मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर (metastatic breast cancer) का इलाज इम्यूनोथेरेपी के जरिये संभव है। हाल ही में नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) सेंटर फॉर कैंसर रिसर्च के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। इसमें किसी व्यक्ति की ट्यूमर से लड़ने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग मेटास्टैटिक स्तन कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है।
शोधकर्ताओं का कहना हैं कि इसके लिए ट्यूमर-इनफिल्ट्रेटिंग लिम्फोसाइट्स (Tumor infiltrating lymphocytes) सेल्स का उपयोग मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं इस रिसर्च में क्या बात सामने आई है।
देश में अधिकतर महिलाएं अपनी हेल्थ और फिटनेस को लेकर जागरुक नहीं रहती हैं। इस वजह ही ब्रेस्ट कैंसर ही मेटास्टैटिक स्टेज में पहुंच जाता है। एक्सपर्ट का कहना हैं कि जब ब्रेस्ट कैंसर अस्थि या हड्डियों की मेटास्टेसिस में पहुंच जाता है, तो इसे मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर कहते हैं। इसमें ब्रेस्ट कैंसर की सेल्स हड्डियों या अस्थि पर आक्रमण कर देती हैं।
इसका इलाज हड्डियों के कैंसर की बजाय ब्रेस्ट कैंसर की तरह ही किया जाता है। इसके अलावा एक्सपर्ट का मानना कई महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट कराने के कई सालों बाद मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है। इस वजह से डॉक्टर ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद फुल बॉडी चेकअप की सलाह देते हैं।
इस शोध के मुताबिक, मेटास्टेटिक स्तन कैंसर से पीड़ित 42 महिलाओं का नैदानिक परीक्षण किया गया। जिसमें करीब 28 महिलाओं (67%) ने अपने मेटास्टेटिक कैंसर के विरुध्द इम्यून रिस्पांस किया। इसमें छह महिलाओं का इलाज किया गया था। जिसमें आधी महिलाओं को औसत दर्जे का ट्यूमर संकुचन था।
इस रिसर्च का एनालिसिस जर्नल ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी द्वारा किया गया। शोध टीम का हिस्सा रहे एनसीआई के एमडी स्टीवन ए रोसेनबर्ग इस बारे में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हैं। उनका कहना है कि ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि हार्मोन रिसेप्टर-पॉजिटिव (Hormone receptor positive) नाम की इम्यूनोथेरेपी ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ इम्यून रिस्पांस करने में सक्षम नहीं है। जबकि शोध में निष्कर्ष सामने आया कि इम्यूनोथेरेपी से कुछ महिलाओं के मेटास्टैटिक स्तन कैंसर का इलाज संभव है।
रोसेनबर्ग कहते हैं कि इम्यूनोथेरेपी एक ऐसा इलाज है जो किसी व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। इससे उस शख्स को कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है। उनका कहना कि शोध में यह बात साबित हुई कि अधिकांश उपलब्ध इम्युनोथेरेपी जैसे कि इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर (Immune checkpoint inhibitors), हार्मोन रिसेप्टर-पॉजिटिव थेरेपी (hormone receptor positive therapy) ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ लड़ने में कारगर है। इम्यूनोथेरेपी पर डॉ. रोसेनबर्ग और उनकी टीम साल 1980 से काम कर रहे हैं।
रोसेनबर्ग का कहना है कि मेटास्टेटिक स्तन कैंसर का इलाज ट्यूमर की टीआईएल ट्यूमर कोशिकाओं पर निर्भर करता है। यह कोशिकाएं ट्यूमर में और उसके आसपास पाई जाती हैं। टीआईएल ट्यूमर कोशिकाओं की सतह पर एक विशिष्ट प्रोटीन पाया जाता है जिन्हें नियोएंटीजेंस कहा जाता है। जब ट्यूमर डीएनए में उत्परिवर्तन होता है तब ये नियोएंटीजन्स उत्पन्न होते हैं।
रिसर्च के मुताबिक, इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर जैसी इम्युनोथैरेपी के जरिए मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है। इस थेरेपी से छह महिलाओं का इलाज किया गया। इस थेरेपी में टीआईएल ट्यूमर कोशिकाओं का उपयोग किया गया। जिसमें यह बात सामने आई कि उपचार के बाद छह में से तीन महिलाओं में ट्यूमर सिकुड़ गया। इनमें से एक महिला कैंसर मुक्त हो गईं।
अन्य दो महिलाओं में क्रमशः छह महीने और 10 महीने के बाद ट्यूमर 52 से 69 फीसदी सिकुड़ गया। हालांकि, कुछ बीमारी वापस आ गई और जिन्हें बाद में ऑपरेशन से हटा दिया गया। उपचार के बाद अब इन महिलाओं में पांच वर्ष बाद कोई कैंसर नहीं है।
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