यदि आपका सिर दर्द करता है, आपकी नाक बहती है या कफ जमा हो गया है, गले में खराश है, खांसी है या फिर आप अपनी आंखों, नाक, गाल या माथे के आसपास दबाव महसूस करती हैं, तो आपको साइनस इन्फेक्शन हो सकता है। कुछ लोगों को साइनस या साइनसाइटिस की समस्या सालों भर रहती है। मानसून या सर्दियों में तो इससे होने वाली परेशानी और बढ़ जाती है। गंभीर मामलों में इससे दिमागी बुखार होने की भी संभावना होने लगती है। साइनस इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के लिए बचाव के तरीकों में योग सबसे बेहतरीन उपाय है। यहां हम ऐसे ही 5 योगासनों (Yoga for Sinusitis) के बारे में बताने जा रहे हैं।
साइनस का इलाज दवा से किया जा सकता है। ऐसे कई घरेलू उपचार हैं, जो लक्षणों को कम करने और जल्दी ठीक होने में मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, योग से भी इससे बचाव किया जा सकता है।
हेल्थ शॉट्स ने अक्षर योग अनुसंधान और विकास केंद्र के फाउंडर हिमालयन सिद्ध अक्षर से साइनस की समस्याओं को दूर रखने में योग के महत्व पर बात की। उन्होंने 5 योग आसन बताए, जो साइनस की समस्या में कारगर हो सकते हैं।
अक्षर कहते हैं, “मानसून के दौरान ज्यादातर लोग साइनस और उससे जुड़ी समस्याओं से प्रभावित हो जाते हैं। यह नम हवा, ठंडे मौसम और सर्द हवा के कारण होता है। मानसून विशेष रूप से आपके साइनस को ट्रिगर कर सकता है, जिससे साइनस कैविटी में सूजन आ जाती है।”
यह आमतौर पर एलर्जी, संक्रमण, साइनस (नेसल पॉलीप्स) में किसी भी तरह की असामान्य वृद्धि या आपके साइनस लाइनिंग की सूजन जैसी वजहों के कारण होता है। लक्षण के अनुभव कुछ इस प्रकार से होते हैं।
कनजेशन के कारण नाक से सांस लेने में कठिनाई होती है।
साइनसाइटिस से भी नाक में रुकावट होती है।
आंखों, गाल, नाक या माथे के आसपास दर्द और सूजन।
इससे आपको खांसी, सिरदर्द, बुखार और गले में खराश भी हो सकती है।
कुछ योग आसन हैं, जो साइनसाइटिस के कारण होने वाली सांस की समस्याओं को कम कर सकते हैं। ये निम्नलिखित मुद्राएं नाक के एयर पैसेज को खोलने में सक्षम बनाती हैं। साइनसाइटिस से राहत पाने के लिए इन योग तकनीकों का अभ्यास करें। इस क्रम को 3 सेटों के लिए दोहराएं, प्रत्येक मुद्रा को 30 सेकंड के लिए करें।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंअपनी चटाई पर धीरे से घुटने टेक कर बैठें।
अपनी एड़ियों को एक दूसरे के पास रखें।
अपने पैर की उंगलियों को एक दूसरे के बगल में रखें।
अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।
अपनी पीठ को सीधा करें और आगे देखें।
इस आसन में कुछ देर तक रहें।
पीठ के बल लेट जाएं, हथेलियों को अपने शरीर के बगल में रखें।
पैरों को ऊपर उठाने के लिए हथेलियों को फर्श पर दबाएं और पैरों को सिर के पीछे रहने दें।
हथेलियों से पीठ को सहारा दें।
इस आसन में कुछ देर रुकें।
पीठ के बल लेटकर शुरुआत करें।
बाहों को अपने शरीर के बगल में रखें।
धीरे से पैरों को फर्श से ऊपर उठाएं और उन्हें पैरों को आकाश की ओर रखते हुए फर्श के परपेंडिकुलर रखें।
धीरे-धीरे पेल्विस को ऊपर उठाएं और फर्श से पीछे हटाएं।
अपने फोर आर्म को फर्श से उठाएं और सहारा देने के लिए हथेलियों को पीठ पर रखें।
शोल्डर्स, टोरसो, पेल्विस और पैरों के बीच एक सीधी रेखा बनाने का प्रयास करें।
ठुड्डी को अपनी छाती से छूने की कोशिश करें और नजर को पैरों की ओर केंद्रित करें।
समस्थिति में खड़े होकर शुरुआत करें।
सांस छोड़ें और धीरे से ऊपरी शरीर को हिप्स से नीचे झुकाएं और नाक को घुटनों तक स्पर्श करें।
हथेलियों को पैरों के दोनों ओर रखें।
शुरुआत में घुटनों को थोड़ा मोड़ सकते हैं।
अभ्यास के साथ धीरे-धीरे घुटनों को सीधा करें और छाती को जांघों से छूने की कोशिश करें।
एक आरामदायक सतह या योगा मैट पर आरामदायक स्थिति में लेट जाएं। सख्त सतह पर लेटने की कोशिश करें। इस आसन को शांत वातावरण में करने का प्रयास करें, ताकि कोई गड़बड़ी न हो।
आंखें बंद कर लें। पैरों को पूरी तरह से आराम दें और दोनों पैरों के बीच दूरी हो।
टखनों को नीचे आने दें और हाथों को अपनी साइड की ओर रखें।
बाहों को शरीर के साथ रखें और थोड़ा अलग रखें। सुनिश्चित करें कि हथेलियां आसमान की ओर खुली हुई हों और ऊपर की ओर हों।
पैर की उंगलियों से शुरू करते हुए ध्यान शरीर के हर अंग पर लाएं। शरीर को विश्राम की अवस्था में लाने के लिए गहरी सांस लें।
जागरूकता बनाए रखें ताकि आप इस प्रक्रिया में सो न जाएं।
अपनी श्वास धीमी और गहरी रखें। कल्पना कीजिए कि जैसे ही आप सांस लेती हैं, आपकी सांस आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान कर रही है और जैसे ही आप सांस छोड़ती हैं, आपका शरीर धीरे-धीरे विश्राम की ओर जा रहा होता है।
डॉक्टर द्वारा बताए गए दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स भी ले सकती हैं। यदि समस्या गंभीर है, तो आप योग का अभ्यास भी शुरू कर सकती हैं और साइनसाइटिस से राहत पा सकती हैं। इन सभी योग आसनों को सांस पर ध्यान रखते हुए करना चाहिए।
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