दिनभर काम में मसरूफ रहने के चलते शारीरिक अंगों में होने वाले दर्द का अंदाज़ा नहीं हो पाता है। मगर कुछ देर बैठने या लेटने में अचानक से टांगों या फिर बाजूओं में दर्द व ऐंठन महसूस होने लगती है। अक्सर भारी सामान उठाने, कंधों में दर्द या फिर देर तक बाजूओं का प्रयोग करने से बाजू में दर्द की संभावना बढ़ जाती है। दर्द से तुरंत राहत के लिए दवाओं का सेवन किया जाता है। मगर कुछ आसान योगासनों को रूटीन में शामिल करके इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है। जानते हैं बाजूओं में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए कुछ आसान योगासन (arm pain)।
इस बारे में बातचीत करते हुए योग एक्सपर्ट भावना जपत्यानी बताती हैं कि कई कारणों से बाजूओं में स्टिफनेस की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। बाजूओं के दर्द को कम करने के लिए नियमित तौर पर योगासनों का अभ्यास शरीर में ब्लढ सर्कुलेशन बढ़ाता है, जिससे दर्दकी समस्या कम होने लगती है। इस समस्या को दूर करन के लिए पार्श्व अंजलि मुद्रा, उष्ट्रासन और गोमुखासन का अभ्यास बेहद फायदेमंद साबित होता है। शरीर की क्षमता के हिसाब से दिनभर में 2 से 3 बार इसका अभ्यास करें। योगासन से टांगों, पीठ, कंधों और घुटनों का दर्द कम होने लगता है।
गरूड़ासन को ईगल पोज़ कहा जाता है। बाजूओं में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर करने के लिए गरूड़ासन का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इससे बाजूओं, कंधों और कलाई की मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन भी नियमित हो जाता है। इसके नियमित अभ्यास से पैर और टांगों में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर करने में भी मदद मिलती है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर सुखासन में बैठ जाएं और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करके रखें।
अब दाई बाजू को बाई बाजू पर लपेटकर नमकस्कार की मुद्रा बनाएं और 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहें।
योगाभ्यास के दौरान पीठ को एकदम सीधा रखें और गहरी सांस लें व छोड़ें। इस योगासन से हाथों के मसल्स
स्ट्रेच होते हैं।
इसके बाद बाई बाजू को दाई बाजू पर लपेटें और नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। धीरे धीरे बाजूओं को खोलें और सुखासन में बैठ जाएं।
दिन में दो बार इस योगासन का अभ्यास करने से बाजूओं के मसल्स रिलैक्स होने लगते हैं और बाजूओं के दर्द से राहत मिल जाती है।
इस योगासन को रूटीन में फॉलो करने से बाजूओं के मसल्स स्ट्रेच होते है, जो दर्दसेराहत प्रदान करने में मदद करते हैं। इसके अलावा बाजूओं और अपर बॉडी पर जमा चर्बी को दूर करने में भी ये योगासन मददगार साबित होता है। इस योगासन का नियमित प्रयास फायदेमंद साबित होता है।
शरीर के लचीलेपन में वृद्धि करने वाले उष्ट्रासन को करने के लिए घुटनों के बल मैट पर बैठ जाएं।
इसके बाद शरीर के उपर हिस्से को पीछे की ओर लेकर जाएं। इस दौरान दोनों टांगों के मध्य दूरी बनाकर रखें।
कमर से शरीर को पीछे की ओर झुकाएं और दोनों बाजूओं को पीछे लेकर जाएं और दोनों पंजों को पकड़ लें।
अब गहरी सांस लें और फिर धीरे धीरे रिलीज़ करें। शरीर के स्टेमिना के अनुसार इस योगासन को करें।
उसके बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें और घुटनों के बल बैठ जाएं। 3 से 4 बार इस योगासन का 30 सेकण्ड के लिए अभ्यास करें।
कंधों और बाजूओं में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने के लिए उल्टी अंजलि मुद्रा का अभ्यास करना कारगर साबित होता है। इससे रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।
इस योगासन को करने के लिए घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं और दोनों हाथों को उपर की ओर उठाएं।
बाजूओं को एकदम सीधा करें और फिर उन्हें कोहनियों से मोड़ते हुए पीछे की ओर लेकर जाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाएं।
योगसन के दौरान पीठ को एकदम सीधा रखें और पैरों की एड्यिं पर हिप्स को पूरी तरह से टिकाए रखें।
पेट को अंदर की ओर खीचें और आंखों को बंद कर लें। 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में बैठें।
बाजूओं में बढ़ने वाले दर्द को कम करने में गोमुखासन बेहद कारगर साबित होता है। वे लोग जो इसका नियमित तौर पर अभ्यास करते हैं, उनके बाजूओं की मांसपेशियां स्ट्रेच होती है, जिससे दर्द और तनाव दोनों दूर होने लगते हैं। इससे पीठ के दर्द को भी दूर किया जा सकता है।
इस योगासन को करने के लिए सुखासन में बैठ जाएं। अब अपनी दाईं टांग को बाई टांग पर रखें।
फिर बाई टांग को दाई थाइ पर टिकाएं। रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा कर लें और सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
दाईं बाजू को कान के नज़दीक से पीछे की ओर लेकर जाएं। फिर बाई बाजू को कमर के पास से ले जाते हुए दाई बाजू को पकड़ें।
शरीर के स्टेमिना के हिसाब से इस योगासन का अभ्यास करें। इससे बाजूओं का दर्द दूर करने और मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है।
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