हमारा शरीर लगभग 60 प्रतिशत तक पानी से बना होता है। इसे मेंटेन रखने के लिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में कई ऐसी स्थिति हैं, जब शरीर में पानी असंतुलित हो जाता है। जब पानी असंतुलित रूप से शरीर में जमा होना शुरू हो जाता है, इस स्थिति में शरीर में कई लक्षण नजर आते हैं। इस स्थिति को वॉटर रिटेंशन कहा जाता है।
आम भाषा में समझें तो वॉटर रिटेंशन एक ऐसी परिस्थिति हैं, जिसमें किसी भी व्यक्ति के शरीर के आंतरिक भागों, सर्कुलेटरी सिस्टम या टिशूज़ में पानी भर जाता है। उसके कारण हाथों, पैर के पंजों, टखनों और पैरों में सूजन जैसे चिंताजनक लक्षण पैदा होने लगते है। हालांकि, यह एक सामन्य स्वास्थ्य समस्या है, जिसका सामना अक्सर लोगों को करना पड़ता है।
आज हम इसी समस्या का समाधान लेकर आए हैं। न्यूट्रीशनिस्ट और हेल्थ टोटल की फाउंडर अंजली मुखर्जी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए वॉटर रिटेंशन के लक्षणों को अवॉइड करने और इसे ट्रीट करने के कुछ खास टिप्स दिए हैं (how to stop water retention)। तो चलिए जानते हैं, इनके बारे में आखिर इस समस्या से कैसे डील किया जा सकता है।
1. सूजन : हाथ, पैर, टखने, या पेट में सूजन हो सकती है। सूजन के कारण त्वचा खिंची हुई नज़र आती है, और चलना मुश्किल हो सकता है।
2. वेट गेन : कुछ दिनों या हफ़्तों में आपका वजन तेज़ी से बढ़ सकता है, या बिना किसी कारण के वजन में उतार-चढ़ाव नज़र आ सकता है।
3. त्वचा में बदलाव : दबाए जाने पर, त्वचा पर कुछ सेकंड के लिए एक गढ्ढे जैसा निशान नज़र आ सकता है, जिसे पिटिंग एडिमा भी कहा जाता है।
4. दर्द महसूस होना : आपको प्रभावित क्षेत्र में दर्द महसूस हो सकती है।
5. अन्य लक्षण : आपको कमज़ोरी, चक्कर आना, तेज़ हार्ट बीट या थकान का अनुभव हो सकता है।
कुलथी दाल एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है जो मूत्र प्रवाह को बढ़ावा देती है, जो किडनी की पथरी से छुटकारा पाने और उन्हें वापस आने से रोकने में मदद करता है। कुलथी दाल एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकती है, जो हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली सूजन में कारगर होते हैं।
कुलथी दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और इसमें आवश्यक अमीनो एसिड, आयरन, फॉस्फोरस और विटामिन होते हैं। वहीं कुलथी दाल में एंटी बैक्टिटियल और एंटीफंगल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। साथ ही कुलथी दाल में फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक कंपाउंड होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंअजमोद आपके शरीर से निकलने वाले पानी और नमक की मात्रा को बढ़ाने में मदद कर सकता है। अजमोद में ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो आपके शरीर से गैस को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह पोटैशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो मिनरल्स असंतुलन को रोकने में मदद कर सकता है। अजमोद को चाय के तौर पर ले सकती हैं, इससे वॉटर रिटेंशन और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
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विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो बीमारी को रोकने, संक्रमण से बचाने और घाव भरने में मदद कर सकता है। कैरोटीनॉयड एंटीऑक्सीडेंट पुरानी सूजन और ब्लड प्रेशर के स्तर जैसे कारकों में सुधार करके हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कते हैं।
मालिश से रक्त और लसीका परिसंचरण में सुधार हो सकता है, जो फ्लूइड रिटेंशन को कम करने में मदद कर सकता है। मालिश लसीका प्रणाली के माध्यम से ऊतकों से एक्स्ट्रा फ्लूइड को बाहर निकालने में मदद करती है। वहीं इस प्रकार आप शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को निकाल सकती हैं, जो वॉटर रिटेंशन को कम कर सकती है। मालिश द्रव प्रतिधारण के कारण होने वाले मांसपेशियों के दर्द से भी राहत प्रदान कर सकती है।
वॉटर रिटेंशन को अवॉइड करने के लिए कोल्ड शॉवर लें सकती हैं। यह बॉडी में सर्कुलेशन को बढ़ा देता है वहीं इससे ब्लड वेसल्स कॉन्ट्रैक्ट हो जाती हैं। इस प्रकार यह सीजन को कम करते हुए बॉडी में पानी की मात्रा को भी बाहर निकालने में भी मदद करता है।
वॉटर रिटेंशन को कम करने के लिए लो सोडियम डाइट आजमाएं। आहार में सरल बदलाव बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। जमे हुए खाद्य पदार्थों, पैकेज्ड फूड्स आदि में छिपे हुए उच्च नमक को पहचानना शुरू करें। इस प्रकार आप हाई सोडियम इंटेक को कम कर सकती हैं।
वॉटर रिटेंशन की स्थिति में ज़्यादा पानी पीने का सुझाव आपको अटपटा लग सकता है, लेकिन हाइड्रेटेड रहने पर शरीर के लिए अतिरिक्त नमक और अपशिष्ट को बाहर निकालना आसान होता है। इस प्रकार हाइड्रेशन बॉडी में फ्लूइड बैलेंस को मेंटेन रखता है। इसके अलावा नियमित शारीरिक सक्रियता भी बेहद महत्वपूर्ण होती है।
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