एग्ज़ाम्स शुरू हो चुके हैं, बोर्ड एग्जाम्स भी जल्दी ही शुरू होने वाले हैं। आज भी एग्जाम्स की स्थिति ये है कि डेट शीट रिलीज होते ही सिर्फ स्टूडेंट्स ही नहीं, बल्कि उनके पेरेंट्स भी तनाव में घिरने लगते हैं। किताबें, नोट्स, रिवीजन का बर्डन टाइम मैनेजमेंट के बावजूद विद्यार्थियों को तनाव में डाल देते हैं। जिससे कुछ बच्चे चिंताग्रस्त हो जाते हैं, तो कुछ में एग्जाम फीवर के मामले भी सामने आते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि पढ़ाई के साथ-साथ ही एक हेल्दी डेली रुटीन भी फॉलो किया जाए। एक हेल्दी रुटीन की शुरुआत के लिए योगाभ्यास से बेहतर विकल्प भला और क्या हो सकता है! हेल्थ शॉट्स पर हम ऐसे 4 योगासनों के बारे में बता रहे हैं, जो न केवल आपकाे तनाव कंट्रोल करने में मदद करेंगे, बल्कि फोकस और मेमोरी भी बढ़ाएंगे (yoga to improve concentration and memory)।
घड़ी की सुइयों के हिसाब से विद्यार्थियों का दिन पूरी तरह से बंटा हुआ है। कई बार एग्ज़ाम्स का फीवर स्टूडेंट्स को इस कदर परेशान और चिंताग्रस्त भी कर देता है कि सब कुछ पढ़ा हुआ भी भूलने लगते हैं। टेंशन के इस माहौल में कंसंट्रेशन की कमी उनकी पढ़ाई में खलल डालने का काम करती है। ऐसे में मन और दिमाग को शांत रखने और एकाग्रता पाने के लिए इन आसान योगा पोज़िज़ को करना न भूलें।
दिन भर स्टडीज में मसरूफ रहने के कारण बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पाती है। जिसके कारण बच्चे और कई बार उनके पेरेंट्स भी एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं। इस तनाव से निपटने और फोकस बढ़ाने के लिए योग गुरु आचार्य प्रतिष्ठा कुछ योगासनों के अभ्यास की सलाह देती हैं। आचार्य प्रतिष्ठा मोक्षायतन योग संस्थान में निदेशक और पूर्व राजनयिक हैं। वे कहती हैं, “अगर स्टूडेंटस दिन की शुरूआत योग से करते हैं, तो इससे एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है।
इस आसन में हमारे हाथ शरीर के चक्र को छूते है। इससे हमें एनर्जी मिलती है और इसका प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर दिखता है। यह आसन करने में आसान है और बच्चों के मन को एकाग्रचित्त करता है।
इस तरह करें ब्रह्मांजलि मुद्रा का अभ्यास
एकाग्रता को बढ़ाने के लिए बाई हथेली को गोद में टिका देते हैं।
उसके बाद दाई हथेली को बाईं हथेली के ऊपर रखें। दोनों हथेलियां नाभि के नीचे स्थिर होनी चाहिए।
इस योग के साथ किसी मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं, ताकि मन की शांति बनी रहे।
अब इस मुद्रा से वापिस लौटने के बाद रेखागति का अभ्यास करें।
रेखागति के अभ्यास के लिए बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं।
अपने दोनों हाथों को टांगों के साथ चिपका लें। साथ ही आंखे बंद कर इस तरह से चलें कि दाई एड़ी बाएं पैर को छूएं और बाई एड़ी दाएं पैर को छूएं। इस प्रकार से दस कदम आगे की ओर बढ़ाएं।
इस बात का ध्यान दें कि हमें एक लयबद्ध तरीके में रेखा को फॉलो करते हुए आगे बढ़ना है।
आचार्य प्रतिष्ठा कहती हैं, “ये आसन हमें ध्रुव की तरह एकाग्र बनाता है। साथ ही इसे करने से पैरों की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह नियमित होता है। इसके नियमित अभ्यास से आप आसानी से अपनी बॉडी का बैलेंस बना पाते हैं। साथ ही एक टांग को मोड़कर दूसरी थाई पर रखने से मसल्स रिलैक्स फील करते हैं।
इसके लिए अपनी आंखों को किसी एक जगह या एक प्वांइट पर टिका लें।
उसके बाद दांए पैर को फोल्ड करें। बैलेंस बनाने के लिए पैर को इनर थाई पर टिका लें।
अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और आपस में मिला दें। फिर धीरे-धीरे अपने हाथों को वापिस ले आएं।
इसी क्रिया को दूसरे पैर से भी दोहराएं।
आचार्य प्रतिष्ठा के मुताबिक शुरुआत में इसका 3 बार अभ्यास पर्याप्त है। इससे फोकस और मेमोरी दोनों में इजाफा होता है।
ताड़ आसन रीढ़ की हड्डी को मज़बूती प्रदान करने का करता है। इस आसन की मदद से मांसपेशियों में आने वाली स्टिफनैस भी दूर होने लगती है। इससे दिमाग शंत रहता है और शरीर में लचीलापन बना रहता है।
ये आसन बच्चों की लंबाई को बढ़ाने में भी फायदेमंद साबित होता है।
इसे करने के लिए दोनों एड़ियों को उठाएं और एड़ी के बल पर खड़े रहें।
अपनी बाजुओं को ऊपर की ओर खींचें और फिर दोनों हाथों को मिला लें।
अब धीरे-धीरे हाथों को नीचे ले आएं। इसके बाद अपने शरीर को नॉर्मल पोज़िशन में ले आएं।
ये आसन हमें हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और एग्जाइटी से दूर रखता है। इस आसन को नियमित तौर पर करने से न केवल याददाश्त बढ़ती है बल्कि बच्चों का फोकस बढ़ने लगता है।
इस योग को करने के लिए सुखासन में बैठ जाएं। आंखे बंद कर लें।
दोनों बाजुओं को फैला लें और उन्हें मोड़ते हुए हथेलियों को चेहरे के पास ले आएं।
इसके बाद दोनों हाथों को आंखों पर रखें। इसके बाद दोनों अंगूठों को कानो पर रखें।
इंडैक्स फिगर को आई ब्रोज़ पर टिकाएं और तीन उंगलियों को आंखों पर रखें।
आप गहरी सांस लें और छोड़ दें। ध्यान रखें कि सांस को धीरे धीरे छोड़ें।
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