हम सभी ने उन आलसी सुबहों को महसूस किया है, जब हम चाहकर भी अपनी सुस्ती दूर नहीं कर पाते। तब भी जब हम तकनीकी रूप से पर्याप्त नींद लेते हैं, खासकर बदलते मौसम में। यह वह समय भी है जब हम सुस्ती और ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं, जिससे हमारे लिए ऊर्जावान रहना मुश्किल हो जाता है। अगर ये आपकी भी कहानी है, तो बार-बार चाय-कॉफी के प्याले तैयार करने की बजाए, आपको बस एक योगा सेशन स्टार्ट करना है।
बदलते मौसम में योग हमेशा आपकी रक्षा कवच हो सकता है। यह न केवल आपके शरीर को अनुकूल तापमान बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करेगा और आपकी थकान एवं उदासी दोनों को गायब कर देगा।
हमेशा यह सलाह दी जाती है कि शरीर को मजबूत करने के लिए सुबह के साधारण योगासन का अभ्यास करना चाहिए। यहां कुछ आसन दिए गए हैं जिनका आप अभ्यास कर सकते हैं।
यह योग मुद्रा न केवल तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है, बल्कि यह छाती, पीठ और कंधों में तनाव को दूर करने में भी मदद करती है। यह तब भी मदद करता है, जब आपको दिन में या अपने कसरत सत्र के दौरान चक्कर आना या थकान अनुभव हो। यह आसन पीठ, कूल्हों, जांघों और टखनों को कोमल खिंचाव देता है।
वीरभद्रासन एक योग मुद्रा है, जिसे कंधों को मजबूत करने, संतुलन और स्थिरता में सुधार करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह शरीर के कई अंगों को खिंचाव प्रदान करता है, अच्छे परिसंचरण को प्रोत्साहित करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। चूंकि यह योग मुद्रा पूरे शरीर को सक्रिय करने के लिए जानी जाती है, यह आपको पूरे दिन सक्रिय रखने में मदद करती है।
यह आसन पैर और बांह की मांसपेशियों को टोन करता है। इतना ही नहीं यह मासिक धर्म की परेशानी और कब्ज से राहत दिलाने में भी फायदेमंद है।
गरुड़ एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है चील, और आसन का अर्थ है मुद्रा। इसलिए, इसका सीधा सा मतलब है ईगल पोज। कहा जाता है कि यह आसन व्यक्ति को आराम करने और मन को शांत करने में मदद करता है, और शरीर के संतुलन में भी सुधार करता है।
यह आपकी कई दिक्कतों से आपको राहत दिला सकता है। त्रिकोणासन को बाएं और दाएं दोनों तरफ से किया जाता है। आसन को खड़े होने की स्थिति में करना शुरू कर सकते हैं और अपने पैरों के बीच 3-4 फीट की दूरी रख सकते हैं। दाहिने पैर को बाहर की ओर मोड़ें और धड़ को सामने रखते हुए दोनों बाजुओं को कंधे के स्तर पर फैलाएं।
दाहिना हाथ दाहिने पैर को छूएगा, कमर से झुकेगा और बायां हाथ सीधे कानों के ऊपर फैला होगा। यह आसन कोर की मांसपेशियों को सक्रिय करता है, जो संतुलन और स्थिरता में सहायता करता है।
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