आपके हाथ की ग्रिप जैसी साधारण सी बात से भी पता लगाया जा सकता है कि आपको टाइप 2 डायबिटीज होने की कितनी सम्भावना है। इस तरह के टेस्ट के जरिये आपका समय भी बचता है और खर्च भी।
ब्रिस्टल और पूर्वी फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने एक नवीन शोध में मुट्ठी की नाप से 776 पुरुषों और महिलाओं की हैंडग्रिप का डेटा लिया। इन सभी लोगों में 20 साल से डायबिटीज की कोई हिस्ट्री नहीं थी। इस डेटा की मदद से वैज्ञानिकों ने यह समझाया कि कैसे उनमें से 50 प्रतिशत लोगों में टाइप 2 डायबिटीज की संभावना है।
एनल्स ऑफ मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, विश्व भर में डायबिटीज मृत्यु का नौवां सबसे बड़ा कारण है। इसमें से 90 प्रतिशत में टाइप 2 डायबिटीज होती है।
किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज होगी या नहीं इसके कई परिमाण होते हैं जैसे उम्र, वजन, परिवार में हिस्ट्री इत्यादि। इसके अतिरिक्त जीवनशैली जैसे व्यायाम, स्मोकिंग, डाइट और शराब का सेवन भी कारण हो सकते हैं। मगर यह रिस्क सिर्फ इन्हीं कारणों तक सीमित नहीं है।
हैंड ग्रिप से शोधकर्ताओं ने मसल्स की ताकत में कमी को नापा, जो हृदय रोग और डायबिटीज से जुड़ी है।
इस विषय पर प्रकाशित लिटरेचर रिव्यु के अनुसार जिन लोगों की हैंड ग्रिप अच्छी होती है, उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना 27% कम होती हैं।
इस स्टडी के प्रतिभागी 60 से 72 वर्ष की उम्र के थे, जिनमें 20 साल से डायबिटीज की कोई हिस्ट्री नहीं थी। इस स्टडी के लिए हैंड ग्रिप नापने के लिए डाइनेमोमीटर का इस्तेमाल होता है। सभी प्रतिभागियों को यह हैंडल 5 सेकंड तक अपने ज्यादा काम में लाए जाने वाले हाथ से पूरी ताकत से दबाने के लिए कहा गया। इस स्टडी का परिणाम यह था कि हर यूनिट स्ट्रेन्थ बढ़ने पर टाइप 2 डायबिटीज की संभावना 50 प्रतिशत घट जाती है।
डायबिटीज की संभावना को प्रभावित करने वाले कारण जैसे व्यायाम, फैमिली हिस्ट्री, उम्र, स्मोकिंग, ब्लड प्रेशर, कमर का साइज और फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोस को ध्यान में रखा गया था। इन सभी कारणों को स्टडी में शामिल करने के बाद टाइप 2 डायबिटीज की संभावना पता करना और अधिक सटीक हो जाता है।
ब्रिस्टल के मस्कुलोस्केलेटन रिसर्च यूनिट के प्रमुख लेखक डॉ सेटर कुनुत्सोर बताते हैं, “इस स्टडी से सामने आई जानकारी से डायबिटीज से बचने के लिए किए जाने वाले प्रिवेंशन प्रभावित होंगे। हैंड ग्रिप नापना बहुत आसान है। कोई अत्यधिक खर्च नहीं होता और ज्यादा स्किल की भी जरूरत नहीं है। यानी कि यह टेस्ट आसानी से कोई भी व्यक्ति कर सकता है। यही कारण है यह आसानी से टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क पता करने के लिए प्रयोग हो सकता है।”
लिंग के आधार पर देखें तो महिलाओं को इस शोध का ज्यादा फायदा पहुंचेगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर जरी लौककनेन कहते हैं, “यह परिणाम फिनलैंड के लोगों पर बेस्ड है। हमने बहुत कम लोगों पर यह स्टडी की है और चाहेंगे कि इसे बड़े स्तर पर किया जाए।”
लेखक यह भी बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति रेसिस्टेंस ट्रेनिंग इत्यादि मांसपेशियों की एक्सरसाइज करता है, तो उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।