कूल्‍हों और जांघों के आसपास क्‍यों जम जाती है जिद्दी चर्बी, जानिए इस पर क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

परफेक्‍ट फि‍गर की राह में महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्‍मन है जांघों और कूल्‍हों के आसपास जमी जिद्दी चर्बी। क्‍या आप भी जानना चाहती हैं कि यह क्‍यों जम जाती है, तो इसे ध्‍यान से पढ़ें।
महिलाओं की जांघाेें और कूल्‍हों पर सबसे ज्‍यादा फैट जमता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
महिलाओं की जांघाेें और कूल्‍हों पर सबसे ज्‍यादा फैट जमता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
योगिता यादव Updated: 10 Dec 2020, 13:31 pm IST
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एक समय तक यही भारतीय महिलाओं के लिए सौंदर्य की पहचान माना गया। पर अब महिलाएं कूल्‍हों और जांघों के आसपास जमी चर्बी को और ढोना नहीं चाहतीं। पर यह पता नहीं यही सबसे ज्‍यादा फैट क्‍यों जमता है और क्‍यों सबसे देर में हम इससे छुटकारा पा पाते हैं। अगर आपकी समस्‍या भी यही है तो एक्‍सपर्ट से जानना चाहिए कि क्‍यों इतनी जिद्दी होती है हिप एरिया के आसपास की यह चर्बी।

इस जिद्दी फैट, जिसे वुमेन फैट (Women Fat) भी कहते हैं का कारण जानने के लिए हमने फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज की डायरेक्‍टर, ऑब्‍सटैट्रिक्‍स एंड गाइनीकोलॉजी डॉ. नीमा शर्मा से संपर्क किया।

वे बताती हैं कि आखिर महिलाओं के शरीर में फैट का क्या मतलब है?

सामान्य महिलाओं में शरीर के वजन का 18% से 20% हिस्सा फैट के कारण होता है। जबकि पुरुषों में यह हिस्सा 10% से 15% के बीच होता है।

असल में दो तरह का होता है फैट

डॉ. नीमा बताती हैं, “शरीर में दो तरह का फैट पाया जाता है। एक होता है सब्क्यूटेनीअस फैट जो त्वचा के नीचे पाया जाता है और दूसरा होता है विसरल फैट जो पेट में आंतरिक अंगो के चारों तरफ पाया जाता है।“

विसरल फैट को शरीर के लिए हानिकारक माना जाता है और इससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और इंसुलिन रेजिस्टेंस का जोखिम बढ़ जाता है।

वे आगे बताती हैं, “कमर का आकार 35 इंच या उससे ज्यादा होने को ज़रूरत से ज्यादा विसरल फैट की निशानी माना जाता है, लेकिन अगर आपके शरीर का आकार बड़ा है तो यह नियम आप पर लागू नहीं होगा।“

अब जानिए शरीर में फैट बढ़ने के प्रमुख कारण

1 रजोनिवृत्ति

एस्ट्रोजन के घटते स्तर (जिससे उसी अनुपात में टेस्टोस्टेरोन का प्रभाव बढ़ जाता है) से शरीर में फैट के वितरण पर असर पड़ता है। इसके कारण पेट में फैट का जमाव होने लगता है। मांसपेशियों में कमी आने पर उसी अनुपात में फैट में वृद्धि होने लगती है।

मेनोपॉज एक बदलाव है, इसे आप रोक नहीं सकतीं। चित्र: शटरस्‍टाॅॅॅक

2 ल्यूटियल चरण

एस्ट्रोजन की कमी से शरीर में वाटर रिटेंशन बढ़ता है जिससे वजन बढ़ता है। खाना खाने की ज़बरदस्त इच्छा होने से भोजन की मात्रा पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है।

3 गर्भावस्था

गर्भावस्था में शरीर का वजन और फैट बढ़ता है। मां बनने के बाद व्यायाम और सोने के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि स्तनपान में कैलोरी की खपत होती है जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

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4 पीसीओएस

5 से 10 प्रतिशत महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होता है। इस स्थिति में शरीर में हार्मोन असंतुलन हो जाता है जिससे वजन घटाने में मुश्किलें आती हैं और मासिक धर्म अनियमित हो जाता है।

जी हां, पीसीओएस के कारण भी इस हिस्‍से में फैट जम जाता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
जी हां, पीसीओएस के कारण भी इस हिस्‍से में फैट जम जाता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

इसे नियंत्रित करना है ज्‍यादा जरूरी

डॉ. नीमा वुमेन फैट या पेट, कूल्‍हों और जांघों के आसपास की चर्बी को कम करने के लिए जरूरी उपाय बताती हैं। आइए जानें क्‍या हैं वे उपाय –

धीरे-धीरे और लगातार – वजन कम करने के लिए यह रणनीति सबसे अच्‍छी होती है। अधीर न हों, धीरे-धीरे वजन कम करने की कोशिश करें और इन कोशिशों को लगातार जारी रखें।

व्‍यायाम है सबसे ज्‍यादा जरूरी – डॉ. नीमा सुझाव देती हैं कि व्यायाम से कूल्हों और जांघों पर जमा फैट की तुलना में विसरल फैट पर काफी बेहतर असर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि व्‍यायाम को हर रोज अपने रूटीन में शामिल करें।

नियमित व्‍यायाम करने से फैट बर्न हो सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
नियमित व्‍यायाम करने से फैट बर्न हो सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

संतुलित भोजन है जरूरी – भूखे रहकर वजन घटाने की गलती कभी न करें। खासतौर से कमर के आसपास, कूल्‍हों और जांघों पर जमा फैट भूखे रहने से कम नहीं होता। इसके लिए जरूरी है कि आप संतुलित आहार लें।

अनहेल्‍दी फैट से करें परहेज – अस्‍वस्‍थ फैट यानी डीप फ्राई फूड्स और बाजार में मिलन वाले जंक फूड चर्बी को बढ़ाने में मददगार होते हैं। इसलिए जरूरी है कि इनसे यथासंभव दूरी बनाकर रखें।

चलते-चलते 

इस बात का ध्‍यान रखें कि शरीर में जमा फैट धीरे-धीरे कम होता है और इसे कम करने में समय लगता है, लेकिन स्वस्थ जीवन शैली अपनाने की कोशिश करते रहना ज्‍यादा जरूरी है।

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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