देर रात तक उठे रहने और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का प्रयोग करने से सुबह जल्दी उठना नामुमकिन सा लगने लगता है। नींद पूरी न होना आलस का मुख्य कारण साबित होता है, जिसका असर वर्कआउट रूटीन पर भी दिखने लगता है। ऐसे में अधिकतर लोग वर्कआउट रूटीन को स्किप करने लगते है, जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर भी दिखने लगता है। ऐसे में शरीर को हेल्दी और एक्टिव बनाए रखने के लिए वर्कआउट से पहले महसूस होने वाले आलस्य को दूर करना आवश्यक है। जानते हैं वर्कआउट से पहले महसूस होने वाली लेज़ीनेस को कैसे ओवरकम करें।
इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट पूजा मलिक बताती हैं कि नियमित रूप से वर्कआउट में शामिल न होना आलस्य को बढ़ावा देता है। इसके चलते वर्कआउट रूटीन को नियमित बनाए रखने में मुश्किलात का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए सुबह उठते ही गैजेट्स के प्रयोग से बचें और बेड पर ही लेग स्ट्रेंचिंग एक्सरसाइज करें। इससे सुस्ती को दूर करने में मदद मिलती है। इसके अलाव अन्य दोस्तों के साथ एक्सरसाइज़ करने से कॉम्पीटिशन की भावना बढ़ने लगती है।
वर्कआउट रूटीन को कामयाब बनाने के लिए सबसे पहले गोल्स को सेट करना बेहद ज़रूरी है। इससे व्यायाम से पहले बढ़ने वाला आलस और नींद की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है। इसके लिए खुद वर्कआउट चैलेंज तय करें और उसे पूरा करने के लिए खुद को प्रोत्साहित करते रहें। समय समय पर गोल्स सेट करते हैं और उन्हें अचीव करते हुए आगे बढ़ें।
वेट लिफ्टिंग और हाई इंटैसिटी एक्सरसाइज़ शुरूआत में थकान का कारण बनने लगते है। इससे शारीरिक तनाव की समस्या बढ़ने लगती है। मगर तन और मन दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित होती है। ऐसे में व्यायाम को नियमित बनाए रखने के लिए आसान एक्सरसाइज़ को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं और फिर धीरे धीरे उसें बदलाव लेकर आएं। इससे शरीर को न केवल थकान से बचने में मदद मिलती है बल्कि बॉडी फिश्र रहती है।
सुबह उठने के बाद आलस्य की समस्या को दूर करने के लिए कुछ देर स्ट्रेचिंग करें। इससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन नियमित हो जाता है और लेज़ीनेस दूर होने लगती है। टांगों की स्ट्रेच करने से लेकर बाजूओं और कमर की स्ट्रेचिंग आवश्यक है। इससे शारीरिक अंगों में महसूस होने वाली स्टिफनेस से बचा जा सकता है और ऑक्सीज़न का फ्लो भी उचित बना रहता है।
बहुत बार नींद पूरी न होना भी लेज़ीनेस को बढ़ा देता है। ऐसे में वर्कआउट से पहले आलस्य को दूर करने के लिए रोज़ाना एक नियमित समय पर सोएं और उठें। इससे न केवल स्वास्थ्य संबधी समस्याओं से बचा जा सकता है बल्कि नींद की गुणवत्ता भी बढ़ने लगती है और शरीर एक्टिव बना रहता है। खुद को वर्कआउट के लिए तैयार करने से पहले 6 से 8 घंटे की नींद रोज़ाना लें और समय से उठें।
अपनी फिटनेस जर्नी को रेगुलर बनाए रखने के लिए वर्कआउट पार्टनर चुनें। इससे फिटनेस रूटीन को पूरा करने के लिए कॉपिटिशन की भावना बढ़ने लगती है, जिससे आलस्य की समस्या से राहत मिलती है और सेल्फ मोटिवेशन की भावना बढ़ जाती है।
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