पीसीओएस (polycystic ovary syndrome) महिलाओं में पाए जाने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है। इस परेशानी में महिलाओं के अंडाशय में छोटी-छोटी सिस्ट बनने लगती हैं, जिस वजह से मोटापा, अनियमित पीरियड, बांझपन व इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसका अब तक कोई सटीक इलाज नहीं खोजा सका है। विशेषज्ञ इसके लिए जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं। इसी दिशा में योग आपके लिए एक कारगर उपाय हो सकता है। योग के माध्यम से न केवल आप पीसीओएस (Yoga for PCOS) के लक्षणों को कंट्रोल कर सकती हैं, बल्कि इससे होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को भी कम कर सकती हैं।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में योगा टीचर वंदना गुप्ता समय-समय पर योग के फायदों के बारे में बताती रहती हैं। अभी हाल ही में उन्होंने पीसीओएस और पीसीओडी संबंधी समस्याओं पर एक वीडियो बनाया।
वंदना गुप्ता ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में वीडियो शेयर करते हुए उन योगासनों के बारे में बताया, जो पीसीओएस और पीसीओडी संबंधी समस्याओं को काम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसी वीडियो से हम कुछ सरल योगासन आपके लिए लेकर आए हैं जो पीसीओएस और पीसीओडी को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
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बद्ध कोणासन को बाउंड एंगल पोज भी कहा जाता है। यह बैठकर किया जाने वाला आसन है जो कूल्हें, पेट की मसल्स और जांघों को स्ट्रेच करने में सहायता करता है, और आपके कूल्हों को खोलने में मदद करता है।
सुप्त बद्ध कोणासन संस्कृत भाषा का शब्द है। ये शब्द चार शब्दों से मिलकर बना है। सुप्त का अर्थ ‘लेटा हुआ’ बद्ध का अर्थ होता है ‘बंधा हुआ’ कोण से अर्थ है ‘अंग को मोड़ने से बनी स्थिति, जबकि आसन का अर्थ, ‘बैठने, खड़े होने या लेटने’ से है।
उष्ट्रासन आपके शरीर में ऊर्जा का संचार करने के लिए बेहद फायदेमंद है। यह संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला उष्ट्र यानी ऊंट और दूसरा आसन। इसलिए इस योगासन को अंग्रेजी में Camel Pose भी कहा जाता है।
शशांकासन के दौरान शरीर खरगोश के समान आकृति में आ जाता है। इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं। संस्कृत भाषा में खरगोश को शशक: कहा जाता है। इसी आधार पर इस आसन का नाम शशांकासन पड़ा।
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