इनफर्टिलिटी का कारण हो सकता है मोटापा, जानिए महिलाओं में जिद्दी चर्बी के स्वास्थ्य जोखिम

मोटापा एक मेडिकल कंडीशन है जिके चलते शरीर में अत्यधिक मात्रा में फैट्स एकत्रित होने लगते है। इसके चलते स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। मोटापे के कारण पुरुषों व महिलाओं में इनफर्टिलिटी बढ़ने लगती है।
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मोटापे के कारण पुरुषों महिलाओं में इनफर्टिलिटी बढ़ने लगती है। चित्र शटरस्टॉक।
Published On: 23 Dec 2024, 07:00 pm IST
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शरीर पर जमा चर्बी मोटापे का कारण बनने लगती है। अक्सर लोगों को कहते हुए सुना है कि मोटापा कई समस्याओं का कारण बनता है। मगर ये बात वाकई सच है, क्यों कि कभी बैठकर, तो कभी ओवरइटिंग करके दिनो दिन बढ़ने वाला मोटापा कई हेल्थ प्रॉबलम्स का प्राथमिक कारण बनने लगता है। इससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है, जिससे बीएमआई भी प्रभावित होने लगता है। चलिए जानते हैं, मोटापा किसे कहते हैं और इससे शरीर में किन समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

सीडीसी के अनुसार शरीर में बढ़ने वाले मोटापे की जानकारी बीएमआई यानि बॉडी मास इंडैक्स से प्राप्त होती है। अगर आपका बीएमआई 30 से अधिक है, तो आपकी गिनती उन लोगों में होती है, जो मोटापे के शिकार हैं। इसकी हेल्दी रेंज 18.5 से 24.9 के मध्य होनी चाहिए।

सबसे पहले जानते हैं मोटापा किसे कहते हैं (What is obesity)

इस बारे में इंटरनल सर्जन डॉ विकास कपूर बताते हैं कि मोटापा एक मेडिकल कंडीशन है जिके चलते शरीर में अत्यधिक मात्रा में फैट्स एकत्रित होने लगते है। इसके चलते स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसकी जानकारी किसी व्यक्ति के बीएमआई को केलकुलेट करके ली जाती है। नियमित एक्सरसाइज़, तनाव से दूरी, पोषण की प्राप्ति और स्लीप पैटर्न को फॉलो करके इस समस्या को हल किया जा सकता है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्कनाइजे़शन के अनुसार वे लोग जिनका बॉडी मास इंडैक्स 25 से ज्यादा है, वो ओवरवेट कहलाते हैं और 30 से अधिक मोटापे के शिकार होते हैं। साल 2019 में नॉन कम्यूनिकेबल डिज़ीज़ के कारण होने वाली 5 मिलियन लोगों की मौत का कारण बढ़ा हुआ बीएमआई साबित होता है।

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ओवरवेट महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन बढ़ जाता है, जिसके चलते मोटापे का सामना करना पड़ता है। चित्र शटरस्टॉक।

जानते हैं इसके कारण शरीर में बढ़ने वाली समस्याएं (Health risks in obesity)

1. हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है

मोटापे से ग्रस्त लोगों में हृदय सबंधी समस्याओं का जोखिम बना रहता है। इसके चलते शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने में प्रेशर का सामना करना पड़ता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बनी रहती है, जो स्ट्रोक का कारण साबित होता है। इससे हृदय तक ब्लड को सर्कुलेट करने वाली वेसल्स को नैरो बना देता है। आर्टरीज़ में बढ़ने वाली कठोरता को एथेरोस्क्लेरोसिस भी कहा जाता है। इसका असर हृदय के अलावा किडनी पर भी दिखने लगता है।

