थाई में बढ़ रहे दर्द को कम करने के लिए ट्राई करें एक्सपर्ट के बताए ये 4 प्रभावी योगासन
बढ़ती उम्र, तेज़ी से चलना और शारीरिक आराम न मिल पाना थाइज़ के मसल्स में कांट्रेक्शन का कारण बनने लगता है। इसके चलते उठने बैठने में तकलीफ, दर्द और ऐंठन बढ़ जाती है। मांसपेशियों में होने वाले दर्द की तीव्रता उम्र और शरीर के अनुसार अलग अलग होती है। मसल्स में आने वाला खिंचाव इस समस्या को बढ़ा देता है। ऐसे में दवाओं के अलावा योगाभ्यास शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे न केवल मसल्स रिलैक्स हो जाते है बल्कि मांसपेशियों की मज़बूती भी बढ़ जाती है। आइए जानते हैं थाई में दर्द (Yoga poses for thigh pain) का कारण और किन योगासनों की मदद से इस समस्या को हल किया जा सकता है।
सबसे पहले जानते हैं थाई में होने वाले दर्द का कारण (Causes of thigh pain)
इस बारे में योग एक्सपर्ट और फिज़ियोथेरेपिस्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि मांसपेशियों में खिंचाव, दर्दनाक चोट और हिप फ्लेक्सर्स में कांट्रेक्शन जांघ के दर्द को बढ़ा देता है। इसके चलते चलने, दौड़ने या सीढ़ियाँ चढ़ने में मुश्किल बढ़ जाती है। इसके अलावा इन्नर थाइज़ में दर्द भी ऊपरी जांघ में दर्द का कारण बन जाते हैं। अधित वज़न का बढ़ना भी इस समस्या को बढ़ा देता है। इसके अलावा मसल्स वीकनेस के चलते भी दर्द की समस्या बनी रहती है। डॉ गरिमा के अनुसार वृक्षासन, बालासन और सेतुबंधासन की मदद से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे दर्द की समस्या को दूर किया जा सकता है।
थाई पेन को दूर करने के लिए इन योगासनों का करें अभ्यास (Yoga poses to reduce thigh pain)
1. उष्ट्रासन (Camel pose)
इस योगासन का अभ्यास करने से पीठ और गर्दन में बढ़ने वाली ऐंठन कम हो जाती है। इसके अलावा घुटनों को मोड़कर टांगों के बल किए जाने वाले इस योगासन से टांगों के मसल्स की मज़बूती बढ़ती है, जिससे दर्द को दूर करके पीठ को भी ताकत मिलती है। शरीर को संतुलित करने वाले इस योगासन से पैरों के दर्द को भी दूर किया जा सकता है।
जानें उष्ट्रासन को करने की विधि
- इसे करने के लिए घुटनों के बल मैट पर बैठ जाएं। अब कमर को सीधा कर लें और गहरी सांस लें।
- दोनों पैरों को मज़बूती से ज़मीन पर रखें। बाजूओं को पीछे की ओर लेकर जाएं और टखनों को पकड़ लें।
- योगाभ्यास के दौरान सांस लें और फिर छोड़ें। शरीर के उपरी हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता है।
- इससे थाइज़ के मसल्स में बढ़ने वाली ऐंठन कम होने लगती है। शरीर की क्षमता के अनुसार इसका अभ्यास करें।
2. वीरभद्रासन (Warrior pose)
रोज़ाना योगाभ्यास करने से शरीर दिनभर हेल्दी रहता है और टांगों के दर्द को भी दूर किया जा सकता है। इससे पैर की नसें मज़बूत होती हैं और ऐंठन कम होने लगती है। साथ ही शरीर का संतुलन और स्थिरता बनी रहती है।
जानें वीरभद्रासन को करने की विधि
- इस योगासन को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दाई टांग को आगे की ओर बढ़ाएं और बाई टांग को पीछे लेकर जाएं।
- दाई टांग को घुटने से मोड़ ते हुए दोनों बाजूओं को उपर की ओर लेकर जाएं और नमस्कार की मुद्रा बना लें।
- गहरी सांस लें और छोड़ें। शरीर को 30 मिनट तक इसी मुद्रा में रहने दें और फिर हाथों को नीचे लाकर सीधे खड़े हो जाएं।
3. आनंद बालासन (Happy baby pose)
इस योगासन का अभ्यास करने से टांगों और इन्नर थाइज़ में बढ़ने वाले खिंचाव को कम किया जा सकता है। इससे घुटने में बढ़ने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। साथ ही बढ़ते तनाव और चिंता को कमकरने के लिए भी ये योगासन फायदेमंद साबित होता है।
जानें आनंद बालासन करने की विधि
- इसे करने के लिए पीठ के बल मैट पर लेट जाएं। अब दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए छाती के पास लेकर आएं।
- अब दोनों टांगों के मध्य दूरी बनाकर रखें और हाथों से पैरों के पंजों को पकड़कर रखें। इसके बाद धीरे धीरे सांस छोड़ें।
- 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहने के बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें और थकान को दूर करें। इसका नियिंमत अभ्यास स्टिफनेस को दूर करता है।
4. वृक्षासन (Tree pose)
योग शरीर को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखता है। इससे मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर किया जा सकता है और शरीर हेल्दी रहता है। वृक्षासन से इन्नर थाइज़ में बढ़ने वाले दर्द को नियंत्रित करके शरीर के पोश्चर को सुधारने में मदद करता है।
जानें वृक्षासन करने की विधि
- अपने रूटीन में योग को शामिल करने से शरीर को कई फायदे मिलते है। इसके लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
- अब दाई टांग को जमीन पर रखें और बाई टांग को घुटने से मोड़ते हुए दाई इन्नर लेग पर टिका लें।फिर गहरी सांस लें।
- दोनों बाजूओं को उपर की ओर लेकर जाएं और नमस्कार की मुद्रा बना लें। इससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है और शरीर की थकान कम हो जाती है।
- योग के दौरान पीठ को एकदम सीधा रखें और गर्दन को उपर की ओर उठाएं। दोनों हाथों से दोनों कानों को छूएं।