सिजेरियन सेक्शन (cesarean section)

दुनिया भर में सिजेरियन सेक्शन से जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या बढ़ रही है। फ़िनलैंड और अन्य नॉर्डिक देशों में तो यह वृद्धि अन्य देशों की तुलना में कम रही है। इस शोध का उद्देश्य बच्चे के बाद के स्वास्थ्य पर जन्म लेने के तरीकों और लंबे समय बाद बच्चे के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को जांचना था।

गट माइक्रोबायोटा जन्म के बाद रहता है अपरिवर्तित (No change in Gut microbiota)

गर्भावस्था के दौरान सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया के अनुपात में वृद्धि के साथ मां की आंत के माइक्रोबायोटा में भी परिवर्तन देखा गया। अध्ययन में पाया गया कि मां के इंटेस्टिनल माइक्रोबायोटा में बच्चे के जन्म के बाद भी अपरिवर्तित रहे।

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सिजेरियन सेक्शन से प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी असर पड़ता है। चित्र: शटरस्टॉक

भले ही, मां के ब्लड में सूजन बढ़ाने वाले मीडिएटर का कंसंट्रेशन बढ़ गया। इससे डेलिवरी के बाद शरीर में सूजन की स्थिति बनी रही। शोधकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि इससे भविष्य में सिजेरियन सेक्शन के बाद शुरुआती दौर में नवजात शिशु के माइक्रोबियल संपर्क को संशोधित करने के सुरक्षित तरीकों का पता लगाने में मदद मिलेगी।

माइक्रोबायोटा की विविधता में कमी (Microbiota diversity affected)

सी-सेक्शन बैक्टीरिया फाइलम के डिलेड कालोनाइजेशन, टोटल माइक्रोबायोटा की विविधता में कमी और जन्म के बाद पहले दो वर्षों में Th1 रेस्पोंस में कमी के साथ जुड़ा हुआ है। इंटेसटिनल एपिथेलियल सेल गट माइक्रोबायोटा और होस्ट के बीच क्रॉस टॉक की मध्यस्थता करती है

कैसे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली हो जाती है प्रभावित (Newborn Babies Immune system affected)

सी-सेक्शन के माध्यम से जन्म लेने वाले शिशुओं में सामान्य माइक्रोबायोम विकसित होने में कुछ समय लगता है। उस दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली (Children Immune System) भी विकसित हो रही होती है। इसलिए उनमें बाद में अस्थमा (Asthma in Children) जैसी कुछ बीमारियों के विकसित होने का खतरा अधिक हो जाता है

Bacche ko adopt karne ke liye kin baaton ka rakhein khayal
सी-सेक्शन के माध्यम से जन्म लेने वाले शिशुओं में सामान्य माइक्रोबायोम विकसित होने में कुछ समय लगता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

इसलिए यह आशंका जताई जाती है कि सिजेरियन से पैदा हुए बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes), एलर्जी (Allergy) और अस्थमा (Asthma) जैसे कुछ डिसऑर्डर का खतरा अधिक होता है। एक अनियमित प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा करने में अच्छी तरह भूमिका नहीं निभा सकती है। सी-सेक्शन के माध्यम से जन्म लेने वाले शिशुओं में समस्या हो सकती है या नहीं भी।  इस दिशा में और अधिक शोध की आवश्यकता है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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