कहीं आपके बेकाबू इमोशन्स आपके वेट गेन का कारण तो नहीं? हमने की पूरी पड़ताल

हम सभी के जीवन में चिंता और तनाव है, लेकिन यह तनाव हमारी ओवर ईटिंग का कारण बन जाता है। जानिए इमोशनल ईटिंग को कैसे रोकें।
इससे वेट लॉस में मदद मिलती है। चित्र: शटरस्‍टाॅॅक
इससे वेट लॉस में मदद मिलती है। चित्र: शटरस्‍टाॅॅक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 10 Dec 2020, 13:51 pm IST
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अपने जीवन के अनुभव से मैंने और कुछ सीखा हो या न सीखा हो, यह ज़रूर जाना है कि हर व्यक्ति की न्यू ईयर रेसोल्यूशन वाली लिस्ट में वेट लॉस सबसे ऊपर होता है। लेकिन हर बार आपके और वेट लॉस के बीच बाधा बनते हैं इमोशन्स। हर लड़की की यही कहानी है। दुखी होने पर आंसुओं के साथ एक टब आइस क्रीम या एक पैकेट चिप्स चाहिए ही चाहिए।

इमोशनल ईटिंग

नेशनल सेंटर ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी के रिसर्च में सामने आया है कि महिलाओं में नकारात्मक भावनाओं को खाने से कॉम्पेनसेट करने की प्रवृत्ति होती है। इसलिए स्ट्रेस से लेकर ब्रेकअप तक, हम हर समस्या आइस क्रीम के साथ ही फेस करते हैं।

फ़िटनेस फ्रीक होने के बाद भी हम इमोशनल ईटिंग के जाल में कैसे फंस जाते हैं?

अगर आप भी खुद से यही सवाल पूछती हैं तो इसका जवाब हम आपको देते हैं।

1. भावनाओं में बह जाती है फ़िटनेस

गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल की सीनियर मनोचिकित्सक डॉ प्रीति सिंह इस विषय पर प्रकाश डालती हैं। “महिलाओं में किसी भी अनवांटेड परिस्थिति से कोप करने के लिए खाने की प्रवृत्ति होती है। ब्रेकअप हो, एब्यूजिव रिश्ते हों या बॉडी इमेज की समस्या, महिलाएं अपना पसंदीदा खाना खाकर उस नेगेटिव विचार को खत्म करने की कोशिश करती हैं।”

2. सर्वाइवल इंस्टिंक्ट

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, सैन फ्रांसिस्को, के रिसर्च में पाया गया कि स्ट्रेस होने पर हमारी बॉडी सर्वाइवल मोड में चली जाती है। ऐसा करने पर बॉडी को लगता है कि उसे और कैलोरी की ज़रूरत है। इसलिए हम स्ट्रेस्ड होने पर खाने की ओर बढ़ते हैं।

3. हॉर्मोन्स

दुखी या परेशान होने पर हमारी बॉडी कॉर्टिसोल नामक एक हार्मोन निकालती है, जो हमें खाने के लिए उकसाता है। दुखी होने पर हम यह समझ नहीं पाते कि हमारी बॉडी को कितनी कैलोरी की ज़रूरत है और हम कितना खा रहे हैं। इसलिए हम लिमिट से ज्यादा कैलोरी खा लेते हैं।

4. कंफर्ट देता है हमारा पसन्दीदा फूड

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार कॉर्टिसोल बढ़ने पर इंसुलिन भी बढ़ता है, जिसके कारण ब्लड शुगर लो हो जाता है। ऐसे में ब्लड शुगर नार्मल करने के लिए हम मीठी चीज़ों की ओर भागते हैं।

इमोशन्स ईटिंग है खतरनाक। चित्र: शटरस्‍टॉक

यही नहीं कार्बोहाइड्रेट में ट्राइप्टोफेन नामक एक एमिनो एसिड होता है, जो हमारे मूड को टेम्पररी तौर पर अच्छा करता है। इसलिए हम स्ट्रेस में कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन के पीछे भागते हैं।

इसका परिणाम वही होता है जिसका हमें डर है

एक बार आप इमोशनल ईटिंग कर लें, तो आप और कार्बोहाइड्रेट के लिए क्रेव करते हैं। एक बार सारी शुगर खत्म हो गयी, तो हम और शुगर की ओर बढ़ते हैं। यही साइकल लगातार चलती है और परिणामस्वरूप हम बहुत वेट गेन कर लेते हैं।

इन स्टेप्स को फॉलो करने से आप खुद को कंट्रोल कर सकती हैं-

1. यह समझना जरूरी है कि आपको जो भूख लग रही है, वह इमोशनल है या सच मे आपको खाने की ज़रूरत है। जब आप यह समझने लगेंगे तो आप इमोशनल ईटिंग पर कंट्रोल कर सकते हैं।
2. स्ट्रेस कम करने वाली एक्टिविटी को अपने रूटीन में शामिल करें।

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इमोशनल ईटिंग के लिए हेल्दी विकल्प चुनें। चित्र- शटर स्टॉक।

3. अगर दुखी या स्ट्रेस्ड हैं तो कोशिश करें दोस्तों या परिवार के साथ बैठने की। अगर अकेले रहती है तो एक पैट से बेहतर क्या होगा। थोड़ी देर किसी प्रियजन के साथ समय बिताइए, आपको अच्छा महसूस होगा।
4. खाएं मगर ध्यान से। अगर दुखी होने पर खा रही हैं तो हेल्दी फूड को चुनें। उपमा, इडली, उत्तपम, ओटमील के पैनकेक या बनाना चिप्स को चुन सकती हैं। यह आपका मूड भी अच्छा करेगा और वेट भी कंट्रोल करेगा।
5. कोल्डड्रिंक के बजाय नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ या सिर्फ पानी ही लें। फाइबर युक्त भोजन लें।

यह भी ज़रूर ध्यान दें कि आप इस तरह के इमोशनल ईटिंग महीने में कितनी बार कर रही हैं। “दो महीने में एक या दो बार है तो ठीक है, वरना इस समस्या के लिए किसी मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए,” कहती हैं डॉ सिंह।

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