ज्यादातर लजीज व्यंजन चीनी और फैट से ही तैयार होते हैं। पर यदि किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होती है, तो डॉक्टर सबसे पहले इन दोनों को ही डाइट से हटाने की सलाह देते हैं। जब आप ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन करती हैं, तो इससे उच्च रक्तचाप, वजन बढ़ना, सूजन, डायबिटीज, फैटी लिवर, हार्ट प्रॉब्लम होने की संभावना बढ़ (sugar side effects on body) जाती है। वहीं आहार में बहुत अधिक सैचुरेटेड फैट खाने से ब्लड में खराब कोलेस्ट्रॉल एलडीएल बढ़ सकता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। स्वास्थ्य के लिए शुगर और फैट दोनों हानिकारक हैं। पर अधिक हानिकारक क्या (Sugar Vs Fat ) है, यह जानने के लिए हमने पारस अस्पताल, गुरुग्राम की चीफ डायटीशियन डॉ. नेहा पठानिया से बात की।
डॉ. नेहा बताती हैं, ‘हमारी आधुनिक खाद्य प्रणाली में आर्टिफिशियल शुगर का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। भले ही यह स्वाद बढाये, लेकिन इससे वेट गेन, हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस तरह से चीनी वसा की तुलना में अधिक खराब परिणाम दे सकते हैं।’
हम सामान्य चीनी और फैट बराबर मात्रा में लेते हैं। वसा की खपत की तुलना में चीनी की खपत रुग्णता (Morbidity) के सामान्य कारणों के साथ एक मजबूत संबंध दिखाती है। यह डायबिटीज (Diabetes), हृदय रोग (Heart Disease) और यहां तक कि कैंसर (Cancer) सहित कई प्रकार के अन्य जोखिम कारक रोगों का बढ़ावा देती है।
वसा खाने की तुलना में चीनी खाने का मोटापे से गहरा संबंध है। यह सच है कि वसा फायदेमंद नहीं है। इसे भी वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन चीनी की खपत वसा की खपत की तुलना में मोटापा अधिक बढ़ाता है।
डॉ. नेहा बताती हैं, ‘चीनी में सिंपल कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज और फ्रुक्टोज प्रचुर मात्रा में होते हैं। हमें इसकी बहुत आवश्यकता नहीं होती है। वास्तव में मनुष्य सिंपल कार्बोहाइड्रेट पर निर्भर नहीं होता है। जब हम सरल कार्बोहाइड्रेट खाते हैं, तो ग्लूकोज को तोड़ने के लिए शरीर को इंसुलिन बनाने की आवश्यकता होती है। इंसुलिन इन्फ्लेमेट्री गुणों वाला होता है। हृदय रोग (Heart Disease) का मुख्य कारक सूजन है। इसलिए अत्यधिक वसा की तुलना में अत्यधिक चीनी हृदय प्रणाली के लिए खराब है।
ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन आपको मोटा (Obese) बना सकता है। आमतौर पर दैनिक गतिविधियों का संचालन करते समय भोजन से प्राप्त चीनी का उपयोग किया जाता है। जब आप खाती हैं और बदले में कैलोरी जलाने का प्रयास नहीं करती हैं, तो चीनी फैट में बदल जाती है।’
इस तरह चीनी आपके शरीर में जमा होने वाला फैट (Fat Deposition) है। यह वजन बढ़ाने (Weight Gain) का कारण बनती है।
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कस्टमाइज़ करेंशॉर्ट शुगर तो और भी ज्यादा खराब होते हैं। यदि फैट मोनो या पॉली अनसैचुरेटेड रूप में है, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हो सकता है। सैचुरेटेड फैट आपके लिए खराब है। ट्रांस वसा का खतरा बहुत अधिक है।
हम अनजाने में चीनी का बहुत अधिक सेवन करते हैं। शरीर के अंदर थोड़े से प्रयास से चीनी फैट में बदल जाती है। इसके विपरीत आप जिस फैट का उपभोग करती हैं, वह तुरंत फैट के रूप में जमा नहीं होता है। मेटाबोलिज्म प्रक्रिया के माध्यम से पहले यह ग्लूकोज में तब्दील होता है। फिर अतिरिक्त ग्लूकोज फैट के रूप में परिवर्तित और संग्रहीत हो पाता है।
चीनी स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हालांकि ट्रांस फैट या हाइड्रोजनीकृत वसा (Hydrogenated Fat) भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ट्रांस फैट फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग और विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए बहुत अधिक खतरनाक है। कुकीज़, केक, पेस्ट्री, प्रोसेस्ड फ़ूड, फास्ट फूड और तली हुई चीज़ों में शुगर के अलावा हाइड्रोजनीकृत वसा भी होती है। डॉ. नेहा इस बात पर जोड़ देती हैं कि यदि संभव हो, तो दोनों को छोड़ देना सबसे अच्छा है। लेकिन छोड़ने के लिए दोनों में से किसी एक को चुनते समय चीनी को छोड़ना ज्यादा जरूरी है।
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