हवा में पहले से ही बहुत सारा प्रदूषण मौजूद था। उस पर दिवाली की आतिशबाजी ने इसमें और इजाफा कर दिया है। अस्थमा के मरीजों के लिए वायु प्रदूषण काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति है। जिसका असर सबसे ज्यादा फेफड़ों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। वायु प्रदूषण के प्रभावों को रोकने के लिए सेफ्टी टिप्स को अपनाने के साथ ही फेफड़ों को डिटॉक्स करना भी जरूरी है। इसमें योगाभ्यास आपकी मदद कर सकता है। आइए जानते हैं उन आसान योगासनों के बारे में जो आपके फेफड़ों को डिटॉक्स (Yoga to clean lungs) कर सकते हैं।
डॉ अवि कुमार फोर्टिस एस्कॉर्ट्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट ओखला में रेस्पिरेटरी मेडिसिन कंसल्टेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। पिछले 16 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे डॉ अवि ट्यूबरकुलोसिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगों के विशेषज्ञ हैं।
डॉ अवि कुमार बताते है कि बाहर प्रदुषण वाली जगाहों पर जाने से बचें साथ ही भी़ वाली जगाहों पर न जाएं। यह जरूरी है कि आप बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें। जितना हो सके बाहर निकलने से बचें और कुछ दिन सुबह की सैर से भी परहेज करें। इसके साथ आप अपने फेफड़ों को साफ करने के लिए कुछ योगा भी कर सकते हैं।
सांस स्वाभाविक रूप से हम में से हर एक के लिए जरूरी है। सांस वह चीज है जिस पर हमारा जीवन निर्भर करता है। कई सांस लेने वाले अभ्यास हैं जिनका लोग पालन कर रहे है। रोज योग करने से आपके दिमाग और आपके शरीर को मजबूत करने में मदद मिल सकती है। कुछ योग आसन फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाते हैं और सांस लेने में सुधार करते हैं। आज, आइए अपने ऑक्सीजन के सेवन को बढ़ावा देने और अपने फेफड़ों को बेहतर बनाने के लिए फेफड़ों के लिए कुछ योग के बारे में जानते है।
जमीन पर मुंह करके लेट जाएं।
अपने दोनों हाथों को अपने कंधों के स्तर पर रखें।
अपनी हथेली की मदद से अपने शरीर को धड़ से ऊपर उठाएं।
इससे आपकी पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आना चाहिए।
अब अपनी बांहों को सीधा करें और छत की ओर देखें।
ऊपर शरीर उठाते समय सांस लें और नीचे जाते समय धीरे से सांस छोड़े।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंलगभग 20 सेकंड के लिए इस स्थिति में बने रहें और फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
पैरों को फैलाकर कर जमीन पर लेट जाएं। आपनी हथेंलियों को जमीन की तरफ रखें।
अपने ऊपरी धड़ और सिर को फर्श से ऊपर उठाते हैं, अपनी बांहों और कोहनियों को जमीन पर दबाएं। अपने सिर के ऊपरी हिस्से को ज़मीन पर लाएं।
गहरी सांस लें, अपनी छाती को फैलाएं और छत की ओर उठाएं।
जब तक आप सहज हों तब तक फिश पोज़ को बनाए रखें।
वापस आन के लिए धीरे से अपनी छाती और सिर को वापस जमीन पर टिकाएं।
पेट के बल होकर फर्श पर लेट जाएं।
अपने घुटनों को मोड़ें और अपनी एड़ियों को कुल्हों के पास लाएं। अपने हाथों को पीछे ले जाएं और अपनी एड़ियों को पकड़ लें।
अपनी उंगलियों को एक-दूसरे की ओर रखते हुए, अपनी एड़ियों को मजबूती से पकड़ें।
अपने शरीर से धनुष की आकृति बनाएं। अपनी छाती और जांघों को उतना ऊपर उठाएं जितना आप आराम से कर सकें। एड़ियों को पकड़ते समय सांस लें।
सांस छोड़ते हुए धीरे से अपनी एड़ियों को छोड़ें और अपनी छाती और जांघों को वापस जमीन पर लाएं।
सीधे खड़े हो जाएं और फिर अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री पर रखें।
अब बाएं पैर को 15 डिग्री पर रखें और शरीर का वजन दोनों पैरों पर डालें।
अपने शरीर को दाईं ओर झुकाएं और फिर अपने बाएं हाथ को हवा में उठाएं।
अपने दाहिने हाथ का उपयोग करके जमीन को पूरी तरह से छूएं।
अपनी छाती को फैलाकर रखें और पेल्विक को खुला रखें।
ध्यान केंद्रित करें और शरीर को संतुलित रखें और फिर प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
अब बाएं पैर का उपयोग करके यही व्यायाम फिर से दोहराएं।
रीढ़ की हड्डी सीधी करके आराम से बैठें।
अपनी छाती और पेट को फैलाते हुए अपनी नाक से गहरी सांस लें।
अपनी नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
अनुलोम-विलोम या कपालभाति जैसी विभिन्न तकनीकों का अभ्यास करते हुए सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
5-10 मिनट तक दोहराएं, धीरे-धीरे इस समय को बढ़ाते रहें।