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गलत डाइट पैटर्न और व्यस्त दिनचर्या के कारण मोटे हो रहे हैं देश के 60 फीसदी डॉक्टर

एक निजी एप पर संग्रहीत किए गए डाटा के अनुसार भारत के ज्यादातर डॉक्टर व्यस्तता के चलते अपना ध्यान नहीं रख पाते।
चिकित्सक की मदद जरूर लें। चित्र : शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 17 Oct 2023, 17:04 pm IST
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कोविड महामारी के समय में दुनिया भर की ढाल बनने वाले डॉक्टरों की अपनी सेहत खतरे में है। वे न केवल मोटे हो रहे हैं, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे हैं। जबकि कई महिला डॉक्टर पीसीओएस की शिकार हैं। डॉक्टर्स डे के अगले ही दिन सामने आई यह रिपोर्ट वाकई चौंकाने वाली है। जानिए क्या है यह अध्ययन और क्या रहे इसके परिणाम।

क्या था सर्वेक्षण

नेशनल डॉक्टर्स डे के एक दिन बाद, डिजिटल थेरेप्यूटिक्स कंपनी फिटरफ्लाई ने हाल ही में 1000 डॉक्टरों के स्वास्थ्य और कल्याण की डिग्री को मापने के लिए एक सर्वेक्षण किया। निष्कर्षों ने संकेत दिया कि हमारे स्वास्थ्य के रक्षक स्वयं जोखिम में हैं।

868 पुरुष और 132 महिला डॉक्टर्स पर हुए इस अध्ययन में, 25- 60 आयु वर्ग के डॉक्टर्स शामिल थे। इस सर्वेक्षण में उनकी एंथ्रोपोमेट्री (मानव शरीर माप), चिकित्सा इतिहास, बीएमआई श्रेणी, शारीरिक गतिविधियों के स्तर, कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, वसा, सूक्ष्म पोषक तत्व और प्रोटीन की खपत को जांचा गया।

अपने डॉक्टर के प्रति थोड़ी सी सहानुभूति भी रखें। चित्र : शटरस्टॉक

इन सभी डॉक्टरों ने एक वेलनेस ऐप में अपने भोजन और गतिविधि की जानकारी दर्ज की। यह विभिन्न आयु समूहों और स्वास्थ्य स्थितियों के लिए व्यंजनों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की गणना का भारत का सबसे बड़ा डेटाबेस है। फिटरफ्लाई पिछले एक साल में 1200+ डॉक्टरों के साथ काम कर रही है, जिससे उन्हें अपने स्वास्थ्य को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिली है।

अध्ययन के कुछ प्रमुख निष्कर्ष कुछ इस प्रकार हैं

60% से अधिक डॉक्टरों का BMI ओवर वेट आया, जिसका मतलब है कि वे मोटापे के शिकार हैं। जबकि 71 प्रतिशत डॉक्टरों को कोई पूर्व स्वास्थ्य स्थिति नहीं थी, 6 प्रतिशत को मधुमेह था, 10 प्रतिशत को उच्च रक्तचाप और 5 प्रतिशत को मधुमेह और उच्च रक्तचाप दोनों था। अन्य सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों में डिस्लिपिडेमिया, जीआई डिसफंक्शन, अस्थमा, पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), गठिया, माइग्रेन और हाइपोथायरायडिज्म शामिल हैं।

विस्तृत प्रोफेशनल प्रोफाइलिंग कॉल और डॉक्टरों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, यह दर्ज किया गया कि केवल 22 प्रतिशत डॉक्टर ही शारीरिक रूप से सक्रिय थे।

अधिकांश डॉक्टरों में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स – प्रोटीन, कार्ब्स और वसा का असंतुलन भी था। 67 प्रतिशत डॉक्टर वास्तव में कम प्रोटीन का सेवन कर रहे थे, जैसा कि उनके दैनिक कैलोरी के 10 प्रतिशत से भी कम प्रोटीन से प्रमाणित होता है।

डॉक्टरों के आहार में प्रोटीन की कमी और वसा की अधिकता देखी गई। चित्र : शटरस्टॉक

इसके अलावा, 77 प्रतिशत डॉक्टर्स वसा की अनुशंसित मात्रा से अधिक का सेवन कर रहे थे। सूक्ष्म पोषक तत्वों के विश्लेषण के निष्कर्षों से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल 10 प्रतिशत से भी कम डॉक्टरों ने जिंक, ओमेगा 3 और आयरन जैसे विभिन्न विटामिन और खनिजों के अनुशंसित मूल्य का 75 प्रतिशत पूरा किया।

डाइट पैटर्न और व्यस्त दिनचर्या कर रही है स्वास्थ्य को प्रभावित

शोधकर्ताओं ने माना कि डॉक्टर्स हमारे स्वास्थ्य के रक्षक हैं, जो आबादी को बीमारियों से मुक्त रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मगर उनके व्यस्त जीवन में उन्हें अपना ख्याल रखने का मौका नहीं मिलता है। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर हम डॉक्टर्स की सेहत पर भी सबका ध्यान आकर्षित करना चाहते थे और उन्हें खुद की देखभाल करने का आग्रह करना चाहते हैं।”

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टीम हेल्‍थ शॉट्स

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं। ...और पढ़ें

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