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यहां हैं एक्सपर्ट के बताये 5 योगासन, जो आर्थराइटिस को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं

आर्थराइटिस के कारण शरीर के जोड़ों में सूजन आ जाती है। इससे तेज दर्द भी होता है। यहां एक्सपर्ट 5 योगासन बता रहे हैं, जिनसे शुरूआती दौर में आर्थराइटिस को प्रबंधित किया जा सकता है।

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रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचाव के लिए जीवनशैली में करें ये 5 बदलाव। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 9 Dec 2022, 10:36 am IST
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स्वस्थ रहने के लिए योग और आसन की भूमिका महत्वपूर्ण है। समय के साथ जोड़ों में कई प्रकार की समस्या होती है। इनमें से एक है गठिया(Arthritis)। गठिया शरीर के सिनोविअल जोड़ों (Synovial Joint) की सूजन है। यह सबसे आम बीमारी है। शुरूआती दौर में आर्थराइटिस को योग (yogasana for Arthritis)
से भी प्रबंधित किया जा सकता है। इन योगासन के बारे में डिवाइन सोल योग के डायरेक्टर और योग थेरेपिस्ट डॉ. अमित खन्ना विस्तार से बता रहे हैं।

क्यों होता है आर्थराइटिस(Arthritis)

डॉ. अमित बताते हैं, ‘आर्थराइटिस के कारण जोड़ों में दर्द, सूजन, लाली, गर्मी और कार्य करने में परेशानी हो सकती है। यह आनुवंशिक प्रवृत्ति, सूजन, इम्यून सिस्टम कमजोर होने, मेटाबोलिज्म प्रभावित होने पर हो सकता है। बढ़ती गतिहीन जीवन शैली और शरीर का बढ़ता वजन इसे और बढ़ा देता है। यह शरीर के जोड़ खासकर कूल्हे के जोड़, घुटने के जोड़ और टखने के जोड़ को प्रभावित करता है। कभी-कभी हाथों और उंगलियों के छोटे जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं। योग गठिया में उपचारात्मक साबित होता है। विशेष रूप से प्रारंभिक अवस्था में, जब जोड़ों और इसकी संरचना में न्यूनतम परिवर्तन होते हैं। योग के अभ्यास जोड़ों में ब्लड फ्लो बढाते हैं। ये सभी जोड़ों की मालिश करते हैं।’

यहां हैं एक्सपर्ट के बताये आसन, जो आर्थराइटिस को प्रबंधित(yogasanas for Arthritis) करने में मदद कर सकते हैं

1. ताड़ासन(Tadasana or Mountain Pose)

डॉ. अमित बताते हैं, ‘यह खड़े होने का मूल आसन है। ताड़ा का अर्थ है खजूर का पेड़ या पर्वत । यह आसन व्यक्ति को स्थिरता और दृढ़ता प्राप्त करना सिखाता है और सभी खड़े आसनों के लिए आधार बनाता है।

ताड़ासन करने का सही तरीका
पैरों को 2 इंच की दूरी पर रखकर खड़े हो जाएं।
उंगलियों को इंटरलॉक करें, और कलाई को बाहर की ओर मोड़ें। अब सांस लेते हुए बाजुओं को ऊपर उठाएं और कंधों की सीध में लाएं।
एड़ियों को फर्श से ऊपर उठाएं और पंजों पर संतुलन बनाएं।
इस स्थिति में 10 -15 सेकेंड तक रहें।
सांस छोड़ते हुए एड़ियों को नीचे लायें।

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ताड़ासन बेली फैट को कम करने  के साथ -साथ आर्थराइटिस में भी मदद करता है। चित्र-शटरस्टॉक.

अंगुलियों के इंटरलॉक को छोड़ें और बाजुओं को धड़ के समानांतर नीचे लाएं।
वापस खड़े होने की मुद्रा में आ जाएं।

सावधानी: एक्यूट कार्डियक प्रॉब्लम, वैरिकाज़ वेन्स और वर्टिगो के मामले में पैर की उंगलियों को उठाने से बचें।

2. उर्ध्व हस्तोत्तानासन (Urdhva Hastasana or Upward Salute)

संस्कृत में उर्ध्व का अर्थ है ऊपर की ओर। हस्त’ का अर्थ है हाथ और उत्तान का अर्थ है फैला हुआ या ऊपर उठाना। जब भुजाओं को ऊपर की ओर तान दिया जाता है, तो इसे उर्ध्व हस्तोत्तानासन के नाम से जाना जाता है।

