आजकल कई अलग-अलग फास्टिंग का ट्रेंड चल रहा है, लोग वजन कम करने के लिए तरह-तरह के डाइट टिप्स और फास्टिंग रणनीतियां अपनाते हैं। इन्हीं में से एक है “वॉटर फास्टिंग” यानी की पानी पर उपवास करना। इस दौरान व्यक्ति केवल पानी पर रहता है, जिससे सेहत को कई महत्वपूर्ण फायदे प्राप्त करने में मदद मिलती है (water fasting)।
अब सवाल यह उठता है, कि क्या केवल पानी पीकर रहना सेहत के लिए असल में फायदेमंद है, या यह केवल एक मिथ है? वॉटर फास्टिंग सुरक्षित है या नहीं? इसकी जानकारी लेने के लिए हमने यश फिटनेस के फाउंडर और फिटनेस एक्सपर्ट यश अग्रवाल से बात की। उन्होंने वॉटर फास्टिंग के कुछ महत्वपूर्ण फायदे बताएं हैं, साथ ही साथ इससे होने वाले कुछ साइड इफेक्ट्स पर भी बात की है। तो आईए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ (water fasting)।
उपवास के दौरान जब आप सिर्फ पानी पीते हैं, और कुछ नहीं खाते, तो उसे वॉटर फास्टिंग (water fasting) फास्ट कहा जाता है। इसमें व्यक्ति बिना कुछ खाए एक निश्चित समय के लिए केवल पानी पीकर रहता है। जल्दी वजन कम करने के लिए ये डाइट सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड कर रहा है।
कुछ अध्ययनों वॉटर फास्टिंग के लाभ भी बताते हैं। कुछ पुरानी बीमारियों में, एक निश्चित अवधि के लिए केवल पानी पीने से ऑटोफैगी की प्रक्रिया को उत्तेजित किया जा सकता है। यह स्टेज शरीर को सेल्स के पुराने हिस्सों को तोड़ने और रीसायकल करने में मदद करता है। यह मूल रूप से बॉडी सेल्स को रिपेयर करता है।
वॉटर फास्टिंग करने का कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है। कुछ लोग 24 से 72 घंटे या एक से तीन दिन तक उपवास करते हैं। अपने शरीर पर इसके प्रभाव को समझने के लिए पहले 24 घंटे की फास्टिंग करें, उसके बाद यदि आपको किसी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया नजर न आए तो आप अगली बार फास्टिंग की अवधि बढ़ा सकती हैं।
अगर आप वाटर फास्टिंग करना चाहती हैं, तो इसे ऐसे समय पर करें, जब आपके पास आराम करने के लिए पर्याप्त समय हो। व्यस्त समय के दौरान या जब आप व्यायाम कर रही हों या कड़ी मेहनत कर रही हों, तो वॉटर फास्टिंग करना अधिक कठिन हो सकता है।
कुछ लोग उपवास की तैयारी के लिए एक दिन पहले थोड़ा-थोड़ा खाना खाते हैं, या दिन के कुछ हिस्से में उपवास करते हैं। इससे आपके पेट को कम खाने की आदत पड़ जाती है। इसके अलावा, कुछ लोग पूरे दिन पानी पीते हैं और खाने-पीने की चीज़ों और दूसरे पेय पदार्थों से परहेज़ करते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ऑटोफैगी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सेल्स किसी भी पुराने या क्षतिग्रस्त हिस्से को तोड़ती हैं और फिर उन्हें शरीर के भीतर वापस से रीसायकल करती हैं। यदि यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए कैंसर और अल्जाइमर रोग जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव समस्याएं।
ऐसे में फास्टिंग से ऑटोफैगी को बढ़ावा मिलता है। कभी-कभी थोड़े समय के लिए उपवास करने से कई बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है। लेकिन अभी ह्यूमंस पर कुछ अन्य रिसर्च की आवश्यकता है।
डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें सेल्स इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील होती हैं। यह हार्मोन शरीर को भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
फास्टिंग के दौरान सेल्स इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। पब मेड सेंट्रल द्वारा 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन में डायबिटीज से पीड़ित 36 लोगों को तीन महीने के दौरान रुक-रुक कर उपवास करने को कहा गया। परिणाम से पता चला कि 90% प्रतिभागियों ने डायबिटीज की दवाएं लेना कम कर दिया है। आधे से ज़्यादा लोगों की डायबिटीज की स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण आर्टरीज की दीवारों पर रक्त का दबाव लगातार बहुत तेज होता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा 38 लोगों पर एक अध्ययन किया गया, जो अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त थे, उनमें वॉटर फास्टिंग से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में सुधार देखने को मिला।
हृदय रोग के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और हर दिन हजारों लोग हार्ट अटैक से अपनी जान गंवा रहे हैं। कभी-कभार वॉटर फास्टिंग करने से हृदय रोग से बचाव में मदद मिल सकती है। फास्टिंग शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर देता है और पोषण संबंधी कीटोसिस को प्रेरित करता है। वॉटर फास्टिंग हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और मोटापे जैसी स्थिति में कारगर होती है और यह सभी फैक्टर एक स्वस्थ हृदय के निर्माण में आपकी सहायता करते हैं।
वॉटर फास्टिंग के दौरान कुछ साइड इफेक्ट्स भी नजर आ सकते हैं। हालांकि, यह सभी के साथ नहीं होता परंतु ऐसा होने की संभावना बनी रहती है, जैसे की डिहाइड्रेशन की समस्या। अब आप सोच रही होंगी पानी पीकर आखिर कोई डिहाइड्रेट कैसे हो सकता है! तो आपको बताएं कि हाइड्रेटेड रहने के लिए महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोलाइट की आवश्यकता होती है जैसे कि पोटैशियम, सोडियम, मैग्नीशियम आदि जिन्हें खाद्य पदार्थों से प्राप्त किया जाता है।
इसलिए जब आप लंबे समय तक केवल पानी पीती हैं, तो शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से इलेक्ट्रोलाइट लॉस हो सकता है, जो डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है। केवल पानी पर रहने से अचानक से आपका ब्लड प्रेशर गिर सकता है, जिसकी वजह से हल्का महसूस होता है और चक्कर आ सकता है। वहीं इस स्थिति में ब्लड में सोडियम की कमी हो सकती है।
वॉटर फास्टिंग आपके लिए तब काम करती है, जब आपको किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती। अगर आप पहले से किसी बीमारी से जूझ रही हैं, या आप किसी मेडिसिन पर हैं, तो ऐसे में वॉटर फास्टिंग से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
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