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एलर्जी से पूरी तरह छुटकारा पाना चाहती हैं? तो नियमित रूप से करें भ्रमर मुद्रा

योग हमेशा से सभी प्रकार की बीमारियों का सही समाधान रहा है, और यह सच है। यहां तक ​​कि एलर्जी के मामले में भी। एलर्जी से छुटकारा पाने के लिए भ्रमर मुद्रा का अभ्यास करें।
आपको एलर्जी से राहत दिला सकती है भ्रमर मुद्रा. चित्र : शटरस्टॉक
आपको एलर्जी से राहत दिला सकती है भ्रमर मुद्रा. चित्र : शटरस्टॉक
Updated On: 30 Oct 2023, 12:00 pm IST

ऐसे समय में जब विश्व स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, हर छोटी-छोटी समस्या बहुत चिंता का कारण बनती है। एलर्जी के मामले में भी ऐसा ही है, लेकिन चिंता न करें क्योंकि भ्रमर मुद्रा (Bhramara Mudra) आपकी मदद कर सकती है। यह सरल हाथ सकी जाने वाली मुद्रा आपको आपकी सभी एलर्जी प्रतिक्रियाओं से राहत दिला सकती है।

भ्रमर (Bhramara) एक संस्कृत शब्द है जिसका प्रयोग “भंवरे” के लिए किया जाता है और “मुद्रा” – “हाथ का इशारा” है। मध्यमा और तर्जनी के साथ इस मुद्रा को करते हुए, हाथों का आकार भंवरे जैसा दिखता है और यहीं से इसे नाम दिया गया है।

इस मुद्रा का अभ्यास कैसे करें:

दिए गए निर्देशों और समय अवधि का पालन करके भ्रमर मुद्रा करें और इसके स्वास्थ्य लाभों का आनंद लें।

भ्रमर योग मुद्रा का अभ्यास करने के लिए, दोनों हाथों की तर्जनी को मोड़कर अंगूठे के नीचे रखें। इसके बाद अंगूठे के सिरे को बीच के नाखून पर रखकर अनामिका और छोटी उंगलियों को फैलाएं।

जानिए भ्रमर मुद्रा करने का सही तरीका. चित्र : शटरस्टॉक
जानिए भ्रमर मुद्रा करने का सही तरीका. चित्र : शटरस्टॉक

यहां हैं भ्रमर मुद्रा के लाभ:

यह मुद्रा ज्यादातर एलर्जी जैसे त्वचा पर चकत्ते, लाल धब्बे, शरीर में खुजली, छींकने आदि से छुटकारा पाने के लिए फायदेमंद है।

सामान्य सर्दी, बहती नाक, टॉन्सिलिटिस, हे फीवर आदि को रोकती है और उनका इलाज करती है।

साइनस या फेफड़ों में बलगम या जमाव से छुटकारा दिलाती है। इस प्रकार, यह ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों को कम करती है।

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यह प्रतिरक्षा प्रणाली की ताकत में सुधार करती है।

आंखों में खुजली या पानी आने की समस्या से पीड़ित लोगों को भी इससे फायदा होता है।

भ्रमर मुद्रा मस्तिष्क की एकाग्रता शक्ति को भी बढ़ाती है।

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इस मुद्रा को करने का सही तरीका:

योग मैट या कुर्सी पर आरामदायक मुद्रा में बैठें।

हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए अपने हाथों को जांघों पर टिकाएं।

दोनों तर्जनी अंगुलियों को मोड़ें और इसके सिरे को अंगूठे के सिरे पर रखें।

भ्रामरा मुद्रा को सुबह के समय करने से लाभ होता है। चित्र : शटरस्टॉक
भ्रामरा मुद्रा को सुबह के समय करने से लाभ होता है। चित्र : शटरस्टॉक

मध्यमा अंगुली को अंगूठे के सिरे पर रखने के लिए थोड़ा सा मोड़ें।

बाकी उंगलियों को बाहर की ओर फैलाएं।

गहरी और स्थिर सांसें लें।

बैठने की मुद्रा के अलावा, इसे खड़े, लेटने या चलते हुए भी किया जा सकता है।

भ्रामरा मुद्रा को सुबह के समय करने से लाभ होता है। इसे अपने नियमित अभ्यास में शामिल करें, विशेष रूप से बदलते मौसम में जैसे पतझड़ और वसंत।

सलाह

यदि आपके अभ्यास का उद्देश्य एलर्जी को रोकना है, तो किसी भी डेयरी उत्पाद, जैसे दूध, दही आदि के सेवन से बचें।
12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को इसका अभ्यास करने की सलाह नहीं दी जाती है।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
Grand Master Akshar
Grand Master Akshar

Grand Master Akshar is an internationally acclaimed Spiritual yogic master. He is the founder, chairman and course director of Akshar Yoga and president of World Yoga Organisation. He is also the President of the International Siddha Foundation.

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