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उर्ध्व हस्तोत्तानासन करने का सही तरीका
पैरों को एक साथ या 2 इंच अलग करके जमीन पर खड़े हो जाएं।
बाहों को उठाएं और उंगलियों को गूंथ लें।
धीरे-धीरे ऊपर की ओर सीधे देखते हुए कमर को झुकाएं।
सांस छोड़ते हुए शरीर को बाईं ओर झुकाएं।
15 से 20 सेकंड तक सामान्य श्वास के साथ आसन बनाए रखें।
केंद्र में वापस आएं और दूसरी तरफ भी यही अभ्यास दोहराएं।

सावधानीः कंधे में तेज दर्द होने पर इस आसन से बचें।

3. कटि-चक्रासन (Katichakrasana or Standing spinal Twist)

यह एक साधारण खड़ी मुद्रा है जिसमें रीढ़ की हड्डी में मरोड़ होती है।
यह नाम संस्कृत कटि से आया है, जिसका अर्थ है कमर। चक्र, जिसका अर्थ है पहिया या रोटेशन।
कटि-चक्रासन करने का सही तरीका
अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई से अलग करके खड़े हो जाएं।
आपका वजन दोनों पैरों पर समान रूप से फैलना चाहिए।
श्वास लें, भुजाओं को कंधे के स्तर तक उठायें।
दाहिने कंधे के ऊपर देखें।
गर्दन को सीधा रखें।
15 सेकंड के लिए स्थिति को बनाए रखें और प्रारंभिक स्थिति में वापस आकर श्वास लें।
दूसरी तरफ दोहराएं।

सावधानी :यदि आपने हाल ही में रीढ़ की हड्डी या पेट की सर्जरी कराई है या स्लिप डिस्क की समस्या है, तो नहीं करें।

4 वृक्षासन (Vrikshasana or Tree Pose)

संस्कृत में वृक्ष का अर्थ है पेड़। इसलिए, इस आसन की अंतिम स्थिति एक वृक्ष के समान है।

वृक्षासन करने का सही तरीका
पैरों को आराम से अलग करके खड़े हो जाएं।
अपनी दृष्टि एक बिंदु पर टिकाएं। उस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें।
सांस छोड़ें और दायें पैर को मोड़ें और पैर को लेफ्ट जांघ के अंदर रखें।
एड़ी पेरिनेम को छूनी चाहिए।
बाएं पैर पर संतुलन बनाए रखें और धीरे-धीरे सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठायें।

Aakho ki roshni badhane ke liye yoga kare
बाएं पैर पर संतुलन बनाए रखें और धीरे-धीरे सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठायें।। चित्र: शटरस्टॉक

अपने हाथों की हथेलियों को मिलाएं। 10-20 सेकंड के लिए सामान्य श्वास के साथ आसन को बनाए रखें।
सांस छोड़ें और बाहों और दायें पैर को नीचे लायें।
विपरीत पैर के साथ इसी क्रम को दोहराएं।

सावधानी: यह उन लोगों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए जिन्होंने हाल ही में वक्ष, पेट या कूल्हों की कोई सर्जरी करवाई है।

5 . सेतु-बंधासन( Setu Bandhasana or Bridge Pose)

सेतुबंध का अर्थ है सेतु का बनना।
इस आसन में शरीर को एक सेतु की तरह किया जाता है ।
सेतु-बंधासन करने का सही तरीका
दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एड़ियों को नितम्बों के पास ले आएं।
दोनों टखनों को मजबूती से पकड़ें। घुटनों और पैरों को एक सीध में रखें। श्वास लें । धीरे-धीरे अपने नितंबों और धड़ को ऊपर उठाएं।
जितना आप पुल बनाने के लिए कर सकते हैं।
सामान्य श्वास के साथ 10-30 सेकेंड तक इसी स्थिति में बने रहें।
अंतिम स्थिति में कंधे और सिर फर्श के संपर्क में रहते हैं।
यदि आवश्यक हो, तो अंतिम स्थिति में आप अपने शरीर को अपने हाथों से कमर पर सहारा दे सकते हैं।
सांस छोड़ते हुए, धीरे-धीरे मूल स्थिति में लौटें और आराम करें।

सावधानी: गर्दन या कंधों में तेज दर्द होने पर इस आसन को करने से बचें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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