यहां 5 योग मुद्राएं हैं, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में सुधार ला सकती हैं
डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) की घटना दुनिया भर में 1,000 में से 1 से लेकर 1,100 जीवित जन्मों में से 1 के बीच है। एक विशेषज्ञ आपको बता रहें हैं कि योग इससे निपटने में कैसे मदद कर सकता है।
विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस 2022 (World Down Syndrome Day 2022), संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर लोगों को इस जेनेटिक डिसऑर्डर के बारे में जागरूक करने के लिए सशक्त बनाना है। हालांकि यह स्थिति बौद्धिक और शारीरिक अक्षमता और संबंधित चिकित्सा मुद्दों का कारण बनती है, पर तब भी कुछ योग मुद्राएं (Yoga for down syndrome) इससे जूझ रहे लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती हैं।
डाउन सिंड्रोम क्या है? (What is down syndrome?)
डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक विकार (genetic disorder) है, जो असामान्य सेल डिवीजन के कारण होता है। इस विभाजन में समस्या यह है कि इसके परिणामस्वरूप क्रोमोसोम 21 की एक अतिरिक्त पूर्ण या आंशिक कॉपी बन जाती है। इसके कारण, विकासात्मक परिवर्तन और शारीरिक विशेषताएं होती हैं, जिसके कारण डाउन सिंड्रोम होता है।
डाउन सिंड्रोम आजीवन बौद्धिक अक्षमता और विकास में देरी का कारण बनता है। यह सामान्य आनुवंशिक विकार व्यक्तियों में गंभीरता में भिन्न होता है और बच्चों में सीखने की अक्षमता की ओर जाता है।
क्या योग डाउन सिंड्रोम वाले लोगों की मदद कर सकता है? (Effectiveness of yoga on Down Syndrome)
योग जैसे अभ्यास माइंडफुलनेस का निर्माण करते हैं और सांस लेने आदि जैसी अन्य कोमल तकनीकों पर काम करते हैं। इस विकार से पीड़ित लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया जा सकता है ताकि वे पूर्ण जीवन जी सकें।
डाउन सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of down syndrome)
डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे और वयस्क चेहरे की विशिष्ट विशेषताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि डाउन सिंड्रोम वाले सभी लोगों में समान विशेषताएं नहीं होंगी, कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
चपटा चेहरा
छोटा सिर
छोटी गर्दन होने की पैदाइशी बीमारी
उभरी हुई जीभ
असामान्य रूप से आकार या छोटे कान
खराब मसल टोन
छोटी उंगलियां और छोटे हाथ और पैर
अत्यधिक लचीलापन
ऊंचाई में छोटा
यहां कुछ योग मुद्राएं हैं जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की मदद कर सकती हैं (Yoga for Down Syndrome)
1. मुर्चा प्राणायाम (Murcha Pranayama)
करने का तरीका:
आरामदायक मुद्रा में बैठें। सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन, वज्रासन आदि में से चुनें।
अपनी पीठ सीधी रखें और आंखें बंद कर लें।
हथेलियां ऊपर की ओर घुटनों पर हों (प्राप्ति मुद्रा में)
अपनी ठुड्डी को अपनी छाती तक पहुंचाने के लिए अपना सिर नीचे करें।
अपनी नाक से श्वास लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें।
अपना सिर ऊपर उठाएं, और उसे अपने कंधों पर टिकाएं।
बिना सांस छोड़े अपना मुंह खोलें।
जितनी देर हो सके सांस को रोके रखें।
सांस को कुछ देर तक रोके रखने के बाद मुंह बंद करें, सिर को आगे की ओर झुकाएं, ठुड्डी को छाती की ओर ले जाएं और सांस छोड़ें।
ड्यूरेशन: एक बार में 3 रिपीट से ज्यादा न दोहराएं।
पोल
आसन करने के लाभ:
यह डीएनए की संरचना में बदलाव करके आनुवंशिक रोगों को होने से रोक सकता है।
अभ्यासी को उत्साह की सूक्ष्म अनुभूतियां प्रदान करता है।
अभ्यासी की मानसिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
2. ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra)
करने का तरीका:
आरामदायक मुद्रा में बैठें। सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन, वज्रासन आदि में से चुनें।
बैठने में असमर्थ होने पर आप माउंटेन पोज़ में खड़े होकर भी इसका अभ्यास कर सकते हैं।
अपनी पीठ, छाती और सिर को सीधा रखें।
अपने पूरे शरीर को आराम दें और अपने हाथों को अपने घुटनों पर ऊपर की दिशा में रखें।
अपनी तर्जनी के सिरे को अंगूठे के सिरे से मिलाते हुए अंगूठे से मोड़ें। शेष तीन अंगुलियों को फैलाकर छोड़ दें।
उंगलियों की इस व्यवस्था को बनाए रखें।
अपने हाथों को अपने घुटनों पर ऊपर की दिशा में रखें।
आराम करें और अपनी आंखें धीरे से बंद करें।
अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
अपने चित्त (या चेतना) में हल्कापन प्राप्त करने के लिए गहरी सांस लें।
3. ध्यान मुद्रा (Dhyan Mudra)
करने का तरीका:
आरामदायक मुद्रा में बैठें। सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन, वज्रासन आदि में से चुनें।
बैठने में असमर्थ होने पर आप माउंटेन पोज़ में खड़े होकर भी इसका अभ्यास कर सकते हैं।
अपनी पीठ, छाती और सिर को सीधा रखें।
अपने पूरे शरीर को आराम दें और अपने हाथों को अपने घुटनों पर ऊपर की दिशा में रखें।
अब दोनों हाथों को अपनी गोद में मिला लें। अपने दाहिने हाथ को अपने बाएं हाथ के अंदर रखें और अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखें।
हाथों को कटोरी का आकार दें।
दोनों अंगूठों को एक दूसरे को छूते हुए त्रिभुज बनाना चाहिए।
उंगलियां फैली हुई हैं।
अपने हाथों को पेट या जांघों के स्तर पर रखना है।
मन से सारे विचार निकालकर मन को ओम पर ही केंद्रित करना है।
4. सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar)
सूर्य नमस्कार में कुल 8 आसन हैं जो एक क्रम में प्रवाहित होते हैं। इसमें से प्रत्येक पक्ष के लिए 12 चरण होते हैं – दाएं और बाएं। याद रखें कि जब आप सूर्य नमस्कार शुरू करते हैं, तो आपको इसे हमेशा पहले दाईं ओर से शुरू करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पक्ष के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाता है। एक पूरा चक्र दोनों पक्षों को कवर करता है, और 24 गणनाओं से बना होता है।
5. चंद्र नमस्कार (Chandra Namaskar)
चंद्र नमस्कार में कुल 9 आसन हैं जो एक क्रम में बहते हैं जिसमें प्रत्येक पक्ष के लिए 14 चरण होते हैं – दाएं और बाएं। याद रखें कि जब आप चंद्र नमस्कार शुरू करते हैं, तो आपको इसे हमेशा बाईं ओर से शुरू करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पक्ष के माध्यम से चंद्रमा की ऊर्जा को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया जाता है। एक पूरा चक्र दोनों पक्षों को कवर करता है, और 28 गणनाओं से बना होता है।