कोविड – 19 पैनडेमिक के बाद से कई नई बीमारियां देखने को मिली हैं। जिनमें से कुछ रेयर डीजीज (rare disease) हैं और कुछ बिल्कुल अज्ञात। हाल ही में अर्जेंटीना के तुकुमान प्रांत में एक अजीब बीमारी से 4 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। यह खबर अपने आप में डरा देने वाली है, क्योंकि यह निमोनिया का एक गंभीर प्रकार लीजियोनेयर्स ( Legionnaires’ disease) है जो उतना आम नहीं है।
अर्जेंटीना के तुकुमान प्रांत में यह बीमारी सामने आई है। वहां के स्वास्थ्य मंत्री लुइस मदीना रुइज़ ने संवाददाताओं को बताया कि एक निजी क्लिनिक में आठ चिकित्सा कर्मचारियों सहित नौ लोगों में निमोनिया जैसी (Pneumonia) सांस की बीमारी देखने को मिली है। बताया जा रहा है कि यह लीजियोनेयर्स रोग है – जो कि एक रेयर बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। अभी भी इससे कुछ लोग संक्रमित हैं।
लीजियोनेयर्स (Legionnaires) रोग एक गंभीर प्रकार का निमोनिया यानी फेफड़ों का संक्रमण है जो Legionella बैक्टीरिया के कारण होता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से आपके नाक या मुंह में गई ड्रॉपलेट से आपको यह बीमारी हो सकती है। यह रोग, जो पहली बार 1976 में अमेरिकी शहर फिलाडेल्फिया में अमेरिकी सेना के समूह की बैठक में सामने आया था। यह दूषित पानी या अशुद्ध एयर कंडीशनिंग सिस्टम से जुड़ा हुआ है।
इस बीमारी के लक्षण निमोनिया और कोविड से मिलते जुलते हैं जैसे
सांस लेने मे तकलीफ
तेज़ बुखार
बदन दर्द
अब तक सभी मामले एक ही स्वास्थ्य क्लिनिक से जुड़े थे। लीजियोनेयर्स रोग के पहले मामले 18 से 22 अगस्त के बीच दर्ज किए गए थे।
मदीना रुइज़ ने कहा अभी जिनकी मौत हुई वे एक 70 वर्षीय महिला थीं, जिनकी क्लिनिक में सर्जरी हुई थी। पीड़िता अपने आप में एक ‘जीरो पेशेंट’ थी। चिकित्सा के संदर्भ में, “जीरो पेशेंट” एक आउटब्रेक के दौरान आबादी में किसी बीमारी से संक्रमित होने वाला पहला व्यक्ति होता है।
स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, दो लोग वर्तमान में इस स्थिति से पीड़ित हैं और गंभीर सांस की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती हैं। बताया जा रहा है कि अभी ‘पर्सन-टू-पर्सन ट्रांसमिशन’ के कोई सबूत देखने को नहीं मिले हैं।
मरीजों को सात दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा गया है क्योंकि अर्जेंटीना के स्वास्थ्य अधिकारी आउटब्रेक की उत्पत्ति और प्रकृति का अध्ययन कर रहे हैं।
तुकुमान प्रांतीय मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष हेक्टर सेल ने कहा कि इस समय ‘पर्सन-टू-पर्सन ट्रांसमिशन’ का कोई प्रमाण नहीं है क्योंकि किसी भी मरीज को बाकी मरीजों के साथ नहीं रखा गया है।
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