मानसून के दिनों में बार बार बारिश के संपर्क में आने से बच्चों के शरीर में बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन (bacterial and fungal infection) का खतरा बना रहता है। शरीर को धूप न मिल पाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune system) कम होने लगती है। ऐसे में शरीर को एक्टिव और बीमारियों की चपेट से बचाए रखने के लिए योगासनों का अभ्यास लाभदायक साबित होता है। इससे तन और मन को सुकून और एनर्जी की प्राप्ति होती है। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से शरीर बीमारियों से दूर बना रहता है। जानते हैं बरसात में बच्चों के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने वाले योगासन (Yoga for immunity) ।
जर्नल ऑफ़ इन्फेक्शन एंड इम्युनिटी की रिपोर्ट के अनुसार मानसून में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। ह्यूमिडिटी और नमी के स्तर में बढ़ोतरी होने से शरीर आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाता है। ऐसे में बच्चों के शरीर को ऊर्जावान बनाने और इम्यून सिस्टम (immune system) को बूस्ट करने के लिए शारीरिक सक्रियता को बनाए रखना ज़रूरी है। जानते हैं सर्टिफाइड योग एक्सपर्ट सुमिता गुप्ता से बच्चों के इम्यून सिसटम को बूस्ट करने वाले योगासन।
रोज़ाना सेतुबंधासन (Bridge pose) का प्रयास करने से शरीर के मसल्स में मज़बूती बढ़ती है और ब्लड सर्कुलेशन नियमित बना रहता है। इससे शरीर में बैक्टीरियन इंफेक्शन का खतरा कम होने लगता है। इसके अलावा पेल्विक मसल्स (pelvic muscles) को भी मज़बूती मिलती है। दिन में दो बार 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इस योगासन का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है।
बरसात के मौसम में शरीर में दर्द और ऐंठन की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में शरीर को एक्टिव रखना आवश्यक है। समकोणासन (straight angle pose) की मदद से पीठ और कंधों में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा शरीर में रक्त का संचार (blood circulation) बना रहता है। इससे मसल्स को भी मज़बूती मिलती है।
शारीरिक अंगों को स्ट्रेच करने के लिए उत्तानासन का अभ्यास किया जाता है। इसके नियमित अभ्यास से दिनों दिन बढ़ने वाले तनाव से मुक्ति मिलती है। दरअसल, शरीर के उपरी हिस्से को नीचे की ओर झुकाकर किए जाने वाले इस योगासन से ब्रेन में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाती है। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है।
बच्चों के शरीर में लचीलेपन को बनाए रखने के लिए धनुरासन का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है। इससे शरीर एक्टिव और सदृढ़ बना रहता है। साथ ही मौसमी बीमारियों से भी दूर रहता है।
इसे करने के लिए मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब दोनों टांगों को सीधा करें और पैरों में दूरी बना लें।
अब दोनों टांगों को उपर उठाएं और दोनों बाजूओं को पीछे लेकर जाएं। आगे से चेस्ट को उपर की ओर उठाएं।
30 सेकण्ड तक इस मुद्रा में रहने के बाद शरीर को ढ़ीला छोड़ दें। इस दौरान सांस पर नियंत्रण बनाए रखें।
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