2. मांसपेशियों में दर्द व ऐंठन

मोटापा के कारण जोड़ों पर अतिरिक्त वज़न की समस्या बढ़ने लगती है। इससे मांसपेशियों में तनाव बढ़ने लगता है, जिससे ज्वाइंट्स में सूजन और दर्द बनी रहती है। वे लोग जो मोटापे के शिकार हैं, उनमें अक्सर जमा होने वाले फैट्स सूजन का कारण बनने लगते हैं। इससे घुटनों, टांगों, कूल्हों और पीठ में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। इससे देर तक खेड़े होने पर तकलीफ बढ़ती और स्टिफनेस का सामना करना पड़ता है।

3. तनाव का बढ़ना

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार वज़न के बढ़ने से शरीर में कार्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जिसके चलते नींद न आने की समस्या बढ़ जाती है और तनाव का सामना करना पड़ता है। तनाव के चलते ओवरइटिंग की समस्या बनी रहती है। इसके चलते मोटापे का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा डोपामाइन का स्तर बढ़ने लगता है, जो बार बार भूख लगने की समस्या को बढ़ा देता है।

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4. टाइप 2 डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ाए

मोटापे के कारण शरीर में फैटी एसिड और ग्लूकोज़ का रिलीज़ बढ़ने लगता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार बॉडी के मेटाबॉलिज्म में बदलाव आने से पेनक्रियाज उचित तरीके से इंसुलिन के रिलीज़ में सहायक साबित नहीं होती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल का सामना करना पड़ता है। इससे ब्लड में लिपिड और साइटोकाइन्स की मात्रा भी बढ़ने लगती है, जिससे इंसुलिन रज़िस्टेंस का सामना करना पड़ता है।

Diabetes kaise control karein
ओवरवेट, गलत खानपान और एक्सरसाइज़ की कमी इस समस्या का कारण साबित होती है।चित्र : अडॉबीस्टॉक

5 गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिज़ीज़

मोटापे से शरीर में गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ का जोखिम बढ़ जाता है। इससे सीने में दर्द और जलन का सामना करना पड़ता है। साथ ही ब्लोटिंग, पेट दर्द और कब्ज की भी समस्या बनी रहती हे। इसके अलावा बाइल की मात्रा उत्तेजित होने लगती है, जिससे गॉल ब्लैडर में स्टोन की मात्रा बढ़ जाती है। लिवर के आसपास फैट्स बढ़ने लगते है, जिससे लिवर डैमेज का जोखिम बढ़ जाता है।

6. इनफर्टिलिटी का खतरा

मोटापे के कारण पुरुषों महिलाओं में इनफर्टिलिटी बढ़ने लगती है। इसके कारण जहां कंसीव करने में समय लगता है, तो वही प्रजनन दर कम होने लगती है। इससे गर्भपात का खतरा बना रहता है। वहीं महिलाओं के साथ साथ पुरुषों में स्पर्म की गुणवत्ता में कमी आने लगती हैं।

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इन टिप्स की मदद से मोटापे से मिलेगी राहत

1. हेल्दी डाइट लें

शरीर में पोषण की मात्रा को बढ़ाने और फैट्स को कम करने के लिए मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करें। इसके अलावा समय पर खाना खाने की आदत अपनाएं।

2. व्यायाम है ज़रूरी

नियमित रूप से व्यायाम करने से न केवल कैलोरीज़ बर्न होती हैं बल्कि मसल्स हेल्थ भी कमज़ोर होने लगती है। ऐसे में मॉडरेट इंटैसिटी एक्सरसाइज़ करें।

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फिजिकल एक्टिविटी में कमी, पोषण संबंधी समस्या के कारण अधिक वजन और मोटापा जैसी समस्या सामने आ रही है। चित्र : अडोबी स्टॉक

3. पानी पीएं

भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है और शरीर हेल्दी व एक्टिव रहता है।

4. सोने का समय तय कर लें

सोने का समय तय कर लें। इससे भरपूर नींद मिलती है और तनाव से दूरी बनी रहती है। इसके लिए स्लीप पैटर्न को फॉलो करें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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