अनहेल्दी खानपान और फिज़िकल एक्टीविटी की कमी डायबिटीज़ जैसे लाइस्टाइल डिज़ीज़ का कारण साबित होती है। रोजमर्रा के जीवन में की जाने वाली गलतियों से टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा बढ़ने लगता है। अक्सर लोग ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए कई तरह की दवाओं और इंसुलिन इंजेक्शन का इस्तेमाल करते है। मगर वे लोग जो नेचुरल तरीके से इस समस्या की रोकथाम करना चाहते हैं, उनके लिए योगाभ्यास बेहतरीन विकल्प है। इससे ब्लड सर्कुलेशन को नियंत्रित करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। जानते हैं डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों के लिए कुछ योगासन (Yoga for diabetes)।
इस बारे में योग एक्सपर्ट भावना जपत्यानी बताती हैं कि शुगर एक मेटाबोलिक डिजीज है। शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ा देती है। ओवरवेट, गलत खानपान और एक्सरसाइज़ की कमी इस समस्या का कारण साबित होती है। ऐसे में योगासन की मदद से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। इन योगासनों से वज़न संतुलित रहता है और मसल्स पेन से राहत मिलती है।
शरीर की स्ट्रेंथ को बढ़ाने और डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए रोज़ाना योगासन बेहद कारगर साबित होता है। इससे शरीर हेल्दी और एक्टिव रहता है। साथ ही पेट की मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होने लगता है।
इस योगासन को करने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। साथ ही पोश्चर में भी सुधार आता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से एंग्ज़ाइटी, सिरदर्द और थकान से राहत मिलती है। साथ ही पाचन संबधी समस्याएं हल हो जाती हैं।
शरीर में बढ़ने वाले हार्मोनल असंतुलन को इस योगासन की मदद से कम किया जा सकता है। साथ ही ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है। साथ ही मानसिक तनाव भी कम होने लगता है।
पाचनतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए हलासन का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है। इससे शरीर में तनाव का स्तर कम होने लगता है और मसल्स में खिंचाव महसूस होता है। इससे शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से डायबिटीज के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।
शरीर के वज़न को संतुलित रखने के लिए कटि चक्रासन का अभ्यास फायदेमंद है। इससे स्पाइन में ट्विस्ट
महसूस होता है और पोश्चर में सुधार आने लगता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर को एक्टिव और हेल्दी रखता है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दाई टांग को आगे और बाईं टांग को पीछे की ओर रखें।
अब दाईं बाजू को बाएं कंधे पर टिकाएं और बाएं हाथ को सामने की ओर फैलाकर रखें। गर्दन् को पीछे की ओर लेकर जाएं।
गहरी सांस लें और छोड़ें। दिन में 2 बारइसका अभ्यास करने से शरीर संतुलित रहता है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
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