जानकारी के अभाव में योग के बारे में कई भ्रांतियां (Yoga Myths) हैं। इसके साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए खराब मौसम और बारिश का बहाना नहीं बनाया जा सकता है। मानसून या बारिश में घर के अंदर रहकर हर चीज का अभ्यास किया जा सकता है। इसके लिए योग मैट बिछाएं और अपना अभ्यास शुरू कर दें। खुद को फिट और स्वस्थ रखने के लिए एक्सपर्ट से जानते हैं मानसून और योगाभ्यास (yoga in monsoon) संबंधी कुछ मिथ्स और उनकी सच्चाई।
हठ योग इंस्ट्रकटर प्रियंका सिंह कहती हैं, ‘बारिश के मौसम में तमाम तरह के वायरस, बैक्टीरिया और फंगस का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए यह भ्रांति है कि योग नहीं करना चाहिए। फैक्ट यह है कि योग जरूर करना चाहिए। इस मौसम में हेल्दी बने रहने के लिए सुबह या शाम 15-20 मिनट टाइम जरूर निकालें। बाहर खुले में योग करने की बजाय घर पर ही योग और ध्यान करें। इस मौसम में नियमित रूप से योग करने पर पाचन से लेकर सर्दी-जुकाम, कील-मुंहासों और बाल झड़ने जैसी कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।’
योग के बारे में मिथ यह भी है कि उमस के मौसम में योग करने पर बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है और बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। जबकि फैक्ट यह है कि योग को कभी हाई इंटेंसिटी इंटरवल (HIIT) समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। योग स्थिर और आराम से की जाने वाली क्रिया है। इससे पसीने का कोई भी लेना-देना नहीं है। प्रियंका सिंह कहती हैं, ‘धूप कम मिलने की वजह से शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है।
इस मौसम में लोगों का घूमना-फिरना भी आम दिनों के मुकाबले कम हो जाता है। एक्सरसाइज नहीं हो पाती है। इस वजह से इम्युनिटी कमजोर होने लगती है। इम्युनिटी कमजोर होने से कई तरह की बीमारियों का अटैक होने लगता है। फिजिकल एक्टिविटी कम होने की वजह से पाचन पर भी असर पड़ता है। इम्युनिटी मजबूत बनाने और मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए नियमित योगाभ्यास जरूरी है।’
सर्द-गर्म मौसम के कारण गले के संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसे दूर करने के लिए सेतुबंधासन सबसे जरूरी है।
कैसे करें सेतुबंधासन
पीठ के बल लेटकर दोनों घुटनों को मोड़ें। पैरों को हिप्स की चौड़ाई की दूरी पर फर्श पर सपाट रखें।
पैरों को फर्श पर दबाएं। सांस लें और कूल्हों को ऊपर उठाएं। रीढ़ को भी फर्श से ऊपर उठाएं.
चेस्ट को ऊपर उठाने के साथ हाथों से दोनों पैर को छूने या पकड़ने की कोशिश करें।
4-8 बार सांस लेने और छोड़ने तक इसी स्थिति में रहें।
कटे फल, बासी खाना और खुले में बिकने वाली चीज़ें खाने से कई तरह के इन्फेक्शन्स होने का खतरा रहता है। पीलिया, टायफाइड, डायरिया के सबसे ज्यादा मामले इस मौसम में ही देखने को मिलते हैं। इसलिए पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए धनुरासन करें।
कैसे करें धनुरासन
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंपेट के बल सीधे लेट जाएं।
पैरों को घुटनों से मोड़ें और पैरों को पीछे ऊपर ले आएं।
हाथों को पीछे की ओर फैला कर एड़ियों को पकड़ लें।
सांस लेकर शरीर को ऊपर धनुष आकार में बनाएं।
मॉनसून में पानी और धूल-मिट्टी की समस्या के कारण बाल अधिक झड़ते हैं। इससे बचाव (yoga in monsoon) के लिए उत्तानासन करें।
कैसे करें उत्तानासन
ताड़ासन में खड़े हो जाएं। पैरों को कूल्हे जितनी चौड़ाई की दूरी पर रखें।
धीरे-धीरे आगे की ओर मोड़ें। उंगलियों को फर्श पर लाएं।
सिर को रिलीज करते हुए सांस छोड़ें।
सांस लेते हुए धीरे-धीरे उठें।
इस मौसम में एक्ने पिम्पल की भी समस्या होती है। इसे दूर करने के लिए सर्वांगासन करें।
कैसे करें सर्वांगासन
पीठ के बल लेट जाएं।
पीठ को सहारा देने के लिए हाथों का उपयोग करें।
पैरों को टाइट रखते हुए एड़ियों को ऊपर उठाएं।
गर्दन को ज़मीन पर झुकाने से बचें।
सांस लेते हुए 30 सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें। अभ्यास होने पर अधिक देर तक भी रहा जा सकता है।
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