मौसमी सर्दी-बुखार(seasonal Flu) के अलावा, कोरोना(covid 19), डेंगू(dengue), एवियन फ्लू(avian flu), टोमेटो फीवर(tomato fever) होने की आशंका लोगों को घेर रही थी। इसी बीच जीका वायरस (zika virus) से प्रभावित होने का डर भी लोगों को सताने लगा है। लोगों की यह आशंका तब और विश्वास में बदलने लगी, जब आज कर्नाटक में एक बच्ची के जीका वायरस से ग्रस्त होने की पुष्टि हो गई। जीका वायरस का टीका(zika virus vaccine) उपलब्ध नहीं होने के कारण बचाव ही एकमात्र उपचार है। आइये जानते हैं क्या है जीका वायरस? यह कैसे फैलता है और इसके क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं। इससे बचाव के क्या उपाय (zika virus prevention and treatment) किये जा सकते है?
पुणे लैब की हाल में एक रिपोर्ट आई है। इसके अनुसार, कर्नाटक में 5 साल की एक बच्ची जीका वायरस से संक्रमित पाई गई है। यह राज्य में पहला मामला है, लेकिन देश भर में इससे बचाव के लिए किये जाने वाले उपायों में तेज़ी आ गई है। सरकार भी इस पर पूरी सतर्कता बरत रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के अनुसार, जीका वायरस एक मच्छर जनित वायरस है।इसे सबसे पहली बार 1947 में युगांडा में रीसस मकाक बंदर में पहचाना गया था। इसके बाद 1950 के दशक में अन्य अफ्रीकी देशों में मनुष्यों में संक्रमण और उनके बीमार होने की पुष्टि हुई। फरवरी 2016 में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने ज़ीका से संबंधित माइक्रोसेफली को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। जीका वायरस और जन्मजात विकृतियों के बीच संबंध होने की भी पुष्टि की गई। हालांकि जीका वायरस रोग के मामलों में वैश्विक स्तर पर 2017 के बाद से गिरावट आई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जीका वायरस मुख्य रूप से एडीज मच्छरों (Aedes aegypti mosquito) द्वारा फैलता है। ये मच्छर ज्यादातर दिन में काटते हैं। ये मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया(Chikungunya) और अर्बन येलो फीवर (urban yellow fever) भी फैलाते हैं।
जीका वायरस गर्भावस्था(pregnancy) के दौरान, यौन संपर्क, ब्लड ट्रांस्फूजन(blood transfusion) और से मां से भ्रूण में भी फैलता है। यदि गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस से संक्रमण हो जाता है, तो शिशुओं का जन्म माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विकृतियों के साथ, समय से पहले जन्म और गर्भपात भी हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के अनुसार, जीका वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं। ऐसा संक्रमण के 3-14 दिनों के बाद आम तौर पर लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर पर दाने जैसी संरचना, बुखार(zika fever), मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आंखों में परेशानी, सिरदर्द 2-7 दिनों तक रहते हैं। जीका वायरस संक्रमण के निदान के लिए प्रयोगशाला से पुष्टि होना जरूरी होता है।
जीका वायरस संक्रमण या बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। जीका वायरस संक्रमण की रोकथाम या उपचार के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। यदि इसका कोई लक्षण दीखता है, तो बीमार को भरपूर आराम करना चाहिए। तरल पदार्थ पीना चाहिए और लक्षणों का इलाज ज्वरनाशक या एनाल्जेसिक से करना चाहिए। गंभीर स्थिति में चिकित्सकीय देखभाल और सलाह लेनी चाहिए।
1. विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) इस बात की चेतावनी देता है कि जीका वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दिन और शाम के समय मच्छरों के काटने से स्वयं को सुरक्षित रखना होगा।
2. खासकर गर्भवती महिलाओं, प्रजनन आयु की महिलाओं और छोटे बच्चों को मच्छरों से सुरक्षित रखना होगा।
3. हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिए, ताकि मच्छर आकर्षित नहीं हो सकें।
खिड़की और दरवाजों को बंद कर रखना।
4. डीईईटी(DEET) या आईकारिडिन युक्त कीट विकर्षक त्वचा या कपड़ों पर लगाना।
5. छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिन या शाम को सोते समय मच्छरदानी के नीचे सोना चाहिए।
6. यात्रियों और प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों को मच्छरों के काटने से खुद को बचाने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए।
7. एडीज मच्छर घरों, स्कूलों और कार्य स्थलों के आसपास पानी के छोटे संग्रह में पैदा होते हैं। इन मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए साफ़-सफाई का ध्यान रखना और पानी के जमा होने से बचाव करना शामिल है।
8. जीका वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में अपने पार्टनर से भी दूरी बना लेनी चाहिए।
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