नियमित योग जरूरी है। एक ऐसा आसन जिसका संपूर्ण शरीर पर प्रभाव पड़ता हो। इससे मसल्स को मजबूती मिले और जमा हुआ फैट भी पिघले। यदि आप किसी योग एक्सपर्ट से पूछें, तो जवाब में एक मात्र आसन सूर्य नमस्कार ही सामने आएगा। इसमें कई तरह के आसन को सम्मिलित किया गया है। इसलिए यह पूरे शरीर को लाभ पहुंचाता है। सूर्य नमस्कार के फायदों और इसे करने की सही विधि (surya namaskar steps) पर डिवाइन सोल योग के डायरेक्टर और योग थेरेपिस्ट डॉ. अमित खन्ना से बात की।
डॉ. अमित ने बताया, सूर्य नमस्कार एक ऐसा आसन है, जो शरीर के हर हिस्से पर काम करता है। यह फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए भी लाभदायक है।
मधुमेह रोगी के लिए सूर्य नमस्कार और इसके आसन अंतःस्रावी तंत्र और अग्न्याशय को उत्तेजित करने के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर में इंसुलिन स्राव में सुधार होता है।
सूर्य नमस्कार शरीर के सभी भागों में रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है। इससे स्किन फ्लोलेस हो पाती है। इससे स्किन में चमक आती है और शरीर एनर्जेटिक हो पाता है। इससे झुर्रियों से बचाव होता है और चेहरा कांतिमय हो जाता है।
स्कैल्प में ब्लड फ्लो में सुधार लाता है। इससे स्कैल्प और हेयर दोनों को संपूर्ण पोषण मिलता है। इससे बालों का झड़ना रुक जाता है और हेयर ग्रोथ अच्छी तरह हो पाता है। आसन की कई अलग-अलग मुद्राएं बालों के सफेद होने से भी बचाव करती हैं।
सूर्य नमस्कार से शरीर का हर अंग स्ट्रेच हो पाता है। पेट और कमर दोनों स्ट्रेच होता है। शुरुआत आप दो राउंड से कर सकती हैं। वजन कम करने के लिए धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ा सकती हैं।
रीढ़, गर्दन, कंधे, हाथ, कलाई, पीठ और पैर की मांसपेशियों को यह टोन करता है। इससे पूरा शरीर लचीला हो पाता है। यह पेट की मांसपेशियों, श्वसन प्रणाली, रीढ़ की हड्डी की नसों और अन्य आंतरिक अंगों को भी उत्तेजित करता है।
सूर्य नमस्कार शरीर, दिमाग और सांस को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। यह एनर्जी लेवल को बढाकर मन को शांत करता है। यह नींद की बाधा को भी दूर करता है। यह पाचन तंत्र में सुधार लाता है और हार्ट हेल्थ को बढ़ावा देता है।
सूर्य नमस्कार में शामिल मुद्राएं थायरॉयड ग्लैंड पर प्रभाव डालती हैं। इससे हार्मोनल सीक्रेशन को बढ़ावा मिलता है। नियमित अभ्यास से मेनस्त्रुअल साइकिल नियंत्रित होती है। प्रसव दौरान दर्द से राहत भी मिल सकती है।
डॉ. अमित खन्ना बताते हैं, ‘सूर्य नमस्कार के फायदे तभी मिलते हैं, जब मुद्राओं को सही तरीके से किया जाता है।
सीधी खड़े हो जाएं। अपनी दोनों हथेलियों को प्रणाम की मुद्रा में लाएं। गहरी सांस लें। दोनों कंधों को आराम की मुद्रा में ले आयें।
सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। इससे पूरे शरीर में खिंचाव महसूस होगा।
अब सांस लेते हुए पैरों को भी स्ट्रेच करें। एक घुटने को जमीन पर रखते हुए ऊपर की ओर देखें। दूसरे घुटने को पीछे की ओर रखें। धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस दौरान हिप्स और टेल बोन को ऊपर उठाएं।
सांस छोड़ते हुए छाती और ठुड्डी को जमीन पर रखें।
छाती को स्ट्रेच करते हुए ऊपर उठाएं। पैर को सीधा रखें।
भुजंगासन में ले जाते हुए धीरे-धीरे सांस लें।
सांस छोड़ते हुए हिप्स और टेल बोन को ऊपर उठाएं।
हर बार हिप्स और टेल बोन को ऊपर उठाते समय चेस्ट को वी शेप में रखने की कोशिश करें।
धीरे-धीरे सांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं। शरीर को स्ट्रेट रखें। अपने हाथों को भी स्ट्रेट रखें।अपने चेहरे को ऊपर की ओर रखते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएं। बाएं घुटने को जमीन पर रखें।
सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को आगे की ओर कर लें और हथेलियों को जमीन से टिका दें। यदि इसे करने में कठिनाई अनुभव होती है, तो घुटनों को मोड़ भी सकती हैं। इस दौरान नाक को घुटनों से सटाने की कोशिश की जाती है।
धीरे-धीरे सांस लें और स्पाइनल कॉर्ड या बैक बोन को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। हाथों को ऊपर पीछे की ओर ले जाएं। हिप्स को आगे की ओर करें।
सांस छोड़ते हुए बॉडी को स्ट्रेट करें। हाथों को नीचे की ओर करें। शरीर को ढीला छोड़ते हुए रिलैक्स कर सकती हैं।
नुकसान के जोखिम को कम करने के लिए इसे करने से पहले वार्मअप करें।
कभी-भी जल्दबाजी में सूर्य नमस्कार नहीं करें। रिलैक्स होकर ही इसे करना चाहिए।
गलत ढंग से बनाए जाने वाली योग मुद्राओं से स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल सकता है।
सांसों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
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