सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) योग की एक मुद्रा है जो पूरे शरीर को फिट रखती है और मसल्स को फ्लैक्सिबल बनाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आसन करने से मणिपुर चक्र, जो हमारी नाभि के पीछे का हिस्सा होता है वह एक्टिवेट हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि योग को सही तरीके से करने पर व्यक्ति की सहज क्षमताएं बढ़ जाती हैं।
योग: कर्मसु कौशलम, यानी किसी भी कार्य को ठीक से करना भी योग ही है। तो आज हम आपको उस योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे योगी सर्वश्रेष्ठ योगासन और फिटनेस फ्रीक कंप्लीट बॉडी वर्कआउट कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2020) के अवसर पर आपको जानना चाहिए कि सूर्य नमस्कार अकेला ऐसा आसन है जो योगाभ्यास करने वाले लोग जरूर किया करते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य नमस्कार करने से एक सकारात्मक एनर्जी का संचालन होता है। जिसके जरिए पलमोनरी फंक्शन रेस्पिरेट्री प्रेशर हैंड ग्रिप स्ट्रैंथ और एंडोरेंस में लाभ मिलता है।
एशियन जनरल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध में 49 पुरुषों और 30 महिला वॉलिंटियर्स पर एक सर्वे किया गया। यह सर्वे बताता है कि सूर्यनमस्कार किसी भी व्यक्ति को फिटनेस के उच्चतम स्तर पर रखने के लिए एक आइडियल एक्सरसाइज है।
योग करते समय जब विभिन्न प्रकार के आसन किए जाते हैं, तो उस समय लगातार सांस लेना और छोड़ना इसकी प्रक्रिया का हिस्सा है। जिसके कारण लंग्स में लगातार हवा का आना जाना बना रहता है और उसकी वजह से ब्लड में ऑक्सीजन का संचार अच्छा रहता है।
प्रतिदिन सूर्य नमस्कार का अभ्या्स करने से याददाश्त बढ़ाने में मदद मिलती है और मन तथा शरीर तनाव मुक्त रहता है। यह आसन एंडोक्राइन के फंक्शन में सहायता करता है जिससे थायराइड ग्लैंड्स बेहतर काम करते हुए चिंता को कम करती हैं।
योगासन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन इंप्रूव होता है और प्रतिदिन इसकी प्रैक्टिस करने के कारण व्यक्ति पहले के मुकाबले ज्यादा जवान दिखने लगता है। सूर्य नमस्कार की प्रैक्टिस करने से त्वचा ज्यादा चमकदार और ग्लोइंग हो जाती है। यह शरीर पर पड़ने वाली झुर्रियों और फाइन लाइन्सर से भी लंबे समय तक बचा के रखता है।
जिन महिलाओं के पीरियड्स अनियमित रहते हैं, उन्हें नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करना चाहिए। इंटरनेशनल जर्नल आफ रिसेंट टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग नामक एक शोध में पाया गया कि जो लोग सूर्य नमस्कार करने के साथ-साथ पैदल चलते हैं। वह लोग वजन कम करने में कामयाब होते हैं और यह तकनीक मासिक धर्म को भी नियमित बनाने में मददगार है।
अपने योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाइए और पैरों को एक-दूसरे के करीब लाइए। गहरी सांस लेकर छाती को फुला लीजिए और कंधों को रिलेक्स कीजिए। जैसे ही आप सांस लेते हैं अपनी बाहों को उठाएं और सांस छोड़ते समय अपनी हथेलियों को एक दूसरे से जोड़कर अपने सीने के पास लाएं।
प्रार्थना की मुद्रा में आएं। ऐसे ही अपने हाथों को जोड़ लीजिए गहरी सांस लेते हुए अपनी बाहों को ऊपर उठाइए जैसे-जैसे आप यह मुद्रा करते हैं, वैसे ही धीरे-धीरे सांस को छोड़ते रहे।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंसांस छोड़ते समय अपनी पीठ को सीधा रखें और कमर को आगे की तरफ झुका लें। अब फर्श को छूने की कोशिश करें जैसे कि आप मुद्रा करते हैं धीरे-धीरे अच्छी तरह से सांस छोड़ें।
अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ लें ताकि आपकी हथेलियां आपके पैरों के बगल में फर्श पर आराम से टिक जाएं। अब गहरी सांस लें और धीरे-धीरे दाहिने घुटने को अपनी छाती के दाएं और ले जाएं और अपने पैर को पीछे की ओर खींचे अपना सिर उठाएं और आगे की ओर देखते रहे।
सांस लें और अपने दाहिने पैर को वापस लाएं। अब आपके दोनों हाथ अपने कंधों के ठीक नीचे होंगे सुनिश्चित करें कि आपका शरीर जमीन के समानांतर हो।
चतुरंग दंडासन के बाद सांस छोड़ें और धीरे-धीरे अपने घुटनों को फर्श की तरफ नीचे लाएं। अपनी ठोड़ी को फर्श पर रखें और कूल्हों को हवा में रखें। आपके हाथ, घुटने, ठोड़ी और छाती जमीन पर रहेंगे, जबकि आपके हिप्स हवा में रहेंगे ताकि आपका पोस्चर ठीक रहे।
अपने पैर और मध्यस भाग को फ्लैट कर जमीन पर रखें। अपनी हथेलियों को अपनी छाती के बगल में रखें। गहरी सांस लें और हाथों पर दबाव डालें, जिससे आपका शरीर ऊपर उठे। आपका सिर और शरीर इस मुद्रा में उभरे हुड के साथ एक कोबरा जैसा होगा।
हथेलियों और पैरों को जहां वे हैं वहीं रखते हुए, सांस छोड़ें और धीरे से अपने हिप्स का शरीर के साथ एक वी आकार बनाएं। अपनी कोहनी और घुटनों को सीधा करें और नाभि की ओर देखें।
बाएं पैर को पीछे की ओर रखते हुए और आगे देखते हुए दाहिने पैर को आगे लाते हुए अश्व संचलानासन मुद्रा में वापस जाएं।
श्वास लें और बाएं पैर को आगे लाएं ताकि वह दाहिने पैर के बगल में हो। हाथों की स्थिति को बरकरार रखते हुए सांस छोड़ें और धीरे-धीरे शरीर को मोड़ें और हस्त पादासन मुद्रा में प्रवेश करें।
सांस लें और ऊपरी शरीर को उठाएं। हथेलियों को मिलाएं और अपनी बाहों को सिर के ऊपर उठाएं। चरण 2 की तरह पीछे की ओर झुकें।
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सांस छोड़ें और आराम से सीधे खड़े हो जाएं। बाहों को नीचे करें और हथेलियों को अपनी छाती के सामने रखें। यह सूर्य नमस्कार के पहले सेट के अंत का प्रतीक है।
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सूर्य नमस्कार करने के लिए उपयुक्त समय क्या है?
ऐसा कहा जाता है कि है कि सूर्य नमस्कार सुबह खाली पेट में किया जाना चाहिए। यह शाम को भी किया जा सकता है लेकिन आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपने आसन से कम से कम 2 घंटे पहले कुछ भी नहीं खाया है।