आप कितनी जल्दी वजन कम करेंगी यह सिर्फ आपकी डाइट या वर्कआउट पर ही निर्भर नहीं करता। जब वजन कम करने की बात आती हैं, तो कई कारक हैं जो वजन कम करने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। जिनमें से आपके शरीर में मौजूद हार्मोन्स भी एक हैं। ये हॉर्मोन्स आपके मूड , पाचनतंत्र और भूख को प्रभावित कर वेट लॉस में मदद करते हैं। आइए बात करते हैं वेट लॉस के लिए जरूरी हॉर्मोन संतुलन के बारे में।
नि:संदेह अपनी पसंद के कपड़ों में फिट आने के लिए आपको बेहतर डाइट और वर्कआउट की जरूरत है। पर बेहतर परिणामों के लिए आपको अपने हार्मान्स को भी संतुलित करना होगा। इसलिए हम आपको 5 ऐसे हार्मोन्स के बारे में बता रहे हैं जो आपकी वेट लॉस जर्नी को आसान बना सकते हैं।
ये तो आप जानती ही होंगी कि इंसुलिन हमारे अग्नाशय (pancreas) द्वारा स्रावित एक हार्मोन है। यह हमारे शरीर में ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने के साथ ही ब्लड शुगर लेवल को विनियमित (regulate) करता है। जब आपका वजन बढ़ता है, तो उस दौरान आपके शरीर में इंसुलिन का स्तर गड़बड़ा जाता है। जिससे आपको वजन कम करने में मुश्किल होती है।
इसके अलावा अगर आप रिफाइंड फूड (refined food) का सेवन अधिक करती हैं, तब आपके अग्नाशय को शरीर से शुगर को कम करने के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है, लेकिन इस दौरान आपके शरीर को इंसुलिन के उत्पादन के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसके चलते हार्मोन अतिरिक्त शुगर को फैट के रूप में जमा करना शुरू कर देते हैं।
अपने इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने के लिए अपने आहार में से चीनी को कम करें। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स का सेवन करें, साथ ही अपने आहार में अधिक प्रोटीन वाले फूड्स को शामिल करें।
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इसे आप तनाव हार्मोन (stress hormone) भी कह सकती हैं। कोर्टिसोल (Cortisol) हमारे शरीर में उस दौरान उत्पन्न होता है जब हम बहुत अधिक तनाव में होते हैं। यह हार्मोन इंसुलिन से जुड़े होने के साथ ही हल्के से मध्यम तनाव हार्मोन (mild to the moderate stress hormone) से भी जुड़ा हुआ है। जो कि हमारे रक्त में इंसुलिन के स्तर को प्रभावित करता है।
इसके चलते हमारा वजन कम कर पाना मुश्किल हो जाता है। स्ट्रेस हार्मोन के बढ़ने से आपके शरीर के आंतरिक अंगों और आंतों में फैट जमा होता है। यही कारण है कि आपका पेट बाहर निकलने लगता है।
इसे भूख के हार्मान (hunger hormone) के रूप में भी जाना जाता है। पेट खाली होने के दौरान, हमारा पेट ही इसे उत्पन्न करता है। यह हार्मोन हाइपोथैलेमस (hypothalamus) को संकेत भेजता है कि आपको खाना है। इस हार्मोन का स्तर खाली पेट होने पर सबसे अधिक होता है, जो कि बाद में कम हो जाता है। लेकिन यह पाया गया है कि मोटे लोगों में खाने के बाद भी घ्रेलिन का स्तर कम नहीं होता है। उनका हाइपोथैलेमस (hypothalamus) संकेत प्राप्त नहीं करता, जिसकी वजह से वे अधिक खाते हैं।
चीनी से परहेज करना और अधिक प्रोटीन युक्त फूड्स का सेवन करना, इस हार्मोन को प्रतिबंधित करने के लिए लाभकारी है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंये हॉर्मोन शरीर के फैट सेल्स (fat cells) के द्वारा उत्पन्न होता है। यह आपकी भूख को कम करने और आपके पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराने का काम करता है। यह आपके मस्तिष्क को यह संकेत भेजता है कि आपके पेट में पहले से फैट मौजूद है, और आपको अधिक खाने से रोकता है। लेकिन मोटे लोगों में यह हार्मोन ऐसे काम नही करता जैसा कि उसे करना चाहिए।
मोटे लोगों को अधिक खाने से बचने के लिए मस्तिष्क को कोई संकेत नहीं मिलते, जिससे व्यक्ति अधिक खाने लगता है। इससे इंसुलिन का स्तर बढ़ता है और हाइपोथैलेमस (hypothalamus) में सूजन पैदा होती है। लेप्टिन (Leptin) को नियंत्रित करने के लिए एंएी-इंफ्लेमेट्री (anti-inflammatory) फूड्स का सेवन करना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए, साथ ही अच्छी नींद लेनी चाहिए।
एस्ट्रोजन (Estrogen) एक हार्मोन है जो महिला यौन विशेषताओं (female sexual characteristics) के विकास के लिए जिम्मेदार है। शरीर में एस्ट्रोजन का बहुत उच्च स्तर या कम स्तर होना, दोनों ही वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। यह पाया गया है कि सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में मोटी महिलाओं में हार्मोन का स्तर अधिक होता है।
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एस्ट्रोजन के स्तर का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक जीवन शैली में परिवर्तन करना बहुत जरूरी है। फाइबर युक्त भोजन और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन और रोजाना नियमित रूप से व्यायाम करने से एस्ट्रोजन के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है।