साइनस से जूझने वाला व्यक्ति ही अटैक पड़ने पर होने वाला दर्द समझ सकता है। आप सांस नहीं ले सकते, आपकी छाती पूरी तरह से भारी हो जाती है, और एक-एक सांस के लिए संघर्ष करना पड़ता है। आपका जीवन दवाइयों और स्प्रे पर निर्भर होकर रह जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर इस श्वास संबंधी समस्या से निपटने के लिए कोई प्राकृतिक तरीका मिल जाए तो जीवन कैसा होगा?
साइनस का अटैक पड़ने पर योग एक ऐसा विकल्प है जिस पर आप पूरी तरह से निर्भर हो सकते हैं। हालांकि साइनसाइटिस के लिए योग पूर्णतः इलाज नहीं हो सकता है, परंतु यह आपको तुरंत राहत पाने में मदद कर सकता है।
मानसून और सर्दियों के दौरान साइनस एक आम बीमारी है। इस स्थिति में आपके साइनस या साइनस कैविटीज में सूजन हो जाती है। जब क्रोनिक साइनस की बात आती है, तो यह एलर्जी, संक्रमण, साइनस में वृद्धि (नाक पॉलीप्स) या आपके साइनस की सूजन के कारण हो सकता है।
इसके कुछ लक्षणों में कंजेशन शामिल है जो बन्द नाक, नाक का दर्द और आपकी आंखों, गाल, नाक या माथे के आसपास सूजन के कारण सांस लेने में कठिनाई का कारण बनता है। इससे खांसी, सिरदर्द, बुखार और गले में खराश भी हो सकती है।
पेन किलर्स और एंटीबायोटिक्स भी साइनस का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, लेकिन उनके खुद के साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसलिए हम तुरंत राहत के लिए योग की सलाह देते हैं।
वाइट ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद करने, ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने और आपके शरीर में एंडोर्फिन को बढ़ावा देने के लिए योग आवश्यक है।
कुछ योगासन नाक के वायु मार्ग को खोलकर साइनसाइटिस के दौरान सांस लेने में राहत देते हैं।
हम बताते हैं ऐसे चार योगासन जो आपको साइनस से भी राहत दिलाने में मददगार हैं-
अपनी हथेलियों को कंधे के नीचे रखकर अपने पेट के बल लेट जाएं। सांस को पूरी तरह से अंदर भरें, अपनी सांस को रोकें और फिर अपने सिर, कंधे और एब्डोमेन को 30⁰ डिग्री के कोण पर उठाएं।
सुनिश्चित करें कि आपकी नाभि फर्श को छू रही हो, आपके कंधे चौड़े हों और सिर थोड़ा ऊपर की ओर उठा हुआ हो। अपने पैर की उंगलियों पर दबाव दें।
क्या आप जानते हैं, अपने पैर की उंगलियों पर दबाव देने से सूर्य (दाएं) और चंद्रमा (बाएं) के चैनल सक्रिय हो सकते हैं, जो आपकी पीठ के निचले हिस्से से जुड़े होते हैं? 10 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें। धीरे-धीरे अपने शरीर को नीचे लाएं और फिर सांस छोड़ें।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंयोगा मैट पर घुटने रखें और अपने हाथों को हिप्स पर रखें। इसके साथ ही, अपनी पीठ को आर्क दे। और अपनी हथेलियों को अपने पैरों के ऊपर तब तक स्लाइड करें जब तक बाहें सीधी न हो जाएं। अपनी गर्दन को तनाव या फ्लेक्स न करें, लेकिन इसे स्थिर रखें। एक-दो सांसों के लिए इसी मुद्रा में रहें। सांस छोड़ें और धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में वापस आएं। अपने हाथों को वापस ले जाएं।
संस्कृत में, ‘कपाल’ का अर्थ है खोपड़ी और ‘भाति’ का अर्थ है ‘चमकने वाला / प्रकाशमान’। इसलिए, इस कपालभाति प्राणायाम को सिर की चमकदार श्वसन तकनीक के रूप में भी जाना जाता है।
किसी भी आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठें। अपनी पीठ को सीधा करें और अपनी आखें बंद करें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें। सामान्य रूप से सांस लें और एक छोटी, लयबद्ध और जोरदार सांस के साथ सांस छोड़ने पर ध्यान दें।
आप अपने पेट का उपयोग कर डायाफ्राम से हवा को जबरदस्ती बाहर निकालने का प्रयास करें।
किसी भी आरामदायक मुद्रा (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन) में बैठें। अपनी पीठ को सीधा करें और अपनी आखें बंद करें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें। गहरी सांस लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें। अब सांस छोड़ें जैसे कि आप अपने फेफड़ों को खाली कर रहे हों।
सांस लेना और सांस छोड़ना 1: 1 के अनुपात में किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप 6 काउंट के लिए सांस लेते हैं, तो आपको सांस छोड़ने के लिए 6 काउंट ही लेने चाहिए।
आप दिन में पांच मिनट के लिए इन प्राणायाम का अभ्यास करके शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे समय के साथ इसे बढ़ाएं।
योग गुरु ग्रैंडमास्टर अक्षर समझाते हैं, “योग से आपको मिलने वाले सबसे बड़े लाभों में से एक है दुरुस्त फेफड़े। योग आपकी ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ा सकता है। योग आपके शरीर को एड्रेनालीन का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो आपकी ब्लड वेसल्स के कॉन्ट्रैक्ट करने में मदद करता है।
यह उन ब्लड वेसल्स के इंफ्लामेशन को कम करने में मदद करते हैं जो साइनस संक्रमण का कारण बनती हैं। साइनस से बचने के लिए धूम्रपान से दूर रहें, टीकाकरण समय पर कराते रहें और हाथों को नियमित रूप से धोएं।”
इन विशेषज्ञ द्वारा बताए पोज का अभ्यास करें, और साइनस से राहत पाएं।
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